ईख उत्पादकों के साथ  विश्वासघात*    

                                      बेतिया(प•च•):- बिहार राज्य ईख उत्पादक संघ के महासचिव प्रभुराज नारायण राव ने कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2020-21 के लिए ईख के दाम में 10 % की रिकवरी पर  प्रति क्विंटल 10 रुपए की बढ़ोतरी ईख उत्पादकों के साथ धोखा है । जबकी पिछले साल दाम में कोई वृद्धि नहीं हुई । सबको पता है लॉक डाउन में खेती में किसानों को भारी घटा हुआ है । यह ईख उत्पादकों के साथ विश्वासघात है । हम इसकी तीब्र निंदा करते हैं ।  वर्ष 1980 -81 में 8.5% रिकवरी , वर्ष 2006-7 में 9% रिकवरी , वर्ष 2009-10 में 9.5% रिकवरी तथा वर्ष 2020-21 में 10% रिकवरी पर मात्र 10 रुपए किसानों की  सरासर अवहेलना है ।

मोदी सरकार चीनी मिलों की बात मान कर मिल गेट पर चीनी की कीमत 32 रुपए किलो निश्चित कर दिया ।जबकि मुलासेस से आज सेनेटाइजर बना रहा है । जो मुलासेस 12 हजार रुपए प्रति टन बिक रहा है । बगास, प्रेसमड से इथनॉल और बिजली बन रहे हैं । जिसका सारा लाभ चीनी मिल मालिकों को मिल रहा है । जबकि चीनी के बाय प्रोडक्ट मेटेरियल की आमदनी का आधा हिस्सा ईख उत्पादकों को निश्चित रुप से दिया जाय ।वर्ष 2019 के लोक  सभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी ने देश के किसानों से कहा था कि किसान खुशहाल नहीं है  । वे आत्महत्या करने को मजबुर हैं । अबकी बार आप मुझे जिताएं । में स्वामीनाथन कमिशन के रिकोमेंदेशन के आधार पर फसल में लागत का डेढ़ गुना दाम दूंगा । 

श्री राव ने कहा कि आज खाद , कीटनाशक , बिजली , बीज , मजदूरी के दर में बेतहाशा बृद्धी हुई है । उस अनुपात में ईख का दाम 500 रुपए प्रति क्विंटल भी कम पड़ता है । उस पर चीनी मिलों में किसानों का बकाया वर्षों से लम्बित है । समय पर पैसे का भुगतान नहीं होने से किसान कर्ज लेने को मजबुर हैं ।श्री राव ने मोदी सरकार से मांग किया की ईख का मूल्य फसल में लागत के डेढ़ गुना 500 रुपए निर्धारित करें तथा बिहार सरकार उस पर राज्य द्वारा प्रोत्साहन राशी में वृद्धि करे ।।

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