संस्कारों के निर्माण की एक अद्वितीय पाठशाला है संघ की शाखा

संस्कारों के निर्माण की एक अद्वितीय पाठशाला है संघ की शाखा

जेटी न्यूज
मोतिहारी,पू०च०।
संघ की शाखा संस्कारों के निर्माण की एक अद्वितीय पाठशाला है। मानसिक बौद्धिक और शारीरिक रूप से दक्ष होने का हर प्रशिक्षण संघ की शाखा में होता है। अतः नित्य शाखा जाने वाले स्वयंसेवकों के भीतर कार्यकर्ता का गुण स्वतः विकसित होता है।उक्त विचार रविवार की रात महर्षिनगर स्थित आर्षविद्या शिक्षण प्रशिक्षण सेवा संस्थान-वेद विद्यालय में गायत्री प्रभात शाखा,छोटा बरियारपुर एवं संस्कृत भारती,पूर्वी चम्पारण के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित शरद् पूर्णिमा उत्सव सह महर्षि वाल्मीकि जयंती कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए शिक्षाविद् विनोद पाण्डेय ने व्यक्त किया।विशिष्ट अतिथि महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के सहायक आचार्य व संस्कृत भारती के जिला संयोजक प्रोफेसर विश्वेश वाग्मी ने महर्षि वाल्मीकि जयंती पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महर्षि वाल्मीकि को प्राचीन वैदिक काल के महान ऋषियों की श्रेणी में प्रमुख स्थान प्राप्त है। इनके द्वारा रचित रामायण महाकाव्य मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन और उनसे संबंधित घटनाओं पर आधारित है,जो मानव जीवन के विभिन्न कर्त्तव्यों से परिचित करवाता है।वेद विद्यालय के प्राचार्य सह चम्पारण विभाग के कुटुम्ब प्रबोधन प्रमुख सुशील कुमार पाण्डेय ने कहा कि हिन्दू समाज को संगठित कर भारत माता को परम वैभव के सर्वोच्च शिखर पर स्थापित करना ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मुख्य लक्ष्य है। संघ समरस समाज की स्थापना के लिए सतत कार्यशील है। वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना ही संघ की पहचान है। संघ यह मानता है कि हिन्दुत्व एक जीवन पद्धति है।कार्यक्रम के अन्तर्गत स्वयंसेवकों के बीच खेल,संगीत व सामूहिक रामायण पाठ का आयोजन किया गया तथा प्रार्थना के बाद सभी ने प्रसाद स्वरूप खीर ग्रहण किया।मौके पर आलोक चन्द्र,राकेश तिवारी,डा• नितेश कुमार,वेद प्रकाश,राजीव तिवारी,शैलेन्द्र गिरि,रजनीश कुमार,सूर्य प्रकाश,अरुण तिवारी,जनार्दन भोई,सुखेन कुमार सहित दर्जनों स्वयंसेवक मौजूद थे।

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