पूर्व प्राचार्य डॉ. अर्जुन कुमार सिंह पर स्वास्थ्य विभाग ने लगाए कई गंभीर आरोप,दिया जांच का आदेश

*पक्ष जानने हेतू गए पत्रकारों से मिलने से किया इन्कार*

मामला भागलपुर जिले के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के पूर्व  प्राचार्य 

 

जेटीन्यूज़

 

*भागलपुर* : शहर के एक जाने-माने और चर्चित बड़े चिकित्सक डॉक्टर अर्जुन कुमार सिंह, जो कि जेएलएनएमसीएच में लगभग 10 सालों तक रहे प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं,पर स्वास्थ्य विभाग के अवर सचिव द्वारा, उन पर लगाए गए गंभीर आरोपों की बाबत 15 दिनों के अंदर स्पष्टीकरण देने के लिए निर्देश दिया गया है। जाहिर है तब यह खेल इनके कार्यकाल में रहे अस्पताल अधीक्षक डाॅ.रामचरित्र मंडल के नाक के नीचे हो रहा होगा और इस वित्तीय अनियमितता में उनकी भी सांठ-गांठ होगी…?

बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अवर सचिव विवेकानंद ठाकुर ने डॉ. अर्जुन कुमार सिंह से,उन पर लगाए गए विभिन्न तरह के गंभीर आरोपों के संबंध में पूछताछ एवं विभागीय कार्रवाई के संचालन के लिए एक समिति के गठन करने का भी आदेश दिया है।

डॉ. सिंह पर आरोप लगाये गये हैं कि उन्होंने जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय में बतौर प्राचार्य के रूप में अपने कर्तव्यों का उचित तरीके से पालन नहीं किया,बल्कि उन्होंने यहां पर अपने कार्यकाल में काफी लापरवाही बरती है, साथ ही उन्होंने सरकारी राशि के गबन व वित्तीय अनियमितता कर सरकारी हितों की हानि और चिकित्सा शिक्षकों के हितों को गंभीर क्षति पहुंचाई है।

स्वास्थ्य विभाग के द्वारा 8 अगस्त 2020 को इस निर्गत पत्र के आलोक में कहा गया है कि बिहार सरकारी सेवक आचार नियमावली 1976 के नियम 3 (1)और( 2) के उल्लंघन का उन्हे दोषी बताया गया हैं और उनके विरुद्ध बिहार पेंशन नियमावली के नियम 43(b) के अंतर्गत विभागीय कार्रवाई चलाए जाने की‌‌ अनुशंसा की गई है,साथ ही स्वास्थ्य विभाग ने उन्हें 15 दिनों के अंदर अपने लिखित पक्ष रखने का आदेश भी दिया है। विभागीय कार्रवाई करने के लिए डॉ. नवीन चंद्र प्रसाद निदेशक स्वास्थ्य सेवा स्वास्थ्य विभाग को संचालन पदाधिकारी तथा उप स्थापन पदाधिकारी, प्रशाखा पदाधिकारी, प्रशाखा 17 स्वास्थ्य विभाग को नियुक्त किया गया है। पत्र में कहा गया है कि विभागीय कार्रवाई के दौरान डॉ. सिंह स्वयं उपस्थित होकर अपना पक्ष रख सकते हैं, लेकिन इसके लिए डॉ. सिंह को संचालन पदाधिकारी से निवेदन करना होगा कि वे स्वयं सुनवाई के लिए उपस्थित होने और अपनी ओर से साक्ष्यों का परीक्षण कराने के लिए इच्छुक है। इस मामले की जांच में जुटे अधिकारियों को 3 माह के अंदर संपूर्ण जांच करके स्वास्थ्य विभाग को रिपोर्ट करने का आदेश दिया गया है।

गौरतलब हो कि डॉ. अर्जुन कुमार सिंह एक बड़े और नामी चिकित्सक हैं। वह जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय में बतौर प्राचार्य के पद से सेवानिवृत हो चुके हैं। उन पर लगे इन गंभीर आरोपों की बाबत जब उनसे उनके पक्ष के बारे में जानने का प्रयास किया गया, तो उन्होंने मिलने से साफ मना कर दिया।

डाॅ.सिंह पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगाए गए आरोपों के बाबत हमारे संवाददाता ने डाॅ सिंह का पक्ष जानने हेतू पहले डाॅ.सिंह को फोन किया,फोन रिसीव नहीं होने डाॅ.सिंह के ह्वाट्सएप पर मैसेज भेज पक्ष रखने की अपील की गई, तब भी कोई रिस्पोंस नहीं मिलने पर 16 सितंबर को भागलपुर सिविल सर्जन आवास के निकट स्थित उनके निज क्लीनिक में मिलने का प्रयास किया गया लेकिन अपने धन-बल और छल के अहम में डूबे डाॅ.अर्जुन सिंह ने इनसे मिलने से साफ इन्कार कर दिया।

अब सवाल यह उठता है कि भागलपुर स्थित जवाहरलाल नेहरु मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की अपनी‌ बड़ी जिम्मेदारियां हैं और उन जिम्मेदारियों में अगर उन्होंने खलल डाला होगा या सेंध लगाई होगी और दोहरी कुत्सित नीति अपनाई होगी,तब यह तय है कि भागलपुर चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल के लिए यह एक बड़ा मामला बन सकता है।

उन्होंने अपना कोई भी पक्ष रखने से भले ही पत्रकारों को फिलहाल इनकार कर दिया है,लेकिन विभाग के समक्ष उन्हें अपने पक्ष रखने होंगे।

बहरहाल,पत्र निर्गत होने से एक माह का समय गुजर चुका है और इस बीच उन्हें 15 दिनों के अंदर अपना पक्ष प्रस्तुत करना था।

अब सरकार को उन्होंने अपना पक्ष प्रस्तुत किया या नहीं किया या फिर डाॅ.सिंह ने अपने धन-बल और छल के बलबूते उन्हें भी मैनेज कर खुद पर लगे आरोपों की लीपा-पोती कर गए, यह तो विभाग ही जानता है और वे ही इसका खुलासा कर सकते हैं । फिलहाल इस मामले को लेकर लोगों के मन में कई शंकाएं हैं और लोग यह भी सोच रहे हैं कि आखिर इसका परिणाम क्या होगा?

क्या बाकी सभी भ्रष्टाचार की जांच की तरह ही इसका भी जांच होगा ? और कुछ दिनों पस्चात इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा,अब ये तो आने वाला समय ही बताएगा ।

website editor :- Ashish Anand

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