भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) का प्रशिक्षण शिविर राजगीर में प्रारम्भ पार्टी के पोलित ब्यूरो सदस्य का. प्रकाश करात का मार्क्सवादी दर्शन पर वक्तव्य
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) का प्रशिक्षण शिविर राजगीर में प्रारम्भ
पार्टी के पोलित ब्यूरो सदस्य का. प्रकाश करात का मार्क्सवादी दर्शन पर वक्तव्य
जे टी न्यूज़, राजगीर : भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की बिहार राज्य स्तरीय प्रशिक्षण शिविर 19 से 21 सितम्बर तक राजगीर में हो रहा है। आज पार्टी के पोलित ब्यूरो सदस्य का. प्रकाश करात मार्क्सवादी दर्शन पर अपने विचार दे रहे हैं। अध्यक्षता का. अरुण कुमार मिश्र ने किया । का. प्रकाश करात ने कहा कि मार्क्सवाद एक दर्शन है । मानव समाज के राजनीतिक , सामाजिक और आर्थिक आधारों को इस दर्शन से समझा जाता है। दर्शन का भी वर्गीय आधार होता है । मानव और जानवर में यहीं बुनियादी फर्क है कि मानव उत्पादन करता है । जानवर उत्पादन नहीं करता । वो वर्ग जिनका उत्पादनों पर कब्जा है और जो उत्पादक है और उसका कब्जा उस पर नहीं है । यही वर्ग का आधार है ।
दुनिया में दर्शन की दो धाराएं हैं, आदर्शवादी और भौतीवादी । आदर्शवादी धारा मानते हैं कि अपने शरीर के चेतना से ही सभी चीजों को समझते हैं। पेड़ जो भौतिक आधार है । उसे नहीं मानते । वे कहते की चेतना और सोच के बाहर एक धारा है । भौतिकवाद ने कहा कि पेड़ में अनेक तत्व हैं । जिससे वह बनता है। मानव समाज के राजनीतिक सामाजिक आर्थिक बदलाव को समझने के लिए ऐतिहासिक भौतिकवाद का जरूरत होता है। उत्पादन के सामाजिक रिश्ते को समझने के लिए इसकी जरूरत होती है । उत्पादन के सामंती तरीके में उत्पादन पर उसका कब्जा था । उसके बाद वह उत्पादन के शक्तियों को गांव से बाहर नहीं जाने देता था । लेकिन पूंजीपति को भी इसकी जरूरत पड़ी ।
इसका मतलब रिश्तों में बदलाव आया । जरूरत के कारण उत्पादन तत्वों के सामंती और पूंजीपति के रिश्ते के बीच टकराव आया । सामंती व्यवस्था के पहले गुलामी भी था । ऐतिहासिक भौतिकवाद के आधार पर हमें समझना है कि मार्क्सवादी राजनीतिक अर्थशास्त्र क्या है। लेनिन ने कहा कि पूंजीवाद के ऊपर मोनोपोली कैपिटलिज्म मानव एकाधिकारवाद आ गया है। क्रांतिकारी परिवर्तन का मतलब पूंजीवाद की जगह मजदूर वर्ग की सरकार आवे ।