प्रधानमंत्री का निराशाजनक रहा राष्ट्र के नाम सम्बोधन।

आर.के.रॉय/ संजीव मिश्रा

नई दिल्ली :

कल से ही इस बात का इंतजार था कि शुक्रवार सुबह 9 बजे जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को संबोधित करेंगे तो कोई महत्वपूर्ण बात करेंगे।सम्भवतः मेरी ही तरह समस्त देशवासी आज सुबह 9 बजे से पहले ही टेलीविजन के आगे बैठकर 9 बजने का इंतजार करने लगे।प्रधानमंत्री का संबोधन शुरू हुआ,हम किसी महत्वपूर्ण सूचना या घोषणा का इंतजार करते रहे और संबोधन समाप्त भी हो गया।हमारा इंतजार दुखद रहा और प्रधानमंत्री के संबोधन ने हमें निराश किया।समस्त देशवासी जब ये जानने को उत्सुक हैं कि 14 अप्रैल के बाद हमारी सरकार क्या करने जा रही है,प्रधानमंत्री ने दीया,मोमबत्ती,टॉर्च जलाने की बात कह संबोधन समाप्त कर दिया।

देश की 130 करोड़ आबादी में करीब 20 करोड़ वो लोग हैं जिन्हें दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होती।आज वो और उनका परिवार देश के विभिन्न हिस्सों में दान और दया पर खाने के पैकेट हासिल कर किसी तरह अपना जीवन बसर कर रहा है।परंतु उससे भी गंभीर समस्या उनके साथ है जो भूखे मर जाना पसंद करेंगे लेकिन कहीं मुफ्त में बंट रही खिचड़ी,रोटी खाना पसंद नहीं करेंगे और वो है देश का मध्यमवर्ग।यदि हम देश के सरकारी नौकरियों में शामिल लोगों को छोड़ दें तो एक बहुत बड़ी आबादी करीब 70 से 80 करोड़ है,जो आज चिंतित है कि यदि लॉकडाउन की स्थिति आगे भी बनी रही तो वो क्या करेगा ?

देश के ट्रांसपोर्ट व्यवसाय से जुड़े लोग,छोटे-छोटे शहरों और गांवों के स्कूल संचालक और स्कूलों पर निर्भर लोग,वकील और अदालती कार्यों से जुड़े लोग,छोटे छोटे व्यवसायी,किसान जिनकी फसल खेतों में सड़ रही है,साथ ही साथ कई असंगठित क्षेत्रों के लोग आज परेशान हैं कि लॉकडाउन के बाद की स्थिति क्या होगी।भारी संख्या में लोगों के बेरोजगार होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।मध्यम वर्ग में भी एक बड़ी आबादी है जो अब और अधिक दिन घर बैठकर खाने में असमर्थ है।कई लोग स्थानीय लोगों से सूद पर कर्ज लेकर व्यवसाय करते हैं तो कई लोग कर्ज लेकर खेती करते हैं।करोड़ों ऐसे लोग हैं जो निजी विद्यालयों में और ट्यूशन पढ़ाकर अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं।सब के सब जानने को आतुर हैं कि 14 अप्रैल के बाद सरकार क्या करने जा रही है।

वही झंझट टाइम के संपादक ‘आर.के रॉय’ ने प्रधानमंत्री के राष्ट्र में नाम संबोधन की कड़ी आलोचना की है । उन्होंने कहा देश बुरे दोष से गुजर रहा है,गरीब तो गरीब मध्यम वर्ग भी अब घर मे भूखे मरने की कगार पर आ चुके है,ऐसे में देश के प्रधानमंत्री दीप जलवा रहे हैं । आखिर उन गरीबों ,मध्यम वर्ग के लिए आखिर कोई राहत के बारे में क्यों नही कुछ बोला, ये कोंन सा संबोधन रहा राष्ट्र को। वो प्रधानमंत्री है,पूरा देश आज कुछ सुनना चाह रहा था,लेकिन आज तो मजाक हो गया। इसकी मैं कड़ी निंदा करता हूं।

देश के तमाम लोगों को प्रधानमंत्री के आज के संबोधन से निराशा हाथ लगी।लॉकडाउन के बाद आगे सरकार की क्या योजना है,समस्त देशवासी ये जानना चाह रहा है और संशय में जी रहा है।सरकार को निम्न वर्ग के साथ-साथ देश की सबसे बड़ी आबादी मध्यम वर्ग के लिए कुछ सोंचना चाहिए और उनके जीवन यापन के लिए भी राहत की घोषणा करनी चाहिए।सरकार को शीघ्र लॉक डाउन के बाद की स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए,जिससे देशवासी चिंता मुक्त होकर लॉकडाउन का वक्त गुजार सकें।सरकार को अब लॉकडाउन के अलावे अन्य विकल्पों पर भी विचार करना चाहिए था।उम्मीद है कि प्रधानमंत्री शीघ्र देश को सम्बोधित कर अनिश्चितता की इस स्थिति को समाप्त करेंगे।

Related Articles

Back to top button