जिलाधिकारी की अध्यक्षता में सात निश्चय पार्ट 2 अंतर्गत स्ट्रीट लाइट योजना के शुभारंभ

जिलाधिकारी की अध्यक्षता में सात निश्चय पार्ट 2 अंतर्गत स्ट्रीट लाइट योजना के शुभारंभ
जे टी न्यूज़

 

समस्तीपुर:जिलाधिकारी की अध्यक्षता में सात निश्चय पार्ट 2 अंतर्गत (स्वच्छ गांव समृद्ध गांव) माननीय मुख्यमंत्री बिहार सरकार के द्वारा मुख्यमंत्री ग्रामीण सोलर स्ट्रीट लाइट योजना* के शुभारंभ का सीधा प्रसारण वेबीनार के जरिए समाहरणालय सभागार कक्ष में आहूत किया गया।

इस सेमिनार में जिलाधिकारी, अपर समाहर्ता, उप विकास आयुक्त, जिला परिषद अध्यक्षा श्रीमती खुशबू कुमारी, जिला स्तरीय सभी पदाधिकारी गण एवं जिला परिषद के माननीय सदस्य गण एवं पंचायत समिति के प्रमुख उपस्थित थे।

सोलर स्ट्रीट लाइट योजना के तहत जिला अंतर्गत सभी ग्राम पंचायतों के प्रत्येक वार्ड में सार्वजनिक उपयोग हेतु चिन्हित स्थलों पर चरणबद्ध रूप से सोलर स्ट्रीट लाइट का अधिष्ठापन किया जाना है।

 

सोलर स्ट्रीट लाइट का अधिष्ठापन सार्वजनिक स्थान पर विद्युत वितरण पोल पर एंगल लगाकर 5 मीटर की ऊंचाई पर किया जाएगा।

सोलर स्ट्रीट लाइट के अधिष्ठापन हेतु स्थलों का चयन:
प्रत्येक वार्ड में औसतन 10 प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर औसतन 10.
ग्राम पंचायत अपने स्तर से 10 वैसे सोलर स्ट्रीट लाइट के अधिष्ठापन हेतु सार्वजनिक/सरकारी स्थानों का चयन करेगा जो वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति की अनुमोदित सूची में नहीं है।

इस योजना के क्रियान्वयन में पंचायती राज विभाग के लिए ब्रेडा तकनीकी परामर्श एजेंसी होगी।

जिला पदाधिकारी की अध्यक्षता में गठित जिला स्तरीय समन्वय समिति पर जिला अंतर्गत योजना के कार्यान्वयन एवं समन्वय का पूर्ण दायित्व है एवं इसकी अनुशंसा के आधार पर सदस्य सचिव- सह- जिला पंचायत राज पदाधिकारी के द्वारा एजेंसियों को सोलर स्ट्रीट लाइट अधिष्ठापन हेतु प्रखंड आमंत्रित किया जाएगा। एजेंसी द्वारा कार्य की प्रगति असंतोषप्रद होने की स्थिति में प्रखंड के आंशिक/पूर्ण पंचायत को किसी दूसरी एजेंसी को आवंटित किया जाएगा।

जिला पंचायत राज पदाधिकारी-सह- अपर मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी, जिला परिषद जो जिला स्तरीय समन्वय समिति के सदस्य सचिव हैं, इस योजना के नोडल पदाधिकारी होंगे। परंतु जिला पदाधिकारी अपने स्तर से विभाग की सहमति के उपरांत नोडल पदाधिकारी परिवर्तित भी कर सकते हैं।

शिकायत निवारण हेतु पंचायती राज विभाग द्वारा ऑनलाइन दूरभाष आधारित शिकायत निवारण तंत्र भी विकसित किया जाएगा।

वेबीनार के समाप्ति उपरांत जिलाधिकारी जिला अधिकारी के द्वारा प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट का कार्यशाला जूम आईडी के माध्यम से प्रस्तुत किया गया जिसमें लगभग 100 से ज्यादा लोग कनेक्टेड थे।
जिलाधिकारी द्वारा बतलाया गया कि कचरा प्रसंस्करण यूनीट के द्वारा हम लोग कचरे को भी अपने दैनिक जीवन में उस से बनी वस्तुएं का निर्माण कर उपयोग में ला सकते हैं। जैसे गीले कचरे से खाद बनाया जा सकता है। सूखे कचरे को अलग-अलग भागों में बांटकर बेलर मशीन से कंप्रेस कर, उसे गला कर फिर से दूसरी गृह उपयोगी वस्तुएं बनाई जा सकती है। पीने वाले प्लास्टिक के बोतल से 3 अलग-अलग प्रकार के प्लास्टिक अलग किए जा सकते हैं, और उसे अलग-अलग दामों पर बेचा जाता है। ठीक इसी प्रकार दूध के पैकेट, चिप्स के पैकेट इत्यादि के रीसाइक्लिंग के बारे में जानकारी साझा की गई।
उप विकास आयुक्त द्वारा बताया गया कि सभी ग्रामों में कचरा प्रसंस्करण यूनिक लगाया जा रहा है। जिसमें की 59 पंचायतों में निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है, और वर्तमान में 19 गांव में निर्माण कार्य प्रगति पर है। जिसे जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा। गांव में इसे लगाने का मुख्य उद्देश्य है की गांव में इकट्ठे होने वाले कचरा को प्रसंस्करण कर रि साइकिलिंग के जरिए उसे फिर से दैनिक उपयोगी युक्त बनाना।


