16 वीं जयंती के अवसर पर महाराजाधिराज स्वर्गीय सर कामेश्वर सिंह की आदमकद प्रतिमा का विश्वविद्यालय परिसर में हुआ अनावरण

 

विकास का सबसे बड़ा मापक शिक्षा है। सामूहिक रूप से लिये गये निर्णय के अनुसार कार्य करना बेहतर होता है। महाराजा स्वर्गीय कामेश्वर सिंह शिक्षा, स्वास्थ्य एवं रोजगार के प्रति लोक कल्याणकारी एवं बेहतरीन सोच के धनी व्यक्तित्व थे। उनके चिंतन, दर्शन एवं कार्य सराहनीय हैं। उक्त बातें ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति प्रोफेसर सुरेन्द्र प्रताप सिंह ने 116 वीं जयंती के अवसर पर महाराजाधिराज स्वर्गीय सर कामेश्वर सिंह की आदमकद प्रतिमा का अनावरण करते हुए कही। कुलपति ने कहा कि महाराजा की बोलती हुई प्रतीत होने वाली मूर्ति दोनों विश्वविद्यालय के प्रवेश स्थल पर स्थापित होना प्रसन्नता की बात है। उन्होंने विश्वविद्यालय की ओर से शुभकामनाएं देते हुए मूर्ति की स्थापना में सहयोग करने वाले सभी व्यक्तियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि एक ही परिसर कामेश्वरनगर में 2 विश्वविद्यालयों की स्थापना और संचालन अन्यत्र दुर्लभ है। हरेक सृजन कार्य का हमेशा पहले विरोध होता है, परंतु संघर्ष से ही स्थायी उपलब्धियां प्राप्त होती हैं।

वहीं कुलपति ने विश्वविद्यालय में नवनिर्मित एडवांस रिसर्च सेंटर का लाल फीता काटकर उद्घाटन करते हुए कहा कि बिहार के विश्वविद्यालयों में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय प्रथम विश्वविद्यालय है, जहां एडवांस रिसर्च सेंटर प्रारंभ हो रहा है। इसका लाभ विश्वविद्यालय के शिक्षकों व शोधार्थियों के साथ ही अन्य लोगों को भी मिलेगा। ई- लाइब्रेरी से बिना शुल्क तथा सशुल्क स्तरीय जर्नलों एवं पुस्तकों को एक क्लिक के माध्यम से शिक्षक व शोधार्थी घर बैठे लाभ उठा सकेंगे।

प्रोफेसर सिंह ने बताया कि मेरे कार्यकाल के प्रथम वर्ष में 603 शोधार्थियों ने पीएच डी की उपाधि प्राप्त की जो देश का एक रिकॉर्ड है। एक प्रश्न के उत्तर में कुलपति ने कहा कि अपने विश्वविद्यालय के सभी छात्र ई- लाइब्रेरी आदि का नि:शुल्क लाभ उठाएंगे, परंतु अन्य लोगों को कुछ शुल्क के साथ लाभ उठाने का अवसर दिया जाएगा।

संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर शशिनाथ झा ने कहा कि बड़े हर्ष की बात है कि दानवीर कर्ण सदृश महाराजा कामेश्वर सिंह की मूर्ति का अनावरण विश्वविद्यालय परिसर में हुआ है, जिसका हमलोग काफी दिनों से इंतजार कर रहे थे। महाराजा का काम ही उनका यश है। उनकी दानशीलता पूरे भारतवर्ष में विख्यात रहा है। उन्होंने मूर्ति स्थापना स्थल को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि यहां प्रतिदिन शिक्षकों, शिक्षकेतर कर्मियों एवं छात्रों को महाराजा के दर्शन होंगे।

विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो मुश्ताक अहमद ने कहा कि महाराजा कामेश्वर सिंह की आदमकद प्रतिमा के अनावरण से आज विश्वविद्यालय 50 वर्षों के ऋण से मुक्त हो रहा है। महाराजा होते हुए भी वे समाज के प्रति काफी संवेदनशील थे। उन्होंने मिथिला क्षेत्र में अनेक उद्योगों की भी स्थापना करवायी थी। देश के अधिकांश शैक्षणिक संस्थानों के निर्माणों में उनका सराहनीय योगदान रहा है। आज का दिन विश्वविद्यालय के स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा, क्योंकि आज का यह ऐतिहासिक क्षण हमें गौरवान्वित कर रहा है। कुलसचिव ने बताया कि विश्वविद्यालय में दिव्यांगों के लिए ब्रेल लाइब्रेरी का भी आज शुभारंभ हो रहा है। वहीं एडवांस रिसर्च सेंटर में कार्यरत एवं अवकाश प्राप्त शिक्षकों के विशेष व्याख्यान रिकॉर्ड होंगे, जिसका लाभ शोधार्थियों व छात्रों को मिलेगा।

सीनेट सदस्य डा बैजू चौधरी ने कहा कि वर्तमान कुलपति महाराजा कामेश्वर सिंह के साथ ही गांधी जी की मूर्ति का भी अनावरण किया है। वहीं अन्य मूर्तियों को भी छतरी प्रदान कर सराहनीय कार्य किया है। दोनों विश्वविद्यालयों का विस्तृत जमीन एवं भवन महाराजा से ही प्राप्त हुआ है। बीएचयू के निर्माण में भी सर कामेश्वर सिंह का सबसे बड़ा योगदान था, जिनके नाम पर आज विश्वविद्यालय में कामेश्वर चेयर संचालित है।

पूर्व विधान पार्षद प्रो विनोद कुमार चौधरी ने कहा कि वर्तमान कुलपति के कार्यकाल में अनेक ऐतिहासिक एवं अभूतपूर्व कार्य हुए हैं। महाराजा की मूर्ति के अनावरण को खुशी का अवसर बताते हुए, इनमें संलग्न सभी व्यक्तियों को बधाई एवं धन्यवाद दिया। इस अवसर पर महाराजा के पौत्र रत्नेश्वर सिंह ने कहा कि आज महाराज परिवार के लिए अत्यंत खुशी की बात है कि उनकी मूर्ति की स्थापना दोनों विश्वविद्यालय के संगम स्थल पर हुआ है।

इस अवसर पर कुलपति प्रोफेसर एस पी सिंह ने विश्वविद्यालय परिसर में नवनिर्मित एडवांस रिसर्च सेंटर का भी उद्घाटन किया। कुलपति ने सेंटर के विभिन्न सेलों के कोऑर्डिनेटरों तथा संबंधित अधिकारियों से विशेष जानकारियां प्राप्त की तथा निर्देश दिया कि इन कोऑर्डिनेटरों का यथाशीघ्र प्रशिक्षण करा कर कार्यारंभ किया जाए।

इस अवसर पर सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो जितेन्द्र नारायण, विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो शिशिर कुमार वर्मा, मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो ए के बच्चन, पूर्व कुलसचिव प्रो अजीत कुमार सिंह, डब्ल्यू आई टी के निदेशक प्रो विमलेन्दु शेखर झा, परीक्षा नियंत्रक डा आनंद मोहन मिश्र, अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रो मंजू राय, डा सोनी कुमारी, डा कामेश्वर पासवान, डा मो जिया हैदर, डा घनश्याम महतो, डा आनंद प्रकाश गुप्ता, प्रो सुरेन्द्र प्रसाद, डा सुरेश पासवान, डा विनोद बैठा, डा दिव्या रानी हंसदा, प्रो राजेन्द्र साह, प्रो शहनाज बेगम, डा रुद्रकांत अमर, डा आर एन चौरसिया, प्रो विजय कुमार यादव, प्रो शाहिद हसन, डा यू एन तिवारी, डा महेश प्रसाद सिंहा, प्रो दमन झा, डा अयाज अहमद, मीना झा एवं गोपाल जी, डा अरविन्द मिलन, डा मनुराज शर्मा, प्रो पूनिता झा, डा ममता स्नेही, डा रश्मि शिखा, डा संतोष कुमार व डा पूजा अग्रवाल आदि उपस्थित थे।

स्वस्तिवाचन गंधर्व जी ने किया, जबकि प्रो अशोक कुमार मेहता के संचालन में आयोजित कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन प्रो अजय नाथ झा ने किया।

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