थानों में सड रहे वाहनों की जर्जरता पर परिवहन विभाग की लापरवाही उजागर।
जे टी न्यूज़/ बेतिया।
जिले के विभिन्न थानों में ,परिवहन विभाग एवं पुलिस विभाग के द्वारा लोगों के पकड़े गए वाहनों की स्थिति अति जर्जर हो गई है, मगर पुलिस विभाग एवं परिवहन विभाग कान में तेल डाल कर सोई हुई है ,और गाड़ियां की स्थिति इतनी दयनीय हो गई है कि शायद नीलम करने की भी स्थिति नहीं है, जिन लोगों के द्वारा नीलाम की प्रक्रिया अपनाई जाएगी या नीलाम के माध्यम से इन सभी गाड़ियों को लेने की बात आएगी, उस समय नीलाम करने वाले और नीलामी की बोली लगाने वाले दोनों इस बात पर प्रश्न खड़ा कर सकते हैं कि इसकी कीमत कितनी लगाई जा सकती है,क्योंकि स्थिति इतनी दयनीय रहती है कि कोई लेने से भी इनकार कर देगा, जिले के सभी थानों में, लगभग 10 हजार वाहन सड़ रहे हैं ,इनमें से कई कबाड़ भी हो चुके हैं, कानूनी जटिलता की वजह से वाहन सड़ रहे हैं ,
मगर इसका निराकरण करने वाला कोई पदाधिकारी नजर नहीं आ रहा है, थानों में वाहनों के रखने के कारण थाना की स्थिति भी कहने लायक नहीं है, मोटरसाइकिल ,ट्रक ,ट्रैक्टर , एवं अन्य वाहन की स्थिति जर्जर हो गई है, कि अब शायद कौड़ी के मोल में नहीं बेचा जा सकता है, कुछ वाहन चोरी के हैं ,कुछ दुर्घटना के हैं ,कुछ जप्त किए गए हैं ,और कुछ अवैध सामान की तस्करी में प्रयोग में लाए गए वाहनों वाहन हैं, ,बहुत ऐसे वाहन हैं जिनका ना तो टैक्स जमा रहता है और ना ही फिटनेस, इन सारी औपचारिकताओं को पूरा कर, वाहन छुड़ाने में वाहन की कीमत से ज्यादा खर्चा हो जाता है, नतीजतन लोग वाहनों को छुड़ाने में रुचि नहीं लेते हैं, विगत कई वर्षों से थानों में जबत वाहनों की नीलामी भी नहीं हुई है ,इस बात की जटिलता है कि नीलामी की प्रक्रिया में लावारिस या किसी मामले में जबत वाहन के निस्तारण की प्रक्रिया काफी लंबी होती है,
पहले तो पुलिस थाना स्तर पर इंतजार करती है कि वाहन मालिक आकर अपना वाहन ले जाए, काफी इंतजार के बाद भी जब मालिक नहीं ले जाते हैं तो वह न्यायिक प्रक्रिया में चली जाती है ,इससे काफी समय लगता है,अधिवक्ता, शैलेंद्र कुमार वर्मा ने संवाददाता को बताया कि जब तक कोर्ट में मामला चलता रहता है ,तब तक वाहनों की नीलामी नहीं की जा सकती है, कोर्ट से मामला निष्पादन के बाद ही प्रक्रिया के तहत वाहनों की नीलामी संभव है, लोगों का कहना है कि मामले के निष्पादन में देरी से जबत वाहनों के मामले लटके रहते हैं ,इस संबंध में, इस एसडीपीओ ,बेतिया ,मुकुल परिमल पांडे ने बताया कि कोर्ट में मामला विचाराधीन होने से वाहनों को थाने में ही रखना पड़ता है, थानों में जप्त वाहन मालिक द्वारा छुड़वाने का इंतजार किया जाता है ,पुलिस न्यायिक प्रक्रिया में निस्तारण करती है, जिससे देरी होने से वाहन की स्थिति कबाड़ जैसी हो जाती है।