शिक्षक हमारे राष्ट्र के धरोहर, सभी के चरणों में अपना प्रणाम अर्पित करता हूं व सादर नमन करता हूं- संजय

जिला अंतर्गत कल्याणपुर प्रखंड क्षेत्र के लदौरा उ.म.वि. के प्रांगण में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह सभी देशों में अलग-अलग तारीख को मनाया जाता है लेकिन हमारे भारत मे 5 सितंबर 1962 से शिक्षक दिवस मनाया जाता है। शिक्षक दिवस भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस के अवसर पर साल मनाया जाता है। परंतु पूरे विश्व में 5 अक्टूबर को वर्ल्ड टीचर्स डे के रूप में मनाया जाता है।

पंसस संजय कुमार ने शिक्षक दिवस पर शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1889 में मद्रास तिरूतनी (आंध्र प्रदेश) में हुआ था। डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अपने जीवन के 40 वर्ष एक शिक्षक के रूप में बिताया। उन्होंने 40 वर्षों तक बच्चों को शिक्षित करने का कार्य किया। डॉ राधाकृष्णन कोलकाता विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर के प्रोफ़ेसर रहे, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे, सन् 1952 से लेऊ 1962 की अवधि में वे भारत के उपराष्ट्रपति बने तथा सन् 1962 से लेकर 1967 तक की अवधि में वे भारत के राष्ट्रपति रहे।

पंसस संजय कुमार ने आगे कहा कि डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी ने शिक्षक दिवस मनाने की बात कही या शिक्षकों को उचित हक दिलाने का कार्य किया यह तो शोध का विषय है। फिलहाल शिक्षक दिवस का दिन विद्यार्थियों को विशेषकर अपने शिक्षकों के प्रति सम्मान प्रकट करने का व उन्हें उपहार भेंट करने का दिन होता है, क्योंकि और सभी दिन शिक्षक पढ़ाने में व्यस्त रहते हैं और बच्चे पढ़ने में इसलिए 5 सितंबर का दिन वह दिन होता है जब बच्चे अपने शिक्षक के प्रति सम्मान प्रकट करते हैं उन्हें उपहार भेंट करते हैं। सभी स्कूलों, कॉलेजों और शैक्षणिक संस्थानों में कई प्रकार के सांस्कृतिक एवं साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और शिक्षक दिवस को मनाया गया। वहीं इस दिन को कहा जाता है कि बच्चे देश के भविष्य होते हैं परंतु उनके भविष्य को निखारने का कार्य एक शिक्षक ही करते हैं, शिक्षक के बिना कोई भी आदमी डॉक्टर, इंजीनियर, कलेक्टर आदि कुछ भी नहीं बन सकता है। यहां तक की वह एक अच्छा इंसान भी शिक्षक के बिना नहीं बन सकता। हम किसी भी क्षेत्र में चले जाएं या चले जाना चाहें परंतु बिना शिक्षक के मार्गदर्शन के वहां पहुंच पाना मुमकिन ही नहीं है। चाहे हमारे देश के कोई भी महापुरुष हो या कोई भी बड़े अधिकारी हो उनको वहां तक पहुंचाने में एक शिक्षक का ही हाथ होता है। शिक्षक ही है जो बच्चे के रुचि को जानकर उन्हें उनके मार्ग दर्शन कर उनकी मंजिल तक पहुंचाने का कार्य करते हैं, इस प्रकार हम कह सकते हैं कि शिक्षक जो है समाज राष्ट्र की धरोहर हैं जिन्हें हमें संजो कर रखना है, शिक्षक हमारे जीवन को सही दिशा दिखा कर मार्गदर्शन करके हमें लक्ष्य की दिशा में अग्रसर करा कर हमारे जीवन को सफल बना देते हैं, कहा जाता है कि शिक्षक सड़क के समान है जो खुद तो वहीं के वहीं रहते हैं परंतु सभी को उनके मंजिल तक पहुंचा देते हैं।

पंसस संजय कुमार ने कहा कि मैं अपना जीवन उन सभी शिक्षकों जिन्होंने ने मुझे शिक्षित किया है और जो मुझे शिक्षित कर रहे हैं सभी के चरणों में अपना प्रणाम अर्पित करता हूं और सादर नमन करता हूं।

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