किसानों के बाद बैंक कर्मियों पर कहर बरपाने की जुर्रत न करें मोदी सरकार – अमित सहनी

संवाददाता। जेटी न्यूज।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को निजीकरण सहित बेचना देश की वित्तीय सुरक्षा के साथ समझौता होगा। बैंकों का अगर कामकाज ठप होता है तो आम जनता से लेकर कोराबारी तक इससे परेशान होंगे । यह बातें प्रेस विज्ञप्ति जारी कर जिला राजद प्रवक्ता अमित सहनी ने कही है।
प्रवक्ता श्री सहनी ने कहा कि ‘देश भर में लगभग 12 राष्ट्रीयकृत बैंक हैं और इनकी एक लाख शाखाएं हैं। इनमें करीब 13 लाख लोग काम करते हैं और 75 करोड़ से ज्यादा खातेदार हैं। ये खातेदार भी बैंक के हितधारक हैं और उनके पूछे बगैर सरकार ने निजीकरण का फैसला कर लिया। इस फैसले से बैंक कर्मी, आम जनता से लेकर कोराबारी तक इससे परेशान हैं।

2008 में जब वैश्विक अर्थव्यवस्था पर संकट आया था तब राष्ट्रीयकृत बैंकों के कारण ही भारत की अर्थव्यवस्था संभली थी। उन्होंने कहा कि आज बैंक कर्मचारी रास्तों पर बैठे हैं। हड़ताल कर रहे हैं। उनकी समस्या को सुलझाने के लिए वित्त मंत्री को यहां बयान देना चाहिए। सोंचनीय है कि इन सात वर्षो में बहुत सारे सरकारी सेक्टर का नीजिकरण हुआ एवं आगे भी ये सिलसिला लगातार जारी रहने वाला है। कया आपने कभी सोंचा है कि रेल बंद क्यों है। रेल के बंद होना कितने रोजगार को बंदिश करने पर निर्मतता से मजबूर कर दिया। रेल का अर्थ एक रेल नही होता है,

रेल के साथ हजारों तरह के रोजगार से गरीब तबकों की आजीविका चलती थी। जैसे कुली, चाय,नाश्ते,पुस्तक,बुक स्टॉल एवं हजारों छोटे छोटे रोजगार भी एक वर्ष से खत्म यानि कितने का रोजगार छिना गया। लेकिन केंद्र में काबिज भाजपा सरकार का एकमात्र लक्ष्य है भारत को केप्टलिस्ट बनाना। जिसका हिसाब बंगाल व असम चुनाव में जनता लेगी।

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