आरएसएस और भाजपा बाबा साहेब के बनाए संविधान को बदलने के मिशन पर काम कर रही – चित्तरंजन गगन जे टी न्यूज़

आरएसएस और भाजपा बाबा साहेब के बनाए संविधान को बदलने के मिशन पर काम कर रही – चित्तरंजन गगन
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पटना : राजद कार्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने कहा कि आरएसएस और भाजपा सुनियोजित तरीके से बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर के बनाए संविधान को बदलने के मिशन पर काम कर रही है। जो किसी भी हाल में पुरी नहीं होगी। उसकी योजना है कि किसी प्रकार 2024 में पुनः सत्ता में आकर 2025 में आरएसएस के स्थापना के सौ साल पुरा होने के पहले इस देश में भारतीय संविधान को बदलकर मनुस्मृति वाली व्यवस्था लागू कर दिया जाए। पर देश की जनता उसके इस मंसूबे से वाकिफ होकर 2024 के चुनाव में भाजपा मुक्त भारत बनाने का संकल्प ले चुकी है।

उसकी कोई भी चालबाजी इस‌ बार चलने वाली नहीं है। राजद प्रवक्ता ने कहा कि इसी मिशन के तहत प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देवरॉय का एक लेख गत दिनों एक समाचारपत्र में प्रकाशित हुआ था। और उसके बाद भाजपा और आरएसएस से जुड़े सोशल मीडिया पर वर्तमान संविधान को बदलने के पक्ष में माहौल बनाने का अभियान चलाया जा रहा है। सच्चाई यह है कि आरएसएस ने कभी इस संविधान को स्वीकार हीं नहीं किया है। इसे बदलना उसके मुख्य एजेंडे में शामिल है। संविधान के अन्तिम प्रारुप की स्वीकृति के तीन दिन बाद हीं 30 नवम्बर 1949 को प्रकाशित आरएसएस के समाचार पत्र और्गनाइजर ने भारतीय संविधान को औपनिवेशिक विरासत बताकर मनुवादी व्यवस्था लागू करने की वकालत की थी। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा अनेकों बार संविधान की समीक्षा करने की बात सार्वजनिक रूप से कही गई है। अटल बिहारी वाजपेई जी की सरकार के समय भी संविधान समीक्षा की बात कही गई थी ।

राजद प्रवक्ता ने कहा कि दरअसल में आरएसएस और भाजपा को संविधान के प्रस्तावना में वर्णित धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र, न्याय, स्वतंत्रता और समानता जैसे शब्दों से शख्त एतराज है। इसीलिए बिबेक देवरॉय ने अपने लेख में कहा भी है कि अब इन शब्दों का क्या मतलब है। वे नागरिकता की नई परिभाषा चाहते हैं। 1973 में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया है कि संविधान के बेसिक ढांचे में कोई बदलाव नहीं हो सकता। 19 मार्च 2020 को मनोनीत होने के तीन वर्ष बाद पहली बार संसद के पिछले सत्र के दौरान राज्यसभा में बोलते हुए पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के इस बयान कि श्संविधान के बेसिक ढांचे को लेकर बहस हो सकती है ‘‘ को हल्के में नहीं लिया जा सकता। जबकि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में 2019 में इन्होंने ने हीं कहा था कि ‘‘न्यायपालिका की आजादी बेहद खतरे में है’’। सुप्रीम कोर्ट द्वारा पिछले दिनों दिए गए कुछ फैसले केन्द्र की भाजपा सरकार को रास नहीं आ रहा है। भाजपा के दिवंगत नेता अरुण जेटली ने केन्द्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद 2015 में कहा भी था कि ‘‘लोकतंत्र में जो चुने नहीं गए हैं उनकी तानाशाही नहीं चलेगी’’। इसलिए आरएसएस और भाजपा संविधान बदलकर सभी स्वायत्त संस्थाओं को अपने नियंत्रण में लेकर एकदलीय अधिनायकवाद के तहत सदियों पूर्व वाली मनुवादी व्यवस्था लागू करना चाह रही है। जिसके तहत महिलाओं, दलितों, पिछड़ों, अति पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को संविधान प्रदत्त सारे अधिकार समाप्त कर दिए जाएंगे। प्रधानमंत्री जी पिछले कुछ दिनों से 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का सपना दिखा रहे हैं तो बिबेक देवरॉय कह रहे हैं कि 2047 के लिए नया संविधान चाहिए। यह सब संविधान बदलने के मिशन की हीं कड़ी है।

राजद प्रवक्ता ने कहा कि औपनिवेशिक विरासत बताकर भारतीय संविधान को अपमानित करने वाले बिबेक देवरॉय कोई साधारण व्यक्ति नहीं हैं। वे प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष हैं। इसके बावजूद उनका लेख प्रकाशित हुए दस दिन हो गए पर अबतक सरकार और भाजपा की ओर से कोई प्रतिक्रिया का नहीं आना यह साबित करता है कि एक मिशन के तहत हीं उनका यह लेख प्रकाशित हुआ है और इसी मिशन के तहत पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई का बयान राज्यसभा में दिलवाया गया है। जिस संविधान के तहत लोकतांत्रिक व्यवस्था में सभी धर्म,‌ जाती, वर्ग, लिंग और समुदायों के नागरिकों को समानता, स्वतंत्रता और न्याय के साथ हीं सम्मानपूर्वक जीने और सबको एकसमान एक वोट का अधिकार दिया गया है। जिसे बनाने में स्वतंत्रता संग्राम के महानायकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। जिसके पहले मसविदे को सार्वजनिक कर आमलोगों से प्राप्त कुल 7635 संशोधनों में 2473 संशोधनों को स्वीकार किया गया। उसे औपनिवेशिक विरासत बताना बहुत बड़ा राष्ट्रीय अपराध है।

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