दर्द मध्याह्न भोजन रसोईया कल्याण समिति का रसोईया का मानदेय बिगत एक बर्षो से है लंबित रसोइया है भुखमरी के कगार पर

दर्द मध्याह्न भोजन रसोईया कल्याण समिति का रसोईया का मानदेय बिगत एक बर्षो से है लंबित रसोइया है भुखमरी के कगार पर


जे टी न्यूज़, मधुबनी

मध्याह्न भोजन रसोईया कल्याण समिति इस पत्र के द्वारा निवेदन पूर्वक अनुरोध करती है कि सरकारी विद्यालयों में मध्याह्न भोजन की व्यवस्था की गयी। तत्पश्चात खाद्दान की व्यवस्था सरकार द्वारा वहन की जाती है। लेकिन खाना बनायेगा कौन? रसोईया का दर्जा होगा चतुर्थवर्गी कर्मचारी या दैनिक मजदूर? सरकार के निर्देशानुसार विद्यालय में कार्यरत रसोईया का चयन तो किया गया, परन्तु उन रसोईया के भरण पोशन, बेतन या परिवारिक सुरक्षा पर कोई ध्यान नही दिया गया है।

सबाल उठता है कि विद्यालय में रसोईया से काम ली जाती है 12 महिना और उसे मानदेय दिया जाता एवं हाजरी बनाया जाता है 10 महिना का। ऐसा अवला महिला रसोईया कर्मी के साथ बे-इन्साफी क्यों हो रहा है? आज रसोईया कर्मी को मात्र 55 रूपया प्रतिदिन मानदेय दी जाती है। सरकार हम महिला कर्मी को दैनिक मजदूर भी नही समझ रही है जो दुखद है.

रसोईया कर्मी संघ 2014 से लगातार सरकार को समय समय पर आवेदन दे कर अपनी समस्या की ओर ध्यान आकृष्ट करती रही है। लेकिन हमलोगों के साथ सरकार न्याय नहीं कर पायी है.

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