कोई तो मेरी हालत की तरफ एक नजर देख लो- मनरेगा भवन

समस्तीपुर:

जिला अंतर्गत कल्याणपुर प्रखंड क्षेत्र में ग्रामीण विकास विभाग के लाखों की राशि व्यय होने के बाद भी गोपालपुर पंचायत में अर्धनिर्मित मनरेगा भवन का निर्माण अधर में लटका हुआ है। जिससे उक्त भवन के सार्थकता पर सवाल उठना शुरु हो गया है। वहीं पंचायत में मनरेगा भवन नहीं होने के कारण जाॅब कार्ड बनवाने वाले मजदूरों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जबकि पंचायत में मनरेगा योजनाओं का संचालन बदस्तूर जारी है। जिससे साफ तौर पर अंदाजा लगाया जा सकता है कि मनरेगा विभाग से जुड़े मजदूरों का जाॅब कार्ड कैसे बनाया जाता है? पंचायत रोजगार सेवक द्वारा बिचौलियों के माध्यम से अपनी मर्जी से नाम जोड़ा जाता और हटाया जाता है। बावजूद विभाग उक्त भवन का निर्माण नहीं करा पा रही है और निर्माण कार्य ठप पड़ा हुआ है।

आपको बता दें कि विभाग के दिशा निर्देश पर लाखों की राशि से वार्ड नंबर 5 में दुर्गा मंदिर के समीप मनरेगा भवन का निर्माण कार्य शुरु हुआ था। उक्त भवन की ढलाई कार्य होने के बाद अचानक उक्त भवन का निर्माण कार्य ठप कर दिया गया। फिलहाल उक्त भवन खाली पड़ा हुआ है। जो कि फिलहाल आवारा पशुओं का आरामगाह बना हुआ है। उधर ग्रामीणों ने मनरेगा भवन को लेकर निर्माण में अनियमितताओं की आशंका जताई है। ग्रामीणों का मानना है कि उक्त भवन को किसी अन्य विभाग को सौंप देना चाहिए, कम से कम उक्त भवन का उपयोग होने से भवन की साफ-सफाई तो होती रहेगी। जिससे कम से कम भवन खंडहर तो नहीं बनेगा। इस संबंध में पूछे जाने पर कोई भी पदाधिकारी अपना पल्ला झाड़ते हुए अनभिज्ञता जताते आ रहे हैं। जानकारी मिलने पर हीं ग्रामीणों को कुछ जानकारी दी जा सकती है।

ज्ञात हो कि मनरेगा योजना के अंतर्गत कामकाज को स्वतंत्र और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से कार्य संचालन के लिए प्रखंड और पंचायत स्तर पर भवन निर्माण कराने का विभागीय निर्देश जारी किया गया था। वर्षों पूर्व विभाग द्वारा जारी निर्देश के आलोक में भारत निर्माण राजीव गांधी सेवा केंद्र के नाम से पंचायत स्तर पर मनरेगा भवन निर्माण कार्य शुरू किया गया था। लेकिन पंचायत में मनरेगा भवन का निर्माण कार्य वर्षों बाद भी पूर्ण नहीं हो सका है। परिणामस्वरूप पंचायत में चल रहे मनरेगा योजनाओं का संचालन पंचायत सचिवालय एवं बिचौलियों द्वारा रोजगार सेवक के आवास पर संचालित हो रहा है। इस कारण मनरेगा को स्वतंत्र और पारदर्शी बनाने की कल्पना सार्थक सिद्ध प्रतीत नहीं हो पा रहा है।

क्या कहते हैं पंचायतवासी ?

ग्रामीणों ने नाम उजागर नहीं करने के शर्त पर अपना ब्यान देते हुए बताया कि पंचायत में मनरेगा भवन निर्माण कार्य शुरू होने से लोग काफी उत्साहित थे। ग्रामीणों को उम्मीद थी कि पंचायत में ही मनरेगा से जुड़ी सारी सुविधाएं मिलने लगेगी। पंचायत के ग्रामीणों ने कहा कि उम्मीद थी कि पंचायत में कार्यालय संचालित होने से बिचौलियों से न सिर्फ निजात ही मिलेगी बल्कि इधर-उधर का चक्कर भी नहीं लगाना पड़ेगा। मगर भवन निर्माण अधूरा रहने से ग्रामीणों के मंसूबे भी अधूरे रह गये। ग्रामीणों का कहना हुआ कि मनरेगा योजना के तहत किए कार्यों की उच्च स्तरीय जांच इमानदारी पूर्वक होनी चाहिए ताकि योजनाओं में किए गए कार्यों में अनियमितताएं जनता के सामने उजागर हो सके और सरकार की इमानदारी पर कोई सवाल नहीं उठाया जाए।

फिलहाल मनरेगा भवन अपने पूर्ण होने की बाट जोहते हुए ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे कि कह रहा हो कोई तो मेरी हालत की तरफ एक नजर देख लो।

संपादिकृत ठाकुर वरुण कुमार

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