जब राष्ट्र के तीनों सेना हेड और पीएम, प्रेसीडेंट हिन्दू, तो काहे को हिन्दू खतरे में: तेजस्वी

जब राष्ट्र के तीनों सेना हेड और पीएम, प्रेसीडेंट हिन्दू, तो काहे को हिन्दू खतरे में: तेजस्वी
बिहार में महागठबंधन का प्रतिनिधि सम्मेलन

 


जेटी न्यूज/अरुण आनंद

‘आज हमारी सेना तीनों सेना के अध्यक्ष, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति हिन्दू हैं और भारत के किसी राज्य में मुसलमान मुख्यमंत्री नहीं हैं ऐसे में हिन्दू खतरे में कैसे हो सकते हैं? आज किसी माई के लाल में यह दम नहीं है कि वे मुसलमानों से उनके वोट के अधिकार छीन लेें। सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता हमारी पार्टी का मुख्य संकल्प है। इसके लिए हम लगातार संघर्ष करते रहेंगे।’
यह बात बिहार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कही। सम्पूर्ण क्रांति दिवस के मौके पर पटना के बापू सभागार में यह कार्यक्रम राजद, सीपीआई, सीपीम और भाकपा माले के द्वारा किया गया था। महागठबंधन प्रतिनिधि सम्मेलन के इस कार्यक्रम में चारों घटक दल के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भाजपा और नीतीश सरकार के कुशासन के खिलाफ महागठबंधन का महाउद्घोष किया। इस मौके सम्मेल में एनडीए के खिलाफ महागठबंधन की ओर से जारी 32 पेज के आरोप पत्र का भी विमोचन किया गया।
देश की वर्तमान स्थिति की चर्चा करते हुए तेजस्वी ने कहा कि पूरे देश में आज एक अघोषित आपातकाल लागू है। बिहार में डबल इंजन की नहीं ट्रबुल इंजन की सरकार है। आज न यहां तो संविधान सुरक्षित है न यहां के नौजवान, बेरोजगार। बिहार को न विशेष राज्य का दर्जा मिला न विशेष पैकेज का लाभ ही मिला। नीति आयोग के आंकड़ों को देखिये तो शिक्षा, चिकित्सा, कुपोषण इन सब मानकों पर बिहार फिसडी राज्यों में गिना जाता है। यह बेराजगारी का हब बन गया है। शिक्षा का हाल बुरा है। कोई सिस्टम सरकार का काम नहीं कर रहा है। यह सरकार समाज में जहर फैलाने का काम कर रही है। कभी भी सांप्रदायिक शक्तियों के आगे हमने घुटने नहीं टेके। हमलोगों ने जी तोड़ मिहनत की और महागठबंधन को सत्ता में ले आये लेकिन कुछ लोग चोर दरवाजे से सत्ता में आ गए। आज उनके शोषण, उत्पीड़न और अत्याचार से बिहार की जनता त्रस्त है। बोचहा उप चुनाव महागठ बंधन की जीत थी। इस चुनाव के बाद एनडीए का वोट घटा है। इसका कारण हमारे घटक दल रहे हैं। हमारे पिता लालू प्रसाद की चर्चा करते हुए तेजस्वी ने कहा कि लालू जी ने लाठी खाई। आंदोलन किया। और राज्य में सांप्रदायिक शक्तियों को आगे नहीं आने दिया। 74 आंदोलन की शुरुआत गुजरात के इंजीनियरिंग काॅलेज में फीस वृद्धि की मांग को लेकर की गई बाद में इस आंदोलन में बेराजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार के भी मुद्दे जुड़ते चले गए और देश में तानाशाही के खिलाफ लोगों का हुजूम उमड़ा। सैकड़ों लोग जेल गए। देश में तानाशाही के खिलाफ माहौल बना।

 


