मोदी सरकार द्वारा निर्धारित एम एस पी किसानों के साथ धोखा -प्रभुराज

मोदी सरकार द्वारा निर्धारित एम एस पी किसानों के साथ धोखा -प्रभुराज नारायण राव


जे टी न्यूज़
बेतिया : बिहार राज्य किसान सभा के संयुक्त सचिव प्रभुराज नारायण राव ने कहा कि भारत सरकार ने किसानों के लिए वर्ष 2022 23 और 2023 24 के लिए धान तथा रवि फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण किया है । वह एक बार फिर किसानों के साथ धोखा है । वर्ष 2022 23 के लिए धान का एमएसपी 2040 रुपए प्रति क्विंटल और गेहूं का एमएसपी 23 24 के लिए 2115 रुपैया प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है । जो स्वामीनाथन कमीशन के अनुशंसा के बिल्कुल विपरीत है । स्वामीनाथन कमीशन ने फसल में लागत का डेढ़ गुना दाम किसानों को देने का अनुशंसा किया है और मोदी सरकार लगातार प्रचार कर रही है कि हम स्वामीनाथन कमीशन के अनुशंसा के आधार पर किसानों को एमएसपी दे रहे हैं ।

 

मोदी सरकार को यह पता है कि उनके द्वारा लगातार उर्वरकों का दाम बढ़ाया जा रहा है । कृषि के तमाम उपकरण के दामों में , खाद बीज के दामों में वृद्धि हो रही है । ऐसी स्थिति में एमएसपी में 5. 5 प्रतिशत गेहूं के दर में वृद्धि कहां तक न्याय संगत है । बड़े पैमाने पर पिछले दिनों खाद की कृत्रिम अभाव पैदा कर यूरिया खाद 1000 रुपए प्रति बोरी बेचा गया । सरकार और उसके कृषि पदाधिकारियों के निगरानी के अंतर्गत खाद की कलाबाजारी होता रहा । आज स्थिति यह है कि खेती किसानों के लिए भारी संकट बनता जा रहा है । एमएसपी में की गई वृद्धि कृषि क्षेत्र में अत्यधिक बढ़ी हुई लागत के आधार पर किसानों को दी जाने वाली मूल्य आवश्यकताओं की कीमतों में बड़े हुए मुद्रास्फीति के मुकाबले बहुत कम है ।

जबकि स्वामीनाथन आयोग ने अपनी अनुशंसा में साफ-साफ कहा है कि फसल में लागत का डेढ़ गुना दाम यानी C 2 + 50% अधिक किसानों को आए देने वाली एमएसपी होनी चाहिए । इस दृष्टि से सरकार द्वारा घोषित यह एम एस पी बहुत कम ही नहीं , बल्कि किसानों के उत्पादन को व्यापारियों के हाथ लूटने की खुली छूट देना है । खेती की लागत में जो भारी वृद्धि हुई है । उसको केंद्र सरकार बहुत ही कम करके देखा है । केंद्रीय कृषि लागत और मूल्य आयोग ने जो खेती में होने वाले खर्चों को दर्शाया है । वह किसानों के साथ भारी अन्याय है । इनके सीएसीपी के मुताबिक ज्यादातर रवि फसलों की खेती के लागत को बहुत ही कम दिखाया गया है । आखिर जब न्यूनतम समर्थन मूल्य के आधार पर सरकार किसानों से रवि की खरीदारी करती ही नहीं है । तो फिर किसानों की लागत को कम दिखा कर एक सरकारी प्रमाण पत्र व्यापारियों के हित के लिए जारी करना कहां तक उचित है ।

जबकि किसान अपने उत्पादन का विक्री व्यापारियों के हाथ ही करते हैं और केंद्र सरकार के द्वारा साल में दो बार एमएसपी का निर्धारण करना किसानों के लिए भारी नुकसान और देश के व्यापारियों को फायदा पहुंचाने वाला है । इसलिए बिहार राज्य किसान सभा 2022 23 के लिए सरकार द्वारा निर्धारित एमएसपी को किसान विरोधी करार देती है और देश के बड़े व्यापारी जो खद्दानो को गोदामों में बंद करके भारी दामों में मुनाफा लेकर बेचते हैं ।

उनके लिए लाभ कर बताई है । आज गेहूं बाजार में 2500 रुपए प्रति क्विंटल खुलेयाम बिक रहा है । तो गेहूं का एम एस पी 2115 रुपए प्रति क्विंटल करना , किसानों का सुनियोजित लूट नहीं तो और क्या है? बिहार राज्य किसान सभा इस किसान विरोधी एम एस पी का कड़े शब्दों में विरोध करती है और मांग करती है कि स्वामीनाथन आयोग के अनुशंसाओं के आधार पर एम एस पी का निर्धारण किया जाय । जिससे किसानों को लाभ मिल सके ।

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