उनके द्वारा बताया गया कि प्रत्येक गांव में दो_ दो कर्मी इसके लिए कार्यरत रहेंगे। प्रत्येक टोले, मोहल्ले से ठेला गाड़ी से कचरा संग्रहण कर उसे प्रखंड स्तर पर जमा किया जाएगा, फिर उसे अलग-अलग वर्गीकरण कर उसे प्रोसेसिंग किया जाएगा। उसके बाद उसका रीसाइक्लिंग किया जाएगा।
सभी उपस्थित जनप्रतिनिधियों को निर्देशित किया गया कि अपने अपने क्षेत्रों में सूखे व गीले कचरों को घरों में ही अलग-अलग रखकर कचरा यूनिट में फेंके। जिससे कचरे का पृथक्करण आसानी से किया जा सके।
जिलाधिकारी द्वारा बताया गया कि आप लोगों को जागरूक करने हेतु यह सेमिनार किया जा रहा है। प्लास्टिक का बहुत ही ज्यादा डिमांड होता है उसे गला कर दाने बनाए जाते हैं। खिलौने बनाए जाते हैं। चप्पल इत्यादि बनाए जाते हैं। जिले में कचरा प्रोसेसिंग यूनिट 10 एमटी (मीट्रिक टन) क्षमता वाला बनाया जा रहा है,जोकि बिहार का पहला इतना वृहत क्षमता वाला प्रोसेसिंग यूनिट है। शत प्रतिशत कचरे का निस्तारण करने हेतु सभी उपस्थित जनप्रतिनिधियों को निर्देशित किया गया।
सूखे कचरे को तौल कर कचरा संग्राहक द्वारा आपको उचित रुपया भी दिया जाएगा। एचडीएफसी एवं कचरा प्रबंधन समिति के विशेषज्ञ द्वारा बनाया गया।
जिलाधिकारी द्वारा बतलाया गया कि गांव से लेकर शहर तक कचरा बिल्कुल नहीं रखने का लक्ष्य लिया गया है। हम लोगों को राज्य में पहला जिला बनना है कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में इसके लिए आप लोगों का सहयोग अपेक्षित है।

जे टी न्यूज़

समस्तीपुर:जिलाधिकारी की अध्यक्षता में सात निश्चय पार्ट 2 अंतर्गत (स्वच्छ गांव समृद्ध गांव) माननीय मुख्यमंत्री बिहार सरकार के द्वारा मुख्यमंत्री ग्रामीण सोलर स्ट्रीट लाइट योजना* के शुभारंभ का सीधा प्रसारण वेबीनार के जरिए समाहरणालय सभागार कक्ष में आहूत किया गया।

इस सेमिनार में जिलाधिकारी, अपर समाहर्ता, उप विकास आयुक्त, जिला परिषद अध्यक्षा श्रीमती खुशबू कुमारी, जिला स्तरीय सभी पदाधिकारी गण एवं जिला परिषद के माननीय सदस्य गण एवं पंचायत समिति के प्रमुख उपस्थित थे।

सोलर स्ट्रीट लाइट योजना के तहत जिला अंतर्गत सभी ग्राम पंचायतों के प्रत्येक वार्ड में सार्वजनिक उपयोग हेतु चिन्हित स्थलों पर चरणबद्ध रूप से सोलर स्ट्रीट लाइट का अधिष्ठापन किया जाना है।

सोलर स्ट्रीट लाइट का अधिष्ठापन सार्वजनिक स्थान पर विद्युत वितरण पोल पर एंगल लगाकर 5 मीटर की ऊंचाई पर किया जाएगा।

सोलर स्ट्रीट लाइट के अधिष्ठापन हेतु स्थलों का चयन:
प्रत्येक वार्ड में औसतन 10 प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर औसतन 10.
ग्राम पंचायत अपने स्तर से 10 वैसे सोलर स्ट्रीट लाइट के अधिष्ठापन हेतु सार्वजनिक/सरकारी स्थानों का चयन करेगा जो वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति की अनुमोदित सूची में नहीं है।

इस योजना के क्रियान्वयन में पंचायती राज विभाग के लिए ब्रेडा तकनीकी परामर्श एजेंसी होगी।