उन्होंने कहा कि मेरी दिली कामना है कि यह महागठबंधन महज सत्ता प्राप्ति के लिए नहीं हो। जो जहर समाज में फैला दिया गया है उसको मिटाने में सदियां लग जाएंगी। यह कैसी विडम्बना है कि कोई भी इस व्यवस्था के खिलाफ अपनी आवाज मुखर करता है तो उसके घर ईडी और सीबीआई छापा मारने को चल पड़ती है। लालू जी ने हमेशा इन शक्तियों से लोहा लिया है और उसकी भारी कीमत उन्हें चुकानी भी पड़ रही है लेकिन हमने अपने सिद्धांतों से आज तक कोई समझौता नहीं किया। यह विचित्र स्थिति देश में पैदा की जा रही है कि जो लोग विस्थापन का सवाल उठाते हैं, सांप्रदायिक जहर को पाटने के बारे में चिंतित रहते हैं, शिक्षा, स्वास्थ्य, खेती किसानी और अमन चैन की बात करते हैं उन्हें देशभक्ती की कसौटी पर छद्म राष्ट्रवाद के सहारे टारगेट किया जाता है। हमें ऐसी छद्म सरकार नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि हम पढ़ाई, दवाई, सिंचाई और कार्रवाई वाली सरकार चाहते हैं। हम ऐसी सरकार चाहते हैं जहां महिलाओं की सुरक्षा की गारंटी हो। हमें मंदिर, मस्जिद और कश्मीर नहीं चाहिए। मैं मानता हूं कि हममें कुछ कमियां रही हैं। विपक्ष की भूमिका लोगों को गोलबंद और जागरूक करने की होनी चाहिए।

 


नीतीश कुमार को लक्षित करते हुए तेजस्वी ने कहा कि महत्वकांक्षा अच्छी बात है लेकिन अति महत्वकांक्षा अच्छी बात नहीं है। अगर हमें पद प्यारा होता तो भाजपा के साथ समझौता करके हम भी मुख्यमंत्री हो जाते लेकिन हमने ऐसा नहीं किया। आज संघ इस देश को अपने थिंक टैंक गोलवलकर के बंच आॅफ थाॅट के आधार पर चलाना चाहती है। आज जरूरत इस बात की है कि हमारा गठबंधन इसके खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष के लिए आगे आये।
भाकपा माले के महासचिव श्री दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि सन् 74 भारत की राजनीति का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है लेकिन हम आपका ध्यान इससे 7 साल पहले 67 में हुई नक्सलवादी क्रांति की ओर दिलाना चाहते हैं जो इस देश के राजनीतिक और सामाजिक बदलाव में मिल का पत्थर है। इस आंदोलन के बाद दो बातें हमें दिखलाई पड़ती हैं। पहली यह कि इसके बाद बहुत से राज्यों में चुनाव हुए। जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकारें हुआ करती थीं 67 में मध्यावधि चुनाव हुए तो पहली बार 9 राज्यों में बदलाव के संकेत नजर आये। संसदीय विपक्ष मजबूत हुआ और उसे एक धार मिली। दूसरी स्थिति यह हुई कि देश में बड़ा किसान आंदोलन खड़ा हुआ और गरीबों का राज्य स्थापित करने के लिए मजदूर किसानों की एकता मजबूत हुई। बिहार के मुजफ्रपुर और भोजपुर के एकबारी में लोगों ने अपनी महान शहादतें दीं। जगदीश मास्टर, रामेश्वर अहीर सामंती दमन का विरोध करते हुए शहीद हुए। दीपांकर ने कहा कि विश्वविद्यालय से पैदा हुआ छात्र आंदोलन बड़ा बदलाव का सूचक रहा है। एक ही समय में एक तरफ जहां यह शहरी आंदोलन जन्म ले रहा था उसके पहले से ही नक्लवाड़ी से पैदा हुई चेतना के फलस्वरूप गांव, गरीबों की लड़ाई उभरने लगी थी। हम देखते हैं कि वि.वि. की अलग और हमारी अलग गोलबंदी हो रही थी। तब से आज तक गंगा, कोसी और सोन में बहुत पानी बह गया। जिस प्रकार जेपी आंदोलन का दमन हुआ उसी सख्ती से नक्सली आंदोलन पर भी सत्ता का अंकुश कायम रहा। इस आंदोलन में हमारे कई साथी शहीद हुए। दोनों आंदोलन के सम्पूर्ण दमन के लिए सत्ता आगे आती रही है।

