देश की अर्थव्यवस्था के मजबूत स्तम्भ व्यापारी वर्ग का दर्द भी दर्द की श्रेणी में आना चाहिए : रजनीश प्रियदर्शी
रामगढ़वा पू चं:- इस बात में किसी को संशय नहीं है कि देश के व्यापारी देश की अर्थव्यवस्था के मजबूत स्तम्भ हैं ! धैर्य सहनशीलता ,संयम एवं उदारता व्यापारी की विशिष्ट पहचान है ! साल 2020 में मार्च से लगभग 6 माह तक व्यापारी लॉकडाउन को झेलते हुए अपनी पूंजी तोड़कर खाते हुए लाखों व्यापारी फुटपाथ पर आ गये ! लॉकडाउन में लाखों व्यापारी घुट -घुट कर जीवन जीने को मजबूर हुए ! कर्ज में डूबे व्यापारियों की जिंदगी कष्टमय हो गयी ! इस नुकसान की भरपाई कैसे हो यह सबसे बड़ा प्रश्न है ! सच पूछा जाए तो किसानों को मिलने वाले राहत पैकेज के तर्ज पर व्यापारी अभी तक कोई राहत नहीं ! बैंक से लोन लेने की प्रक्रिया भी जटिलता से भरी हुई है ! पिछले साल के लॉकडाउन से ही व्यापारी की हालत पतली है! अगर लॉकडाउन के कारण देश में सबसे ज्यादा नुकसान व्यापारियों ने झेला है। जिसमें सबसे ज्यादातर मध्यम एवं छोटे व्यापारियों ने उठाया है ! मौजूदा समय में व्यापारियों को कई मोर्चों पर लड़ाई एक साथ लड़ना पड़ रहा है ! कई व्यापारी परिवार के लोगों ने इस महामारी में अपनों को गँवाया है तथा एक तो बंदी दूसरे अपने प्रियजनों के बिछुड़ने का गम बेहद दुखदायी साबित हो रहा है ! कोरोना की दूसरी लहर में बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर लिये गये लॉकडाउन में शादी तथा अन्य प्रयोजन के लिए छूट है तथा जिसके निमित्त कपड़ें ,जेवर , श्रृंगार सामग्री , बर्तन इलेक्ट्रॉनिक सामान कहाँ मिलेगा इस पर विचार नहीं किया गया ! जिनके घर शादी या अन्य आयोजन हेतु उक्त सामानों की खरीददारी के लिए बाजार का रुख कर रहे हैं तथा दुकानदार भी छुपते-छुपाते तथा अन्य जुगाड़ से ग्राहकों को सामान उपलब्ध करा रहे हैं ! ऐसे में अफरातफरी व संक्रमण के खतरे से इंकार नहीं किया जा सकता है !सरकार का कुछ शर्तों के साथ आवश्यक वस्तुओं की बिक्री साथ ही यातायात ,भवन निर्माण कल कारखाने आदि चालू हैं ! विशेषज्ञों की माने पहली लहर एवं दूसरी लहर में कोरोना संक्रमण फैलने के कारण में काफी अंतर है ! पहली लहर में व्यक्ति व वस्तु के संपर्क में आने से कोरोना संक्रमण होता था , अब दूसरी लहर में कोरोना का वायरस हवा में ही संक्रमण फैला रहा है तथा भीड़भाड़ वाली जगह पर बिना मास्क व भौतिक दूरी पालन नहीं करने से संक्रमण की दर से तेजी बढ़ रहा है ! लॉकडाउन का यह फैसला उन्हें बेइंतहा मानसिक कष्ट पहुंचा रहा है ! प्रतिदिन मिल रहे अॉकड़ो के अनुसार इस समय महामारी अगर ब्लैक फंगस का मामला छोड़ दिया जाए तो प्रतिदिन संक्रमण का दर तेजी से कम हो रहा है जिस को ध्यान में रखते हुए सरकार को कम से कम 5 घंटा सभी ट्रेड के व्यापारियों को समय देना चाहिए जिससे कि व्यापारी अपनी जीवन और जीविका दोनों चला सके हो! अब तक हो चुके भारी नुकसान की कुछ हद तक भरपाई हो सके ! पिछले महीने जब कोरोना की दूसरी लहर ने कोहराम मचाना शुरू किया तो देश के कई शहरों जैसे लखनऊ व वाराणसी समेत कई राज्यों में कोरोना संक्रमण तेजी से फैला तो व्यापारी भाइयों ने अभूतपूर्व निर्णय कर डाला !मुख्य बाजार और दुकानों के शटर डाउन कर दिए ! बस आवश्यक सेवाएं खोली !ताकि संक्रमण फैलने से रुके ! इसे “‘जनता लॉकडाउन” करार दिया गया तथा देश को बड़ा सन्देश दिया है जिसकी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने व्यापारियों के निर्णय को मुक्त कंठ से सराहा ! व्यापारियों का स्व-निर्णय कर सबों को चौकाया यह भी व्यापारियों का एक बेहतरीन पहलू है!