मेरा विरोध करने वाले कट्टर जातिवादी हैं :कर्पूरी ठाकुर
मेरा विरोध करने वाले कट्टर जातिवादी हैं :कर्पूरी ठाकुर
( दिसम्बर 1978 का एक इंटरव्यू ,जो उन दिनों इंडिया टुडे के अंग्रेजी संस्करण में प्रकाशित हुआ था . कर्पूरी जी तब मुख्यमंत्री थे . इस इंटरव्यू में आप उनकी हाजिरजवाबी और संकल्प -दृढ़ता को देख सकते हैं – संपादक )
खुद को बिहार के दबंग की तरह प्रस्तुत करने वाले बिहार के मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर का बिम्ब, एक बौद्धिक स्कूल मास्टर का ही है, जो वह पहले हुआ करते थे। वे पितौंजिआ गाँव के एक स्कूल के हेडमास्टर थे, जिस गाँव में उनके पिता नाई का काम करते थे। राजनीति में आने के बाद भी कर्पूरी ठाकुर में हेडमास्टर वाली सख्ती रह गयी दिखती है । फ़िलहाल वे एक राजनीतिक भंवर में फंसे दिखाई दे रहे हैं। विवाद सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े हुए जातियों को राज्य सरकार की नौकरियों में आरक्षण का है। उनपर निष्क्रियता और कुशासन का आरोप लगाया जा रहा है। इंडिया टुडे पत्रिका के साथ इंटरव्यू (दिसंबर, 1978), में ठाकुर अपनी नीतियों और उपलब्धियों का बचाव जोशीले तरीके से कर रहे हैं। यहाँ साक्षात्कार का अंश दिया जा रहा है।
प्र०: आपके सरकार की क्या उपलब्धियां हैं?
उ०: जनता पार्टी ने 20 महीनों में जो हासिल किया है वह कांग्रेस 30 वर्षो में नहीं कर सकी। जो यह कह रहे हैं कि हमने कुछ नहीं किया उन्हें कुछ दिखाई नहीं देता, वे झूठे हैं। मैदानी इलाको में पांच एकड़ तथा पठार क्षेत्रों में साढ़े-सात एकड़ तक के ज़मीनों का भू-राजस्व समाप्त कर दिया गया है। दस एकड़ जमीन तक कृषि सरचार्ज और बिजली कनेक्शन के लिए न्यूनतम गारंटी को भी समाप्त कर दिया गया है . पूरे उत्तर भारत में बिहार ही एकमात्र ऐसा राज्य है जहाँ मेट्रिक तक शिक्षा मुफ्त कर दी गयी है। तेईस लाख बच्चों को निःशुल्क पाठ्यपुस्तकें मुहैय्या कराइ गई हैं . अगले साल पहले और दूसरे दर्जे के पांच लाख और बच्चों को इससे जोड़ेंगे . रोजगार के बदले अनाज योजना के अंदर हरेक मजदूर को चार किलो अनाज प्रतिदिन दिया जा रहा है। अंत्योदय योजना के तहत 75 लाख रुपये का वितरण 12,500 परिवारों में किया गया। वयस्क शिक्षण कार्यक्रम का बड़ी संख्या में लोग लाभ उठा रहे हैं। नई पेंशन योजना शुरू की गई है, जिसमे विधवाओं, विकलांगो तथा 60 साल से ऊपर के लोगो को तीस रुपये प्रति माह की मदद दी जाएगी।
प्र०: रोजगार में आरक्षण को लेकर जो विवाद है, उसपर आपका क्या कहना है?
उ०: यह विवाद तर्कहीन और अनैतिक है। संविधान में शैक्षणिक और सामाजिक रूप से पिछड़े हुए समुदायों को आरक्षण दिया गया है। इसे कई राज्यों में लागू किया जा चुका है। हमने इसमें आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों को भी जोड़ दिया है। यह दूसरे राज्यों में नहीं अपनाया गया। लेकिन जैसा की हम लगातार कह रहे हैं, इस योजना की समीक्षा समय-समय पर की जाती रहेगी।
प्र०: आपके उपलब्धियों को प्रचारित नहीं किया जा रहा?