उन्होंने कहा कि जेपी आंदोलन से दो धाराएं निकलीं। एक धारा जनता पार्टी से होते हुए बीजेपी के रास्ते गई। उस रास्ते के लोग इस सभागार में नहीं हैं, दूसरा रास्ता हमारे वक्ताओं ने बता दिया। महागठबंधन में शामिल 4 पार्टियां हैं। तीन कम्युनिस्ट धाराओं माले, सीपीआई और सीपीएम है और एक राजद। इनसे हमारे रिश्ते नये हैं। संसदीय राजनीति का हमारा खट्टा-मिट्ठा रास्ता रहा है। 75 का आपातकाल तो खत्म हो गया लेकिन आज एक अघोषित आपातकाल स्थायी रूप से मौजूद है। अच्छे दिन आज के आपातकाल का नाम है। सीबीआई, ईडी कब किसको जेल में डाल देगी यह कहना मुश्किल है। इस मुल्क को आज ऐसे संकट के मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया गया है कि हिन्दुस्तान रहेगा कि नहीं यह सवाल खड़ा हो गया है। उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक हिंसा बहुत बुरी चीज है। और उससे भी बुरी चीज है सांप्रदायिक फासीवाद जो देश की पहचान को ही खत्म कर देना चाहती है। पहले अयोध्या की बात चली और आज वह बात ताजमहल पर पहंुच गई है। जिन प्रतीकों पर हमें नाज था, उसे गुलामी का प्रतीक बतलाया जा रहा है। इससे बड़ी चुनौती गुलाम भारत में इससे पहले नहीं आई थी। इस देश की मिट्टी अब लोकतांत्रिक नहीं रह गई। अगर यह देश हिन्दू राष्ट बन गया तो इससे अधिक विपत्ति कुछ हो नहीं सकती। इस बड़े खतरे से निबटने के लिए बड़ी लड़ाई छेड़नी होगी।
उन्होंने माना कि सन् 67 का नक्सलबाड़ी आंदोलन और 74 का संपूर्ण क्रांति आंदोलन हमारी विरासत है। गांव और शहर से पैदा हुए इन दोनों आंदोलनों ने लोकतंत्र को मजबूती प्रदान की लेकिन आज का निजाम विरोध की हर आवाज को कभी अरबन नक्सल के नाम पर तो कभी हिन्दू भावना के आहत होने के नाम पर कुचलने पर आमादा है। मेरी कामना है कि यह गठबंधन महज विधानसभा चुनाव लड़ने का गठबंधन बनकर नहीं रह जाए, इसे रोज-रोज की लड़ाई का गठबंधन बनाना होगा। आज सांप्रदायिक शक्तियों की नजर आज बिहार पर है। वे इसे उत्तर प्रदेश की तरह बुलडोजर राज्य बनाना चाहते हैं। यह गठबंधन महज चुनावी जीत तक ही सीमित नहीं हो यह आमूलचूल परिवर्तन के लिए हो जो भगत सिंह, आंबेडकर, नक्सली आंदोलन और जेपी की विरासत को आगे ले जाए


