*महिलाओं को उद्योग हेतु बैंक से व्याज मुक्त लोन देने सहित मांग को लेकर एडवा का प्रदर्शन*

*कोराना संकट से अपने पिता को निकालने वाले ज्योति को बिहार रत्न से नवाजा जाय*

*एडवा का देशव्यापी कार्यक्रम पटना सहित पूरे बिहार में सफतापूर्वक सम्पन्न हुआ*

जेटी न्यूज़।

पटना::- अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एडवा) के देशव्यापी आह्वान के तहत बिहार में कार्यक्रम सफल रहा। बिहार में करीबन सभी जिलों में सैकड़ों जगहों, जिला मुख्यलयों पर एडवा कार्यकर्ता अधिकारियों को मांग पत्र सौंप कर विरोध प्रदर्शन किया।

सभी व्यक्ति को प्रत्येक महीना 10 किलो राशन अगले 6 महीना तक देने, सभी वैसे लोग जो आयकर नहीं भरते हैं उन्हें प्रत्येक महीना ₹7500 राशि देने, गरीब महिलाओं के लिए घरेलू उद्योग और ब्याज रहित लोन उपलब्ध कराने, समूह से जुड़ी महिलाओं का लोन माफ करने, मनरेगा में काम और ₹500 मजदूरी, जीविका कार्यकर्ता को ₹15000 मानदेय देने, घरेलू और यौन हिंसा की घटना पर रोक लगाने, प्रवासी मजदूर जिनकी मृत्यु यात्रा के दौरान हुई है उनके परिजनों को 20 लाख का सहायता देने इत्यादि मांगों को लेकर एडवा कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया।

एडवा यह भी मांग करती है बिहारी बेटी ज्योति जिसने अपने पिता को करोना संकट से निकाल कर, मजबूरी में साईकिल से गुरुग्राम से बिहार लायी उसे बिहार रत्न से नवाजा जाए साथ ही उसे 5 लाख रुपया प्रोत्साहन राशी दी जाए और मुफ्त गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की व्यवस्था करे सरकार।

पटना में आशियाना मोड़ के पास आयोजित विरोध प्रदर्शन में एडवा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रामपरी,राज्य संयुक्त सचिव सुनीता सिन्हा, सरिता पांडेय के अलावा
डीवाईएफआई के राज्य अध्यक्ष मनोज कुमार चंद्रवंशी,और सर्फी सदा सहित एडवा पटना जिला की नेत्री कौशल्या देवी, रेणु देवी, रीता देवी, परमिला देवी,रूबी देवी, मुन्नी देवी,लखिया देवी और अन्य लोगों ने भाग लिया।

विरोध प्रदर्शन को संबोधित करते हुए एडवा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रामपरी ने कहा कि लॉक डाउन के कारण सभी क्षेत्र की महिलाओं पर असर पड़ा है। खासकर प्रवासी महिला मजदूरों के सामने एक गंभीर समस्या उत्पन हो गई है। रोजगार खत्म हो गया है उनके सामने भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है। दुसरी तरफ सरकार जो भी घोषणाएं कर रही है, वो सिर्फ कागजों तक हीं सीमित है। और आज जब लोगों के सामने भोजन का सवाल है तब हमारे उपमुख्यंत्री, भाजपा नेता सुशील मोदी ऑनलाइन चुनाव की बात करते हैं, जो बिल्कुल हीं अलोकतांत्रिक है।

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