शोषित-पीड़ित वर्ग के मसीहा थे शहीद जगदेव प्रसाद: नागेंद्र सिंह त्यागी

शोषित-पीड़ित वर्ग के मसीहा थे शहीद जगदेव प्रसाद: नागेंद्र सिंह त्यागी

फतेहपुर में बिहार लेनिन जगदेव प्रसाद 102वीं जयंती पर परिवर्तनकारी सभा का आयोजन

 

जे टी न्यूज, खगड़िया: सौ में नब्बे शोषित है, शोषितों ने ललकारा है, धन धरती और राजपाट में नब्बे भाग हमारा है” के नारे को बुलंद आवाज के साथ लगाते हुए बिहार के शोषित-पीड़ित वर्ग के हक अधिकार के लिए समाजिक क्रांति का आगाज कर शहीद जगदेव प्रसाद ने सामंतवादी सरकार की कुर्सी हिलाने की मिसाल पेश कर राज्य के विभिन्न हिस्सों में शोषित-पीड़ित परिवार को जगाने का काम किये थे।

वर्तमान समय में जगदेव प्रसाद के नाम को सिर्फ और सिर्फ वोट की राजनीति के लिए विभिन्न दलों के नेता रट रहें हैं। जबकि सच्चाई यह है कि सभी दलों में सामंती विचार वाले लोग भरा पड़ा है और जगदेव प्रसाद की सपना को रोज तार-तार कर रहा है।

उक्त बातें गोगरी प्रखंड अंतर्गत रामपुर पंचायत स्थित फतेहपुर गांव में बिहार लेनिन शहीद जगदेव प्रसाद के 102वीं जयंती समारोह पर आयोजित परिवर्तनकारी सभा में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा।

उन्होंने कहा कि बिहार में जमींदारों और सामंतवादी विचार वाले के खिलाफ जगदेव प्रसाद बचपन काल से हीं जंग का ऐलान कर मुंहतोड़ जवाब दिया था। चाहे पंचकठिया प्रथा हो या फिर डोला प्रर्था सभी कुप्रथाओं के खिलाफ जगदेव प्रसाद ने लड़ाई लड़कर शोषित-पीड़ित वर्ग के लोगों को न्याय दिलाने का काम किए थे।

वर्तमान समय में भी जगदेव प्रसाद की विचार को आत्मसात किए बगैर हम अपने हक अधिकार को हासिल नहीं कर सकते हैं। वहीं स्वराज इंडिया के प्रदेश उपाध्यक्ष विजय कुमार सिंह, रालोजद के जिलाध्यक्ष कृष्ण कुमार सिंह,

अमित कुमार मंटू ने कहा कि जगदेव प्रसाद के संघर्ष को शोषित-पीड़ित वर्ग के लोगों के लिए जानना अतिआवश्यक है। आज भी चंद सामंती विचार के लोग हमें विभिन्न माध्यम से दिग्भ्रमित कर आपस में लड़ाकर हमारे उपर राज कर रहा है। उनके इन साजिश को समाप्त करने के लिए हम सबों को एकजूटता के साथ जगदेव प्रसाद और अन्य समाजवादी महापुरुषों के विचार को अपनाकर उनके बताए गए पथ पर चलना आवश्यक है।

तभी शोषित-पीड़ित वर्ग के लोगों को उचित अधिकार मिल सकता है। वहीं वरिष्ठ पत्रकार श्री चंद्रशेखरम, जाप के जिलाध्यक्ष कृष्णा नन्द यादव, मुखिया मिथलेश कुमार यादव और कवि मुल्कराज आनंद ने जगदेव प्रसाद के राजनितिक जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जगदेव प्रसाद 1957 और 1962 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने में असमर्थ रहे थे।

सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर प्रचार किया और वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था, जिसके कारण उन्हें साइकिल पर प्रचार करना पड़ा था। 1967 में भारतीय राजनीति और सामाजिक न्याय में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ, क्योंकि जगदेव प्रसाद के अथक प्रयास अंततः सफल हुआ। वह संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी में शामिल हो गए और पार्टी के टिकट पर विधानसभा चुनाव में विजयी हासिल किये थे। यह वर्ष बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण क्षण था, जब पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार बने। इसके मुख्यमंत्री महामाया प्रसाद सिंह थे। इस प्रशासन की स्थापना में शहीद जगदेव प्रसाद ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थे। अपने राजनीतिक जीवन काल में जगदेव प्रसाद का ताउम्र शोषित पीड़ित वर्ग को हक अधिकार दिलाने के लिए सामंतवादी विचार के खिलाफ सड़क से सदन तक आवाज बुलंद करने का काम किए थे। जिससे सामंती सरकार की नींव हिल गया था और साजिश रच कर एक जनसभा में बिहार लेकिन जगदेव प्रसाद की हत्या कर दी गई थी। इस अवसर पर उपस्थित गौछाड़ी मुखिया शंभू चौरसिया, वीरेंद्र सिंह कुशवाहा, सरपंच नूर आलम, पंचायत समिति सदस्य चंदा मिश्रा और संतोष मिश्रा ने कहा कि सामाजिक राजनीतिक आर्थिक और सांस्कृतिक और समानता के खिलाफ आजीवन संघर्ष करने वाले जगदेव प्रसाद ने शोषित वर्ग शोषित पीड़ित वर्ग को हक अधिकार दिलाने के लिए काफी आलोचना का सामना किये थे। वे कहते थे हमने जिस लड़ाई का आगाज किया है उसमें पहली पीढ़ी के लोग मारे जाएंगे, दूसरी पीढ़ी के लोग जेल जाएंगे और तीसरी पीढ़ी राज करेगी। जीत अंतोगत्वा हमारी होगी। वहीं जाप के अध्यक्ष अशोक कुमार पंत, युवा शक्ति के अध्यक्ष जवाहर यादव, कविरंजन यादव, अशोक मालाकार, जाप के कोषाध्यक्ष नीरज कुमार यादव ने कहा कि जगदेव प्रसाद का मानना था कि सामंतवादी विचार वालों ने हमारे बाप दादा से हलवाही कारवाई है। मैं उनकी राजनीतिक हलवाही करने के लिए पैदा नहीं हूं। मैं तमाम काले-कलूटे, निरादात-दरिद्र, फटेहाल-बेहाल, मजलूमों और महकूमों को निश्चित नीति सिद्धांत के तहत एक मंच पर एकत्रित करूंगा और ऐसे हीं लोगों के बीच नेतृत्व खड़ा करके दिल्ली की गद्दी पर बैठाऊंगा जो धन दौलत नौकरी टोकरी व्यापार कल कारखाने का बंटवारा स्वयं करेगा। इस अवसर पर शंकर दयाल, मोती सहनी, उपमुखिया राजा कुमार, रामपुर सिंह, गुलों सिंह, हरिश्चंद्र सिंह, सुमन सिंह, साधो सिंह, धीरज सिंह, जयराम सिंह, बबिता देवी, पंकज यादव सहित उपस्थित सैकड़ों लोगों ने बिहार लेनिन शहीद जगदेव प्रसाद के बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।

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