कोरोना से जंग जीत चुके व्यक्तियों से नहीं करें भेदभाव: सिविल सर्जन

• सिविल सर्जन आमजनों से की अपील
• कोरोना संक्रमण से जंग जीत चुके व्यक्तियों से नहीं रहती है दोबारा संक्रमण फैलने की खतरा
• ऐसे व्यक्तियों के प्रति सकारात्मक सोच रखें

सिवान/28 अप्रैल। एक तरफ जहाँ कोरोना से संक्रमितों की संख्या में वृद्धि हुयी है तो दूसरी तरफ कोरोना से जंग जीतने वाले लोगों की भी संख्या बढ़ रही है. कोरोना से जंग के माहौल में समाज में कुछ अफवाहें भी तेजी से फैली है. कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लोगों को सामाजिक दूरियां अपनाने की बात कही जा रही है.

लेकिन कुछ लोग सामाजिक दूरियों को मानसिक एवं भावनात्मक दूरियों में तब्दील करते दिख रहे हैं. कोरोना को लेकर फैलाये जा रहे दुष्प्रचार का आलम यह है कि जिले में कोरोना से जंग जीत चुके लोगों को अभी भी सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है.

जबकि संक्रमित की 3 कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आ चुकी है एवं उनका पूरा परिवार 14 दिन की क्वारंटाइन अवधि भी पूरी कर चुके हैं. अभी संक्रमित के साथ परिवार में किसी को भी कोरोना का संक्रमण नहीं है. लेकिन समुदाय में कुछ लोग इसे काला जादू से जोड़कर देख रहे हैं एवं उनका सामाजिक बहिष्कार करने पर आमदा हैं. इन बातों का खुलासा अंग्रेजी समाचार हिंदुस्तान टाइम्स ने अपने एक लेख में की है. इसको गंभीरता से लेते हुए सिविल सर्जन डॉ. यदुवंश कुमार शर्मा ने लोगों से ऐसे माहौल में भ्रामक जानकारियों से बचने की सलाह दी है.

संक्रमण ठीक होने के बाद कोरोना का नहीं होता है प्रसार:
सिविल सर्जन डॉ. यदुवंश कुमार शर्मा ने बताया कोरोना से जंग जीत चुके व्यक्तियों से भेदभाव नहीं करे, बल्कि उन्हें प्रोत्साहित करें। उन्होंने आमजनों से अपील की है कि जो व्यक्ति कोरोना संक्रमण को मात दे चुके हैं,

उनके साथ सामाजिक भेदभाव नहीं करें. कोरोना जैसे गंभीर रोगों को मात देने वाले के प्रति भेदभाव की जगह उनका सम्मान करना चाहिए. उनकी साहस को ऐसे दौर में प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।

उन्होंने बताया जिले में कुछ ऐसी बातें निकल कर आ रही है कि कुछ लोग कोरोना से जंग जीत चुके व्यक्ति का सामाजिक बहिष्कार कर रहे हैं, जो किसी भी अर्थ में न तार्किक है और न ही मानवीय है. कोरोना एक संक्रामक बीमारी है।

यह किसी को भी हो सकती है, लेकिन इसी के साथ यह सच है कि सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करते हुए इससे बचा जा सकता है। साथ ही जो व्यक्ति बिलकुल ठीक हो चुके हैं, उनसे यह संक्रमण किसी और व्यक्ति में नहीं फ़ैल सकता है. इसलिए उनसे डरने की कोई जरूरत नहीं हैं.

ऐसे मुश्किल हालातों में लोगों को एकजुट होकर कोरोना के खिलाफ़ मजबूती से लड़ने की भी जरूरत है। ऐसे व्यक्तियों से सामाजिक दूरी बनाने का बजाए उनका मनोबल बढ़ाए और उनके प्रति सकारात्मक सोच रखें।

कोरोना से लड़ने वाले को करें मानसिक सहयोग:

सिविल सर्जन ने कहा कि कोरोना संक्रमण से स्वस्थ्य हो चुके व्यक्तियों से दुबारा संक्रमण फैलने की खतरा नहीं है। सभी सावधानियों के बावजूद, यदि कोई कोरोना से संक्रमित होता है, तो यह उनकी गलती नहीं है। संकट की स्थिति में, रोगी और परिवार को सहायता और सहयोग की आवश्यकता होती है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि अभी हालात ठीक है और ज्यादातर लोग इससे उबर जाते हैं। हम सामाजिक दूरी अपनाकर, नियमित रूप से हाथ को धोकर और खांसने और छींकने के के शिष्टाचार का पालन कर खुद को संक्रमण से सुरक्षित रख सकते हैं।

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