बेतिया में मनाया गया सफदर हाशमी स्मृति दिवस समारोह

बेतिया में मनाया गया सफदर हाशमी स्मृति दिवस समारोह
जे टी न्यूज़

फदर हाशमी स्मृति दिवस के अवसर पर जनवादी लेखक संघ , पश्चिम चम्पारण द्वारा सामाजिक समरसता के अवरोध विषय पर परिचर्चा की अध्यक्षता जनाब मोजीबुल हक ने किया तथा समारोह के मुख्य अतिथि हिन्दी तथा उर्दू के विद्वान जनाब दानिस थे । जनवादी लेखक संघ के पश्चिम चम्पारण के जिला सचिव अनिल अनल ने परिचर्चा का सफल संचालन किया । परिचर्चा पर विषय प्रवेश कराते हुए जनवादी लेखक संघ के वरिष्ठ सदस्य प्रभुराज नारायण राव ने कहा कि सफदर हाशमी एक नाटककार , रंगकर्मी , साहित्य प्रेमी , कश्मीर विश्वविद्यालय का प्राध्यापक , लेखक , पत्रकार भी थे ।

31 दिसम्बर 89 की रात्रि में उनकी हत्या कर दी गई । वे दिल्ली जन नाट्यमंच के द्वारा नुक्कड़ नाटक करने मजदूरों के बुलावे पर साहिबाबाद गए थे । जहां नाटक करते समय उनपर कांग्रेस के गुंडों द्वारा हमले किए गए । जिसमें उनके साथ एक मजदूर रामबहादुर की भी हत्या कर दी गई । इस बर्बर हत्या के विरुद्ध दुनिया भर के बुद्धिजीवी सड़कों पर उतर गए । दिल्ली में हो रहे फिल्म फेस्टिवल की उदघाटन कर रही मशहूर सीने नायिका शबाना आजमी ने कहा कि जिस देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं हो , जहां नुक्कड़ पर नाटक करते हुए रंगकर्मी सफदर हाशमी की हत्या सरेयाम कर दी जाती हो । वैसे जन विरोधी सरकार द्वारा फिल्म फेस्टिवल कराने का मैं विरोध कर बाहर जा रही हूं ।

श्री राव ने सामाजिक समरसता के अवरोधकों पर उंगली उठाते हुए बतलाया की आजादी की लड़ाई के दौर में भी समाज की एकता को तोड़ने में ब्रिटिश हुकूमत की भी बड़ी भूमिका थी । उसने लड़ाई को कमजोर करने के लिए धर्म और जातिय आधार पर एकता को तोड़ने का काम किया । बड़ौदा नरेश के यहां बाबासाहब भीमराव अंबेडकर को अछूत कहकर उपेक्षित किया गया । उन्हें बड़ौदा नरेश के छात्रावास से अछूत कह कर निकाल दिया गया । आज धार्मिक भावनाओं को उभार कर अल्पसंख्यक समुदाय को प्रताड़ित किया जा रहा है । समाज की समरसता और धार्मिक एकता को तोड़ने वाले लोग शासन चला रहे हैं । उनके शासन को स्थायित्व देने में रीढ़ का काम समाज को तोड़ने वाली वह नीति ही कर रही है । हमें इसके खिलाफ एकजुट संघर्ष को खड़ा करना तथा उसे मजबूती देना होगा । उन्होंने सफदर हाशमी पर स्व लिखित कविता को पढ़ा कि
अब समझा तेरे होठों पर
मुस्कान का मतलब
कि तुम आजाद हो अपने
वजूद की हिफाजत के लिए
तुम्हारे जम्हूरी फसाने
वतन की रखवाली
मुफलिसी , वेवशी पे
शैदा होने की बात
ये और कुछ नहीं
महज छलावे हैं
मैंने जब भी इस मुल्क
की तरक्की मांगी
जागो जब भी आवाम
को आवाज दी
वैसे हर एक अल्फाज
तुम्हें रंज किए
अब मैं कह दूंगा उन सारे
तबाह रूहों से
जिनकी तबाही की तहरीर
बन गए हो तुम
जमीं से तेरा भी अब पांव
खिसकने वाला है
इस मुल्क की जंजीर
बन गए हो तुम
मेरा सफदर इस जहां में
अब नही रहा
उसकी सदा मगर हर
तरफ से आती है
तुमने खुद की खातिर उसको
मुझसे छीन लिया
वह खून हमें चीख
कर बुलाती है
कुछ ऐसा करो की ये
तख्त वो ताज चूर हो जाय
और मुफलिसी हमेशा के
लिए दूर हो जाय
परिचर्चा में चंद्रिका राम , जगमोहन , चंद्रभान , कमरूजामा कमर , डा. प्रो. नसीम अहमद नसीम , विजयनाथ तिवारी आदि ने सारगर्भित विचार रखे । डा . दानिस ने कहा जबतक लोग डी क्लास नहीं करेगें । तब तक सामाजिक समरसता में अवरोध आते रहेंगे । उन्होंने कहा कि सफदर नुक्कड़ नाटक के सिद्धान्तकार थे । सफदर ने लिखा कि किताबें कुछ कहना चाहती हैं । वो बकरी चराने वालों पढ़ना लिखना सीखो उन्होंने आगे कहा की सफदर एक बदलाव का नाम है । उनके शहादत पर कलकत्ता के दीवारों पर लिखा गया की शहादत का नया नाम है सफदर सफदर मोजीबुल हक बेहतरीन तरीके से सफदर और सामाजिक समरसता के अवरोधकों पर सामूहिक हल्ला बोलने का आह्वान किया । अध्यक्षीय भाषण में जलेस के पश्चिम चम्पारण जिला अध्यक्ष डा. जाकिर हुसैन जाकिर ने कहा कि प्यार के सिलसिला को मिटने नहीं देंगे । इस कार्यक्रम में नीरज बरनवाल , शंकर कुमार राव , बिनोद कुमार नरुला आदि शामिल थे ।

Related Articles

Back to top button