नई पीढ़ी को जड़ से जोड़ने वाली भाषा है संस्कृत : प्रो. मुश्ताक़ अहमद

नई पीढ़ी को जड़ से जोड़ने वाली भाषा है संस्कृत : प्रो. मुश्ताक़ अहमद

चिकित्सा शास्त्र के मूल तत्व संस्कृत में हैं निहित : डॉ. विनय कुमार मिश्र

जे टी न्यूज, दरभंगा: संस्कृत में लिखित साहित्य एवं शास्त्रों में ही भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता का मूल निहित है। आज के नई पीढ़ी को जड़ से जोड़ने वाली भाषा केवल संस्कृत ही है। यदि उन्हें अपने सभ्यता एवं संस्कृति से जुड़ना है तो संस्कृत से जुड़ना ही होगा, ये सारी बातें आज केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली द्वारा सी.एम. कॉलेज में संचालित अनौपचारिक संस्कृत शिक्षण केन्द्र द्वारा आयोजित छात्र प्रबोधन सह पुस्तक वितरण कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रो. मुश्ताक़ अहमद ने कही। बतौर मुख्य अतिथि अपनी बातों को रखते हुए शहर के प्रतिष्ठित सर्जन डॉ. विनय कुमार मिश्र ने कहा कि शल्यचिकित्सा के जनक महर्षि सुश्रुत हैं। उन्होंने संस्कृत भाषा में सुश्रुत संहिता लिखकर सर्जरी के विभिन्न विषयों का प्रतिपादन किया। जिस समय कोइ आधुनिक तकनीक नहीं थी उस समय उन्होंने चिकित्सको द्वारा सर्जरी के दौरान उपयोग में लाये जाने वाले एक सौ छब्बीस प्रकार के उपकरणों का वर्णन किया है।

 

 

प्लास्टिक सर्जरी, स्किन ग्राफ्टिंग आदि महत्वपूर्ण सर्जरी के विधाओं का मूलतत्व सुश्रुत संहिता में निहित है। चरक मुनि द्वारा संस्कृत में लिखित चरकसंहिता तो चिकित्सा शास्त्र का आधार ही है, जिसके बिना आधुनिक चिकित्सा शास्त्र भी अधूरा ही रह जाएगा। सनातन संस्कृति की आधारभूत भाषा है संस्कृत। हमारी संस्कृति के तत्वों को अपनाकर आज अन्य देशों के लोग गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। इसलिए संस्कृत भाषा एवं साहित्य से हमें हमेशा जुड़े रहना चाहिए। छात्रों को ध्यानपूर्वक अध्ययन करना चाहिए। स्वागतभाषण करते हुए संस्कृत विभागध्यक्ष डॉ. संजीत कुमार झा ने अनौपचारिक संस्कृत शिक्षण केन्द्र के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यहां दसवीं पास कोइ भी व्यक्ति नामांकन करवाकर संस्कृत सीख सकता है।

हर वर्ष यहाँ सर्टिफिकेट प्रोग्राम एवं डिप्लोमा प्रोग्राम हेतु नामांकन होता है, जिसमें छात्र, शिक्षक, व्यवसायी एवं समाज के अन्य लोग नामांकन करवाकर संस्कृत सीख रहे हैं, जिससे समाज में फिर से अपने आधारभूत भाषा संस्कृत के प्रति स्वीकार्यता बढ़ रही है। सी. एम. कॉलेज के सभागार में हुए कार्यक्रम का प्रारम्भ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन एवं संचालक श्री अमित झा के वैदिक मंगलाचरण से हुआ। जिसमें छात्र अभिजीत कुमार ने अपने स्वागत गीत से सब को आनन्दविभोर कर दिया। कार्यक्रम के पचास से अधिक छात्रों को पुस्तक वितरण किया गया। धन्यवाद ज्ञापन के क्रम में विभागीय प्राध्यापक डॉ. शशिभूषण भट्ट ने संस्कृत में निहित आयुर्वेद एवं योग आदि के महत्व पर प्रकाश डालते हुए सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। अतिथियों एवं छात्रों के समवेत स्वर में शान्ति मन्त्र “सर्वे भवन्तु सुखिन:” के मधुर गान से कार्यक्रम पूर्ण हुआ।

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