अपने तीन मिनट के डिजिटल संदेश में राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद ने महागठबंधन के प्रतिनिधि सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन के माध्यम से जेपी ने लंबी और परिवर्तनकारी लड़ाई का आगाज किया था। उनका संकल्प था कि समाज के अंतिम पायदान पर खडे़ लोगों को मुख्यधारा में लाना है। उन्होंने तानाशाही के खिलाफ संघर्ष किया। देशभर की जनतांत्रिक पार्टियां उनके आह्वान पर एकजुट हुईं और तानाशाही का खात्मा हुआ। उन्होंने कहा कि फिरकापरस्त ताकतें आज देश को डूबाना चाहती हैं। महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार चरम पर है। देश में सिविल वार की स्थिति पैदा कर दी गई है। मैं आपसे इनके खिलाफ लड़ने का आह्वान करता हूं। हम सब को एकजुट होकर लड़ना है। लाखों लोगों को जयप्रकाश जी ने तैयार किया था। मैं सभी को प्रणाम करता हूं और जयप्रकाश जी के चरण में फुल चढाता हूं।
भाकपा माले के महासचिव श्री दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि सन् 74 भारत की राजनीति का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, लेकिन हम आपका ध्यान इससे 7 साल पहले 67 में हुई नक्सलवादी क्रांति की ओर दिलाना चाहते हैं जो इस देश के राजनीतिक और सामाजिक बदलाव में मिल का पत्थर है। इस आंदोलन के बाद दो बातें हमें दिखलाई पड़ती हैं। पहली यह कि इसके बाद बहुत से राज्यों में चुनाव हुए। जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकारें हुआ करती थीं 67 में मध्यावधि चुनाव हुए तो पहली बार 9 राज्यों में बदलाव के संकेत नजर आये। संसदीय विपक्ष मजबूत हुआ और उसे एक धार मिली। दूसरी स्थिति यह हुई कि देश में बड़ा किसान आंदोलन खड़ा हुआ और गरीबों का राज्य स्थापित करने के लिए मजदूर किसानों की एकता मजबूत हुई। बिहार के मुजफ्फरपुर के मुसहरी और भोजपुर के एकबारी में लोगों ने अपनी महान शहादतें दीं। जगदीश मास्टर, और रामेश्वर अहीर सामंती दमन का विरोध करते हुए शहीद हुए। विश्वविद्यालय से पैदा हुआ छात्र आंदोलन बड़ा बदलाव का सूचक रहा है। एक तरफ जहां 74 आंदोलन शहरी आंदोलन के रूप में जन्म ले रहा था उसके पहले से ही नक्लवाड़ी से पैदा हुई चेतना के फलस्वरूप गांव, गरीबों की लड़ाई उभरने लगी थी। हम देखते हैं कि वि.वि. की अलग और हमारी अलग गोलबंदी हो रही थी। तब से आज तक गंगा, कोसी और सोन में बहुत पानी बह गया। जिस प्रकार जेपी आंदोलन का दमन हुआ उसी सख्ती से नक्सली आंदोलन पर भी सत्ता का अंकुश कायम रहा। इस आंदोलन में हमारे कई साथी शहीद हुए। दोनों आंदोलन के सम्पूर्ण दमन के लिए सत्ता आगे आती रही है।
जेपी आंदोलन से दो धाराएं निकलीं। एक धारा जनता पार्टी से होते हुए बीजेपी के रास्ते गई। उस रास्ते के लोग इस सभागार में नहीं हैं, दूसरा रास्ता हमारे वक्ताओं ने बता दिया। महागठबंधन में शामिल 4 पार्टियां हैं। तीन कम्युनिस्ट धाराओं माले, सीपीआई और सीपीएम है और एक राजद। इनसे हमारे रिश्ते नये हैं। संसदीय राजनीति का हमारा खट्टा-मिट्ठा रास्ता रहा है। 75 का आपातकाल तो खत्म हो गया, लेकिन आज एक अघोषित आपातकाल स्थायी रूप से मौजूद है। अच्छे दिन आज के आपातकाल का नाम है। सीबीआई, ईडी कब किसको जेल में डाल देगी यह कहना मुश्किल है। इस मुल्क को आज ऐसे संकट के मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया गया है कि हिन्दुस्तान रहेगा कि नहीं यह सवाल खड़ा हो गया है। सांप्रदायिक हिंसा बहुत बुरी चीज है। और उससे भी बुरी चीज है सांप्रदायिक फासीवाद जो देश की पहचान को ही खत्म कर देना चाहती है। पहले अयोध्या की बात चली और आज वह बात ताजमहल पर पहंुच गई है। जिन प्रतीकों पर हमें नाज था, उसे गुलामी का प्रतीक बतलाया जा रहा है। इससे बड़ी चुनौती आजाद भारत में इससे पहले नहीं आई थी। इस देश की मिट्टी अब लोकतांत्रिक नहीं रह गई। अगर यह देश हिन्दू राष्ट बन गया तो इससे अधिक विपत्ति कुछ हो नहीं सकती। इस बड़े खतरे से निबटने के लिए बड़ी लड़ाई छेड़नी होगी।
सन् 67 का नक्सलबाड़ी आंदोलन और 74 का संपूर्ण क्रांति आंदोलन हमारी विरासत है। गांव और शहर से पैदा हुए इन दोनों आंदोलनों ने लोकतंत्र को मजबूती प्रदान की लेकिन आज का निजाम विरोध की हर आवाज को कभी अरबन नक्सल के नाम पर तो कभी हिन्दू भावना के आहत होने के नाम पर कुचलने पर आमादा है। मेरी कामना है कि यह गठबंधन महज विधानसभा चुनाव लड़ने का गठबंधन बनकर न रह जाए, इसे रोज-रोज की लड़ाई का गठबंधन बनाना होगा। सांप्रदायिक शक्तियों की नजर आज बिहार पर है। वे इसे उत्तर प्रदेश की तरह बुलडोजर राज्य बनाना चाहते हैं। यह गठबंधन महज चुनावी जीत तक ही सीमित नहीं हो यह आमूलचूल परिवर्तन के लिए हो जो भगत सिंह, आंबेडकर, नक्सली आंदोलन और जेपी की विरासत को आगे ले जाए।

