जिला पदाधिकारी अमित कुमार ने जांचोपरांत मधुबनी के क्रिब्स हॉस्पिटल के प्रबंधक के खिलाप दिया प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश

मधुबनी।

मधुबनी के सबसे बड़े अस्पताल क्रिब्स हॉस्पिटल से आई है जहां सरकार के द्वारा तय किए गए, दवा एवं अन्य वस्तुओं के मानक रेट की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। कोविड-19 के मरीजों से मनमाना पैसा लिया जा रहा है।मधुबनी के डीएम अमित कुमार ने इसे संज्ञान में लेते हुए तुरंत कार्रवाई किया है। डीएम अमित कुमार ने क्रिब्स अस्पताल के खिलाफ जांच के आदेश जारी किए हैं। डीएम अमित कुमार ने यह सूचना दी कि हमें आज क्रिब्स अस्पताल में कुछ गड़बड़ी की सूचना मिली सूचना मिलते ही मैंने जांच के आदेश दिए हैं।बिहार में स्वास्थ व्यवस्था को मजबूत करने के प्रयास में यह एक महत्वपूर्ण कदम बताया जा रहा है। सरकार ने स्वास्थ संबंधी जांच एवं दवाइयों के रेट तय किए हैं और सभी अस्पतालों को इसे पालन करने का निर्देश दिया गया है ताकि आम जनता को स्वास्थ सेवा के नाम पर ठगा ना जा सके।आए दिन बिहार के अस्पतालों से विभिन्न प्रकार की लापरवाही, धांधली एवं अपराध की खबरें आ रही हैं। कुछ दिन पहले पटना के पारस अस्पताल से आए बलात्कार की खबर ने पूरे देश को झकझोर के रख दिया था। इस घटना ने बिहार के स्वास्थ्य व्यवस्था पर एक प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया है कि क्या बिहार में मरीज अस्पतालों में भी सुरक्षित नहीं हैं! ऐसी घटनाओं के बीच मधुबनी डीएम अमित कुमार का यह कदम, स्वास्थ व्यवस्था से खिलवाड़ करने वाले हर व्यक्ति के लिए संदेश है। कोरोना की मार झेल रहे बिहार वासियों की हालत दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है। रोजी-रोजगार के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं है।लोग किसी से कर्ज लेकर अपना इलाज करा रहे हैं या फिर अपनी गाढ़ी कमाई स्वास्थ्य लाभ के लिए खर्च कर रहे हैं। बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो पैसे के अभाव में किसी प्रकार की स्वास्थ्य लाभ नहीं ले पा रहे हैं। सरकार ने ऐसे लोगों को मदद पहुंचाने के लिए दवा एवं जांच सेवाओं के मूल्य निर्धारित कर दिए हैं। अगर किसी अस्पताल में इस तरह के किसी के साथ खिलवाड़ हो रहा हो तो उस क्षेत्र के डीएम एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को इस पर कार्रवाई करनी चाहिए ताकि जनता इस बुरे समय में और मर्माहत ना हो। बिहार से ऐसी भी खबरें आई हैं की स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर तो नहीं है परंतु आस पड़ोस के लोग उसे अपना पशु खटाल बना चुके हैं। प्राथमिक चिकित्सा के अपने वादे को पूरा करना सरकार के लिए मुश्किल दिखाई पड़ता है। किसी व्यवस्था की सफलता उसके नींव पर टिकी होती है अगर आज बिहार का स्वास्थ्य तंत्र गांव तक मजबूत रहता तो लोगों को इतनी परेशानी नहीं झेलनी पड़ती। हमने कोरोना काल में कई बार सुना कि बहुत कम दाम की दवाओं को भी महंगी दर से बेचा गया और कई महत्वपूर्ण दवाओं की कालाबाजारी की गई। सरकार की तरफ से इसे रोकने के लिए कोई महत्वपूर्ण कदम नहीं उठाया गया। आज मधुबनी के क्रिस्प हॉस्पिटल पर यह कार्रवाई एक सार्थक पहल है। अब आगे देखना होगा इस मामले को कितने निष्पक्षता से हल किया जाता है और दोषियों को सजा दिलाई जाती है।

Edited By :- savita maurya

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