वहीं दूसरी ओर देश के अन्य राज्यों में व्यापारियों की दुकान बंद है तथा लॉकडाउन व नाइट कर्फ्यू से देश के व्यापारियों का जो लग्न में शादी-ब्याह के सीजन में दुकानों के अंदर खरबों रुपए का माल डम्प हैं व्यापारी इसी सोच में पड़ा है कैसे रुपया खाली हो इसकी भी चिन्ता है.! ऐसे मौकों पर अमेजॉन,फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियां कोविड कर्फ्यू एवं लॉकडाउन में भरपूर फायदा उठा रही है और प्रदेश के व्यापारियों को इसका सीधा-सीधा नुकसान हो रहा है ! व्यापारी हित मे यह भी विचारणीय विषय है ! ऐसे भी प्रस्ताव है कि देश के विभिन्न राज्यों में लॉकडाउन की अवधि लॉकडाउन की अवधि तक अन्य व्यापार की सम विषम ( अॉड -इवेन) व्यवस्था के तहत दुकानें खुले तो ग्राहकों को सातों दिन जरूरत के सभी सामान मिलता रहेगा साथ ही बाजार में भीड़भाड़ नहीं होगी तथा संक्रमण का खतरा भी नगण्य होगा !आज के ऐसे समय मे जब लॉकडाउन के चलते लोकल व्यापारी अपने घरों में बैठे हैं लेकिन ऑनलाइन द्वारा नॉन एसेंशियल गुड्स की होम डिलीवरी चलते रहने से अर्थव्यवस्था के इन मजबूत स्तंभों को खोखला करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं तो व्यापारी को दर्द होना स्वाभाविक है ! एक व्यापारी के कंधे पर ,पारिवारिक जिम्मेदारी,कर्ज,किश्तें,ब्याज,
टैक्स , कर्मचारी का वेतन की भारी-भरकम जिम्मेदारी है ! यह भी सच है कि देश में कोरोना महामारी से बचाव के लिए लॉकडाउन बढ़ाए जाने के कारण व्यापारियों में भी चिंता बढ़ने लगी है! वर्तमान में किराना, दूध, फल ,सब्जी और दवा व्यवसाय को छोड़कर अन्य सभी 85% व्यापारियों का कारोबार बिल्कुल ठप है !कोई कमाई नहीं है फिर भी बहुत से व्यापारी और छोटे उद्यमी अब अपने कर्मचारियों एवं जरूरमंदों , निराश्रितों एवं गरीबों की मदद कर रहे हैं ! अभी तक व्यापारियों को उम्मीद थी कि सरकार उनकी तकलीफें भी समझेगी और कुछ वित्तीय राहत देगी! लेकिन अब यह आस नहीं है क्योंकि बिना सरकारी मदद या रियायतों के व्यापारी वर्ग कैसे इस घोर संकट से बच पाएगा ? लाखो व्यापारी वर्ग संकट में फंँसे रहे तो भारी बेरोजगारी भी फैलेगी तथा जीवन नारकीय हो जाएगा ! एक व्यापारी टैक्स भी दें, ब्याज भी दें, पेनाल्टी भी दें , मगर सरकार कुछ ना दे यह व्यवहारिक नहीं ! व्यापारी अपनी आमदनी पर 55% टैक्स भरते हैं ! सरकार यदि वित्तीय मदद ना करें तो कम से कम इन सभी टैक्सों में 50% तत्काल रियायत की घोषणा करनी चाहिए! साथ ही कर्ज ब्याज में भी 6 माह की माफी होनी चाहिए ! कोरोना महामारी के संकट चलते व्यापारी और छोटे उद्यमियों के समक्ष अस्तित्व का संकट उठ खडा़ हो रहा है ! लिहाजा सरकार को तत्काल घ्यान देना चाहिए ! व्यापारी का बहुत बड़ा वर्ग इस बात का दर्द है कि सरकार का लॉकडाउन लगाने में परिस्थितियों का सही आकलन कर और अधिक पारदर्शिता बरतते हुए नहीं किया गया है ! देश के विभिन्न राज्यों में लॉकडाउन खत्म होने की तारीखें अलग-अलग है ! अगर आने वाले दिनों एक बार फिर राज्य सरकारें द्वारा लॉकडाउन बढ़ाने का फैसला लिया जाता है तो सरकार को हर पहलू पर गंभीर विचार करते हुए अन्य ट्रेडों के सशर्त खोलने की इजाजत दे देना चाहिए !जरूरत इस बात की है कि आपदा नियंत्रक समिति को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए कि जिससे मध्यम एवं छोटे व्यापारी जिनकी कमर पिछले साल के लॉकडाउन में टूट चुकी है को इस बार भी भारी आर्थिक नुकसान नहीं उठाना पड़े ! साथ ही सरकार को यह भी विचार करना चाहिए कि इस भय के माहौल में शादी -विवाह , श्राद्ध व अन्य कार्य प्रयोजनों के लिए मजबूर जनता को मनपसंद सामान उचित मूल्य मिल सके
तथा संक्रमण का खतरा भी कम हो तथा सरकार को राजस्व की हानि भी न हो! ऐसे में तमाम समस्याओं का गंभीरतापूर्वक आकलन करते हुए सरकार व्यापारियों के दर्द को महसूस करते हुए उनके हितों की रक्षा के लिए उचित निर्णय लेगी !
Edited By :- savita maurya