मोदी सरकार और गद्दार सावरकर का बुलबुल पर उड़ान -प्रभुराज नारायण राव

मोदी सरकार और गद्दार सावरकर का बुलबुल पर उड़ान -प्रभुराज नारायण राव
जे टी न्यूज़


बेतिया : आजादी के 75 वें साल को एक तरफ संघ और भाजपा की मोदी सरकार अमृत महोत्सव के रूप में मना रही है । 52 साल तक जो आर एस एस अपने मुख्यालय पर राष्ट्रीय झण्डा नहीं फहराया वह घर घर पर तिरंगा झण्डा फहराने का एलान किया तो दूसरी तरफ इतिहास के पन्नों को तोड़ मरोड़ कर नए तरीके से जनता के बीच रखने के कामों में मशगुल है । देश की आजादी के लिए अंडमान निकोबार सेल्यूलर जेल में ब्रिटिश हुकूमत ने देश की आजादी के लिए संघर्ष कर रहे हजारों देश के सच्चे सपूतों ने काला पानी की सजा झेल रहे थे । उसी में एक के हिंदू महासभा का सावरकर भी था । इतिहास के पन्ने बतला रहे हैं कि सावरकर को सजा होने के बाद एक दो बार नहीं बल्कि 6 बार अंग्रेजी हुकूमत के सामने माफीनामा दिया ।

जिसमें उसने कबूल किया था कि मैं आजादी की लड़ाई नहीं लड़ूंगा और ब्रिटिश हुकूमत के निर्देश पर उनकी सेवा में लगा रहूंगा । छठी बार माफीनामा के आधार पर अंग्रेजी हुकूमत ने सावरकर को जेल से रिहा कर दिया । जेल से निकलने के बाद अंग्रेजो के खिलाफ चल रहे आजादी की लड़ाई के ताकत को कमजोर करने के काम में लग गया और हिंदू राष्ट्र का नारा देकर लोगों को हिंदू के नाम पर मुख्य धारा से अलग थलग करने लगा।

इसके लिए सावरकर को अंग्रेजों ने 60 रुपए प्रति माह पेंशन तय कर दिया। एक बार महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के कलक्टर को पेंशन बढ़ाने के लिए आवेदन दिया । तो कलक्टर ने अपनी वेतन से ज्यादा उनके पेंशन को बताया था । जो सावरकर को कम पड़ रहा था । आजादी के 75 वे साल को अमृत महोत्सव के रूप में भाजपा की मोदी सरकार ने मनाने का निर्णय लिया और 15 अगस्त 2022 को देश के प्रत्येक घरों पर राष्ट्रीय झंडा फहराने का आदेश दिया । ठीक उसी समय अंग्रेजों को माफीनामा देकर जेल से निकलने वाला सावरकर के गुणगान का इतिहास प्रस्तुत किया जाने लगा । जिसमें यह बताया गया कि अंडमान निकोबार सेल्यूलर जेल के जिस कमरे में सावरकर था। उसमें कोई भी सुराग नहीं था । बावजूद इसके सावरकर बुलबुल चिड़िया पर बैठकर पूरे देश का भ्रमण करता था । उसकी अपनी सवारी बुलबुल पक्षी थी ।

इस जश्न ए आजादी के अमृत महोत्सव के मौके पर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह राष्ट्र के गद्दार सावरकर के तस्वीर और सेल्युलर जेल के चित्र पर माल्यार्पण और नमन आजादी के महान पर्व को अपमानित किया है । साथ ही इस तरह के घटिया और भद्दे इतिहास लेखन कर भाजपा के चाटुकार बुद्धिजीवी क्या बताना चाहते हैं । जब बुलबुल पक्षी पर बैठकर सावरकर पूरे देश का भ्रमण कर ही रहा था । तो फिर 6 बार माफीनामा देकर जेल से छूटने का क्या मतलब था । जब किसी पक्षी का उड़ान सावरकर द्वारा हो सकता है । तो वैसे अद्भुत बातों को अमृत महोत्सव के मौके पर ही बतलाने का क्या औचित्य था । इतना ही नहीं यह सारी चीजें आठवीं क्लास के शिक्षा में शामिल कर लिया गया है । जो भोले भाले बच्चों को पढ़ाया जाएगा । क्या इस तरह की बेतुकी विचारों को देश का बुद्धिजीवी , देश के जागरूक नौजवान तथा देश के संघर्षशील छात्र कब तक बर्दाश्त करेगें। क्या इसका विरोध करने वाले लोगों को संघ और मोदी सरकार के लोग राष्ट्र विरोधी तो नहीं कहेंगे ।

क्या जब वह गणेश जी को चूहे की सवारी और दुर्गा जी को बाघ की सवारी पर बैठा देख रहे हैं । तो उसी श्रेणी में गद्दार सावरकर को बुलबुल पक्षी पर सवार करा कर देश का उड़ान पर भेजने का काम तो नहीं कर रहे हैं ? क्या यह हमारी धार्मिक आस्था पर हमला नहीं है । क्या हमारे आराध्य के समकक्ष गद्दार सावरकर को बैठाने की सुनियोजित मोदी और अमित शाह सहित आर एस एस की साजिश नहीं है ? अगर है तो धार्मिक आस्थाओं से खिलवाड़ आस्था रखने वाली जनता बर्दास्त कर पाएगी?

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