उ०:हम कर्म में विश्वास रखते हैं, प्रचार में नहीं। अंत्योदय कार्यक्रम के द्वारा हमने दो महीने में वह कर दिखाया है जो राजस्थान ने छः महीने में किया।
प्र०: ऐसा क्यों है कि रोजगार आरक्षण के मुद्दे पर आपको सबने अकेला कर दिया, यहाँ तक की आपके अपने पार्टी के लोग भी इस पर आपके साथ नहीं?
उ०: मैं खुश हूँ कि वे मुझपर आक्षेप कर रहे हैं। मैं अड़िग हूँ और उन सबका सामना कर सकता हूँ। मैं सिर्फ अपने पार्टी के घोषणापत्र के वायदों को लागू कर रहा हूँ। मैं आलोचनाओं से डरता नहीं। न ही मैं समझौता करता हूँ। मैं जाति में विश्वास नहीं करता। जो मेरे खिलाफ खड़े हैं, वे कट्टर जातिवादी हैं।
प्र०: आप कितने दृढ़ हैं ?
उ०: अगर कोई मेरी मजबूती का परीक्षण करना चाहता है, मैं सदैव तैयार हूँ। उन्हें कोशिश कर लेने दीजिये।
प्र०: यह आरोप लगाया जा रहा है की बिहार में हरिजनों पर अत्याचार बढ़ गए हैं?
उ०: यह गलत है। हाँ, लेकिन कुछ ऐसी घटनाएं हुईं हैं, जिन्हें पूरी कोशिश के बाद भी हम रोकने में असफल हुए हैं। देखिये, हमारा समाज सामंती है, यहाँ जातिगत भावनाएं बहुत मजबूत हैं। बाजितपुर की घटना इसका उदहारण है। कांग्रेस सरकार ने इस सामंती तंत्र को समाप्त करने का कोई प्रयास नहीं किया। गरीब लोग अब इस तंत्र का विरोध कर रहे हैं और अपना प्रतिरोध व्यक्त भी कर रहे हैं। ज़ाहिर सी बात है, सामंती ताकतें इससे क्रुद्ध हैं और अत्याचार का सहारा ले रही हैं।
प्र०: और पुलिस का क्या?
उ०: इस देश की पुलिस व्यवस्था तो शोषितो की रक्षा की अभ्यस्त ही नहीं। पुलिस को नई कार्य नीतियों के प्रति निर्देशित करना होगा जिसके लिए हम कदम उठा रहे हैं।
प्र०: बिगड़ते हुए कानून व्यवस्था को लेकर आपके सरकार की आलोचना की जा रही है।
उ०: आरक्षण के मुद्दे को लेकर कई तरह के आरोप लगाये जा रहे हैं। विरोध दिखाने के लिए सार्वजनिक संपत्ति को भी क्षति पहुचायी गई। सच कह रहा हूँ भय की कोई बात नहीं। कांग्रेस का शासन इससे अच्छा तो नहीं था।
प्र०: और इमरजेंसी काल का क्या?
उ०: वह थोड़ा बेहतर था। लेकिन आज की तुलना 1976 से नहीं की जा सकती। इमरजेंसी एक असाधारण समय था। अगर 1974 या 1973 से तुलना करे, स्थिति अब बेहतर है।
प्र०: समस्तीपुर उपचुनाव में आपकी पार्टी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा, आपकी राय?
उ०: यह चुनाव नहीं, एक संघर्ष था। अमीर और गरीब के बीच संघर्ष, कमजोर और ताकतवर का संघर्ष। जहाँ हम गरीब और कमजोर की आवाज़ बने, कांग्रेस ने ताकतवर तथा अमीर लोगों का साथ दिया। हरिजनों का पूरा समर्थन मेरे साथ था। हम दो लाख से ज्यादा वोट से जीत रहे थे। लेकिन कांग्रेस ने उन्हें वोट देने से रोक दिया। तारकेश्वरी सिन्हा का कहना है, उन्होंने खुद एक बूथ लूटा और गैरकानूनी तरीके से वोट डाले। अगर मैं भी ऐसे कार्य करुँ तब क्या सार्वजनिक जीवन बच पायेगा। भगवान ही इस देश को बचाए।
( अंग्रेजी से अनुवाद -ऋचा मणि )