क्या क्या न किया हमने इस देश की खातिर, हम में से कुछ ने जानें दी और कुछ ने दिए राजनीतिक भाषण

पश्चिम चंपारणः बिहार राज्य किसान सभा के संयुक्त सचिव प्रभुराज नारायण राव ने आरोप लगाया कि कोरोना के इस दूसरे लहर में केंद्र सरकार कहीं नजर नहीं आती। मौत की रफ्तार कितना तेज है। वेक्सिन नहीं रहने से अस्पताल से लोग लौट रहे हैं। ऑक्सीजन का त्राहिमाम है। बेड अपर्याप्त है। संक्रमित मरीज अस्पतालों में इधर उधर पड़े हुए हैं। परिजन ईलाज के लिए चिल्ला रहे हैं। श्मशानों में लाशें जलाने के लिए लंबी लाइन लगी है। 12 घंटे से भी ज्यादा लाश जलाने में लग रहा है। लाशें जलाने के लिए रिश्वत दिए जा रहे हैं। सरकारें लाश छुपा रही है। यहां भी झूठ का ही सहारा है। लेकिन श्मशान और कब्रिस्ताने सच्चाइयां बयां कर रही है। एंबुलेंस का भारी कीमत देना पड़ रहा है। बड़े पैमाने पर डाक्टर स्वयं संक्रमित हो रहे हैं।

संक्रमण और लॉक डाउन के भय से मजदूर अपने घर को चल चुके हैं । मुम्बई और दिल्ली सहित सभी जगहों पर बस पड़ाव या रेलवे स्टेशन मजदूर और उनके परिवार के सदस्यों से भरा हुआ है । वे सब भूखे हैं । वहीं देश के निर्माता हैं । क्या फिर उन्हें अपने हाल पे छोड़ देना चाहते हैं । सबका सहारा युवा समुदाय खुद संक्रमित हो गया है । तो देश को कौन बचाएगा ?

ऐसी विषम घड़ी में माइक्रो कोंटेंटमेंट जोन के सहारे लोगों को प्रधानमंत्री छोड़ देना चाहते हैं। कोई भी कारवाइयों को राज्यों के जिम्मे छोड़ दिया है । बड़ी चालाकी से प्रधानमंत्री ने जिम्मेवारियों से अपने को अलग कर लिया है । हालाकि सुप्रीमकोर्ट ने राजा जी को फटकार लगाया है की उद्योगों में ऑक्सीजन से आर्थिक विकास हो सकता है । जबकि लोगों की जान बचाना कहीं ज्यादा जरूरी है । जिस कोविशिल्ड को केंद्र सरकार 157 रुपए में खरीदती है । उसे राज्यों को 400 रुपए तथा निजी अस्पतालों को 600 रुपए में दिया जा रहा है । जबकि आज सबसे ज्यादा 2000 हजार से ज्यादा कोरोना संक्रमित लोगों की मृत्यु हो चुकी है । इस लाशों की ढेड़ पर भी केंद्र सरकार मुनाफा कमा रही है । सुप्रीमकोर्ट ने सारी चीजें स्पष्ट कर दिया है ।

पिछले कोरोना लहर के समय केरल में 31 दिसंबर 2019 को कोरोना दिख गया था । लेकिन राजा जी विदेश भ्रमण में थे । फरवरी में राजा जी को भारत के अपने गृह राज्य अहमदाबाद में अपने फ्रेंड ट्रंप को बुलाकर नमस्ते ट्रंप करना था । मार्च 2020 में दिल्ली विधान सभा चुनाव जीतना था । उसे जितने के लिए दंगा करवाना था । इस काम के लिए अमित शाह _ऐसा बटन दबाना की शाहीन बाग हिल जाय । मंत्री अनुराग ठाकुर , सांसद प्रवेश वर्मा , कपिल मिश्र जैसे दंगा एक्सपर्ट के सहारे कुकर्मों की चरम सीमा तक जाकर काम किया और दिल्ली की जनता ने दंगाइयों को सिरे से नकार दिया। फिर 21 मार्च तक ज्योतिरादित्य सिंधिया के सहारे मध्यप्रदेश में खेला खेलकर भाजपा को गद्दी पर बैठाकर 22 मार्च को ठीक नोटबंदी की तरह रात को 8 बजे राजा जी टी वी पर आए और देश व्यापी लॉक डाउन उसी वक्त से कर दिया। तबतक कोरोना देश में नासूर बन चुका था। फिर राजा जी तालियां बजवाई, घंटियां बजवाई, दिवाली मनवाई। और न जाने क्या क्या करवाए।

अब राजा जी का खेला बदल चुका है। राज्यों को गलत करार देकर, किसानों को गलत साबित कर अपने यारों के हाथ देश को सौंपना चाहते हैं।

इसीलिए अब राजा जी को मौतें नजर नहीं आती, भूखे मजदूर नजर नहीं आते। भगवान रूपी डाक्टर नजर नहीं आते। उनके बचाव की कोई योजना की आवश्यकता अभी नहीं दिखती। लेकिन मेरी माने तो सभी कमजोर परिवार को साढ़े सात हजार रुपए की अविलंब विशेष सहायता , सबको 35 किलो प्रतिमाह मुफ्त अनाज , सबको मुफ्त वेक्सिन तथा मुफ्त इलाज , मजदूरों को घर तक पहुंचाने की गारंटी , उनके लिए रोजगार की व्यवस्था तो करनी ही पड़ेगी।

संपादिकृतः ठाकुर वरूण कुमार  

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