जिला पदाधिकारी की अध्यक्षता में गठित जिला स्तरीय समन्वय समिति पर जिला अंतर्गत योजना के कार्यान्वयन एवं समन्वय का पूर्ण दायित्व है एवं इसकी अनुशंसा के आधार पर सदस्य सचिव- सह- जिला पंचायत राज पदाधिकारी के द्वारा एजेंसियों को सोलर स्ट्रीट लाइट अधिष्ठापन हेतु प्रखंड आमंत्रित किया जाएगा। एजेंसी द्वारा कार्य की प्रगति असंतोषप्रद होने की स्थिति में प्रखंड के आंशिक/पूर्ण पंचायत को किसी दूसरी एजेंसी को आवंटित किया जाएगा।

जिला पंचायत राज पदाधिकारी-सह- अपर मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी, जिला परिषद जो जिला स्तरीय समन्वय समिति के सदस्य सचिव हैं, इस योजना के नोडल पदाधिकारी होंगे। परंतु जिला पदाधिकारी अपने स्तर से विभाग की सहमति के उपरांत नोडल पदाधिकारी परिवर्तित भी कर सकते हैं।

शिकायत निवारण हेतु पंचायती राज विभाग द्वारा ऑनलाइन दूरभाष आधारित शिकायत निवारण तंत्र भी विकसित किया जाएगा।

वेबीनार के समाप्ति उपरांत जिलाधिकारी जिला अधिकारी के द्वारा प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट का कार्यशाला जूम आईडी के माध्यम से प्रस्तुत किया गया जिसमें लगभग 100 से ज्यादा लोग कनेक्टेड थे।
जिलाधिकारी द्वारा बतलाया गया कि कचरा प्रसंस्करण यूनीट के द्वारा हम लोग कचरे को भी अपने दैनिक जीवन में उस से बनी वस्तुएं का निर्माण कर उपयोग में ला सकते हैं। जैसे गीले कचरे से खाद बनाया जा सकता है। सूखे कचरे को अलग-अलग भागों में बांटकर बेलर मशीन से कंप्रेस कर, उसे गला कर फिर से दूसरी गृह उपयोगी वस्तुएं बनाई जा सकती है। पीने वाले प्लास्टिक के बोतल से 3 अलग-अलग प्रकार के प्लास्टिक अलग किए जा सकते हैं, और उसे अलग-अलग दामों पर बेचा जाता है। ठीक इसी प्रकार दूध के पैकेट, चिप्स के पैकेट इत्यादि के रीसाइक्लिंग के बारे में जानकारी साझा की गई।
उप विकास आयुक्त द्वारा बताया गया कि सभी ग्रामों में कचरा प्रसंस्करण यूनिक लगाया जा रहा है। जिसमें की 59 पंचायतों में निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है, और वर्तमान में 19 गांव में निर्माण कार्य प्रगति पर है। जिसे जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा। गांव में इसे लगाने का मुख्य उद्देश्य है की गांव में इकट्ठे होने वाले कचरा को प्रसंस्करण कर रि साइकिलिंग के जरिए उसे फिर से दैनिक उपयोगी युक्त बनाना।
उनके द्वारा बताया गया कि प्रत्येक गांव में दो_ दो कर्मी इसके लिए कार्यरत रहेंगे। प्रत्येक टोले, मोहल्ले से ठेला गाड़ी से कचरा संग्रहण कर उसे प्रखंड स्तर पर जमा किया जाएगा, फिर उसे अलग-अलग वर्गीकरण कर उसे प्रोसेसिंग किया जाएगा। उसके बाद उसका रीसाइक्लिंग किया जाएगा।
सभी उपस्थित जनप्रतिनिधियों को निर्देशित किया गया कि अपने अपने क्षेत्रों में सूखे व गीले कचरों को घरों में ही अलग-अलग रखकर कचरा यूनिट में फेंके। जिससे कचरे का पृथक्करण आसानी से किया जा सके।
जिलाधिकारी द्वारा बताया गया कि आप लोगों को जागरूक करने हेतु यह सेमिनार किया जा रहा है। प्लास्टिक का बहुत ही ज्यादा डिमांड होता है उसे गला कर दाने बनाए जाते हैं। खिलौने बनाए जाते हैं। चप्पल इत्यादि बनाए जाते हैं। जिले में कचरा प्रोसेसिंग यूनिट 10 एमटी (मीट्रिक टन) क्षमता वाला बनाया जा रहा है,जोकि बिहार का पहला इतना वृहत क्षमता वाला प्रोसेसिंग यूनिट है। शत प्रतिशत कचरे का निस्तारण करने हेतु सभी उपस्थित जनप्रतिनिधियों को निर्देशित किया गया।
सूखे कचरे को तौल कर कचरा संग्राहक द्वारा आपको उचित रुपया भी दिया जाएगा। एचडीएफसी एवं कचरा प्रबंधन समिति के विशेषज्ञ द्वारा बनाया गया।
जिलाधिकारी द्वारा बतलाया गया कि गांव से लेकर शहर तक कचरा बिल्कुल नहीं रखने का लक्ष्य लिया गया है। हम लोगों को राज्य में पहला जिला बनना है कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में इसके लिए आप लोगों का सहयोग अपेक्षित है।

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