आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस: शिक्षा और रचनात्मकता पर प्रभाव – गरिमा भाटी “गौरी”
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस: शिक्षा और रचनात्मकता पर प्रभाव - गरिमा भाटी “गौरी”
जे टी न्यूज़, फरीदाबाद/हरियाणा : आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने आज के समय में कई क्षेत्रों में क्रांति ला दी है, और शिक्षा के क्षेत्र में भी इसका प्रभाव दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। अब छात्र एआई का उपयोग करके अपने गृहकार्य और परियोजनाएं आसानी से कर सकते हैं, जिससे यह तकनीक उनके लिए एक सहायक उपकरण बन गई है। एआईछात्रों को त्वरित और सटीक जानकारी प्रदान करती है, जिससे वे अपने प्रोजेक्ट्स और रिपोर्ट्स को जल्दी और सही तरीके से तैयार कर सकते हैं। यह लेखन, डेटा संकलन, और शोध कार्य को बहुत सरल बना देती है। इसके अलावा, अब लोग AI की मदद से कविताएँ भी लिख सकते हैं। हालांकि, एआई के जरिए लिखी गई रचनाएँ शब्दों और भावनाओं के दृष्टिकोण से सटीक, लयबद्ध और तकनीकी रूप से प्रभावी हो सकती हैं, लेकिन इन रचनाओं में मानव भावनाओं का अभाव होता है। लिखना एक कला है, जो लेखक के व्यक्तिगत अनुभवों, संवेदनाओं और मानसिक स्थिति को व्यक्त करती है, जो एआई द्वारा कभी पूरी तरह से नकल नहीं की जा सकती। एआई इन कविताओं में गहरे विचारों, भावनाओं और अर्थों को नहीं जोड़ सकती, जो किसी इंसान के दिल से निकलकर कागज पर उतरे होते हैं। इसी प्रकार, आने वाले वर्षों में एआई का अत्यधिक उपयोग मानव मस्तिष्क की सोचने और समझने की क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। जब हम अपनी सोच, लेखन और रचनात्मकता के लिए मशीनों पर अधिक निर्भर होने लगते हैं, तो यह हमारी मानसिक क्षमता को कमजोर कर सकता है। मनुष्य की अद्वितीय सोच, कल्पना और संवेदनाओं का विकास धीरे-धीरे रुक सकता है, क्योंकि हम अब अपनी समस्याओं और विचारों का समाधान मशीनों से प्राप्त करने लगते हैं। एआई के माध्यम से इंसान मानसिक मेहनत से बचने की कोशिश करता है, लेकिन इससे उसकी वास्तविक सोच और समझ कमजोर हो सकती है। यह समाज के लिए खतरनाक हो सकता है, क्योंकि यह सोचने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है और लोगों को गहरे सोचने और आलोचनात्मक दृष्टिकोण से विचार करने की आदत को समाप्त कर सकता है। इसलिए, एआई का उपयोग बहुत सावधानी से और सीमित तरीके से करना चाहिए। इसका इस्तेमाल केवल सहायक उपकरण के रूप में किया जाना चाहिए, न कि इसका अत्यधिक निर्भरता हमारे सोचने और समझने की क्षमता को खत्म करने के लिए। छात्रों, शिक्षकों और समाज को यह समझने की आवश्यकता है कि एआई हमें समय बचाने और कार्यों को सरल बनाने में मदद कर सकता है, लेकिन यह हमारी मानसिक और रचनात्मक क्षमताओं का स्थान नहीं ले सकता। अगर हम एआई का उपयोग संतुलित और समझदारी से करेंगे, तो यह हमारे जीवन को बेहतर बना सकता है, लेकिन यदि हम इसे अनियंत्रित तरीके से इस्तेमाल करेंगे, तो यह हमारे मानसिक स्वास्थ्य और सोचने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है। इसलिए, हमें इसे सावधानीपूर्वक और सीमित तरीके से इस्तेमाल करना चाहिए, ताकि हम अपनी मानसिक विकास प्रक्रिया को बनाए रख सकें और अपने खुद के रचनात्मक विचारों और भावनाओं को न खो सकें।
गरिमा भाटी “गौरी”
सहायक आचार्या, रावल कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन
फ़रीदाबाद, हरियाणा।