“दलितों, पिछड़ो, महादलितो के मसीहा बनने वाले नीतीश कुमार का दुसरा घिनौना चेहरा”

रंजीत ङे/जेटी न्यूज
पटना। सेनानी नरसंहार के दोषियों को पटना उच्च न्यायालय द्वारा बरी कर दिए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का सरकार का फैसला स्वागत योग्य है। लेकिन उक्त नरसंहार के पहले हुए तमाम नरसंहारो के दोषियों को बरी किए जाने पर सर्वोच्च न्यायालय में न जाना सरकार की मंशा पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रहा है?
राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय महासचिव पूर्व मंत्री श्याम रजक ने नीतीश कुमार की सरकार के दोरंगी नीति पर सवाल खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि दर्जनभर नरसंहार हुए हैं, लेकिन किसी में भी नीतीश सरकार उपरी अदालत में नहीं गई। दिसम्बर 1997 में जब लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार हुआ, उस समय श्रीमती राबड़ी देवी की सरकार थी।

श्रीमती राबड़ी देवी ने 1998 में अमीर दास आयोग बनाया। आयोग ने एन० डी०ए० के कई राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक नेताओं को सम्मन देकर बुलाया एवं उनसे पुछताछ की। पूछताछ से परेशान एन० डी०ए० नेताओं ने सरकार पर दबाव डालकर 2010 में आयोग को ही भंग करवा दिया।
श्री रजक ने कहा है कि नीतीश कुमार को यह बताना चाहिए कि उन्होंने आयोग को बिना कारण बताये क्यों भंग कर दिया? जिसकी पुष्टि जस्टिस आमीर दास ने भी की थी। उन्होंने आयोग की अन्तरिम रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा के सांसद सुशील मोदी आज बहुत दम्भ भर रहे हैं कि सेनारी कांड के तुरंत बाद वे वहॉं पहुंचे थे, वहॉ लाशों का ढे़र लगा था। पर, माननीय सुशील मोदी के पैर उन नरसंहारो की धरती पर क्यों नहीं पड़े। जहाँ पिछड़े, दलितो, महादलितो के खुन गिरे थे? यह भी बताना चाहिए।

श्री रजक ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से यह जानना चाहा है कि जब वे दलित, महादलित के मसीहा के तौर पर अपने आप को दिखाते है, तब उन्हें यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि आखिर क्यों उन्होंने लक्ष्मणपुर बाथे, शंकर बिगहा, बथानी टोला, मियांपुर, बेलछी, तिसखोड़ा, देवशहरीया आदि स्थानो पर हुए नरसंहार के दोषियों को रिहा करने के निर्णय के खिलाफ उनकी सरकार उपरी अदालत में क्यों नहीं गई?
श्री रजक ने यह भी पूछा है कि सरकार को यह भी बताना चाहिए कि नरसंहारो में मारे गए पिछड़े, दलित, महादलित के परिवारों के लिए उन्होंने क्या किया? उनकी सुरक्षा, उनकी आजीविका एवं विकास के लिए अबतक क्या- क्या व्यवस्था की गई? उन्होंने कहा कि पिछड़े, दलित, महादलित के लिए घड़ीयाली आंसू बहाने वाले को इसका भी जवाब देना चाहिए?

Related Articles

Back to top button