सरकारी कारिन्दों की मनमानी के कारण एक अति पिछड़ा परिवार हुआ बेघर, दर-दर भटकने को मोहताज, पड़ोसी के घर लिया आश्रय

समस्तीपुर::- गरीब और असहाय जनता के लिए सरकार ने कई नियम कानून बनाए हैं लेकिन सरकार के ही कारिंदों द्वारा इन नियमों को ताक पर रखकर असहाय लोगों को तंग किया जा रहा है। ऐसी कई घटनाएं पूरे सूबे में देखने को मिल जाएंगे। सही एक वाक्या बिहार के समस्तीपुर जिला के कल्याणपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत मिर्जापुर ग्राम में देखने को मिला है जहां कि एक परिवार अपने केवाला जमीन से ही बेदखल कर दिया गया है यह परिवार अपना पुश्तैनी हिस्सा और केवाला भूमि होने के बावजूद भी दर-दर भटकने को मोहताज है तथा अपने पड़ोसी के यहां शरण लेकर रह रहा है। अपनी जमीन पर आने पर जान से मारने की धमकी दी जाती है।

 

विदित हो कि सुबोध साहनी पिता जनक साहनी, ग्राम- मिर्जापुर, थाना- कल्याणपुर, जिला- समस्तीपुर के स्थाई निवासी हैं। इनका कहना है कि इन्होंने दिनांक 27-06-2016 को राम श्रेष्ठ साहनी वगैरह पिता- स्वर्गीय दशरथ साहनी, ग्राम+पोस्ट- सोंगर मिर्जापुर, थाना- ताजपुर, जिला- समस्तीपुर से ननिहाली मौजा के ग्राम- ध्रुवगामा मिर्जापुर, थाना- कल्याणपुर, जिला समस्तीपुर में भूमि केवाला द्वारा प्राप्त किया है। जिसका विवरण निम्न प्रकार है – दस्तावेज संख्या- 8289, खाता संख्या- 457 पुराना 487 नया, खेसरा संख्या- 373 पुराना 997, 998, 999 नया, रकबा- 4.36 डिसमिल (1 कट्ठा), चौहद्दी : उ०- राम किशोर दास, द०- बिजली महतो, पू०- बनारसी देवी वगैरह, प०- सड़क पीसीसी।

 

लेकिन उक्त भूमि पर इनका कब्जा आज तक नहीं हो पाया है, क्योंकि उक्त भूमि को बनारसी देवी पति- हरिश्चंद्र साहनी, ग्राम- मिर्जापुर, थाना- कल्याणपुर, जिला- समस्तीपुर वगैरह के द्वारा जबरन अतिक्रमित किया गया है। इस विषय को लेकर इन्होंने अंचलाधिकारी (कल्याणपुर), थानाध्यक्ष (कल्याणपुर) और सूचना के अधिकार में भी शिकायत दर्ज करवाया था। लेकिन वहां का नतीजा भी सिफर रहा। अंत में इन्होंने जिला भूमि सुधार पदाधिकारी, समस्तीपुर, बिहार को भी शिकायत पत्र डाक द्वारा भेजा लेकिन वहां से ही कोई जवाब नहीं मिला। तब उन्होंने पत्रकार का सहारा लिया।

 

आपको बता दूं कि अंचलाधिकारी के आदेश पर उक्त भूमि का मापी भी करवाया गया लेकिन प्रतिपक्ष द्वारा कब्जा मुक्त नहीं किया गया। पत्रकारों के सामने भी सुबोध साहनी के साथ गाली-गलौज किया गया तथा जान से मारने की धमकी भी दिया गया जो कि अमानवीय है। प्रतिपक्ष द्वारा कहा गया कि जो भी साथ देने की कोशिश करेगा उसके साथ भी यही हश्र किया जाएगा।

अब सवाल यह उठता है कि आखिर कब तक निसहाय लोगों के साथ ऐसा जुल्म होता रहेगा? क्या ऐसे लोगों का सहारा लेने वाला कोई नहीं है? आखिर कब तक सरकारी महकमा सुस्त रहेगा?

 

संपादिकृत: ठाकुर वरुण कुमार

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