 

सी.पी.आई के महासचिव श्री डी.राजा ने कहा कि आज देश के सामने बड़ी-बड़ी चुनौतियों का पहाड़ खड़ा हैं। उन्होंने सवाल उठाये कि आज गरीबी, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार क्यों बढ़ रहे हैं? क्यों? कारण क्या है क्या यही स्थिति देश के अन्य राज्यों की भी है या वहां स्थितियां कुछ भिन्न हैं? उन्होंने तमिलनाडु और आंध्र को अपेक्षाकृत इन स्थितियों से अलग राज्य के रूप में होने की बात कही। उन्होंने माना कि मोदी सरकार की न कोई अर्थ नीति है और न ही कोई समाज नीति। उनके प्रधानमंत्री बने 8 साल हो गए, लेकिन उनके अच्छे दिन आने के वादे, वादे ही रह गए। उन्होंने प्रतिप्रश्न किया कि मोदी जी सबका साथ, सबका विकास और सबका साथ के आपके नारे का क्या हुआ? उन्होंने कहा कि आप यहां के किसान, नौजवान और छात्रों के साथ हो या अडानी, अंबानी के साथ? आप पंूजीवाद का साथ दे रहे हो। उन्होंने कहा कि देश में आज नियो लिबरल इकोनाॅमी पाॅलिसी का दौर चल रहा है। भाजपा और आर.एस.एस. की चर्चा करते हुए श्री राजा ने कहा कि ये वो शक्तियां हैं जो धर्म के नाम पर जनता को विभाजित करके अपना उल्लू सीधा करना चाहती हैं। उन्हांेने कहा कि यह देश सभी लोगों का है। आंबेडकर ने हमको संविधान दिया। वह संविधान सबको बराबरी का दर्जा देता है और भाजपा आर.एस.एस. के लोग हिन्दुत्व और मुसलमान के विभाजन के नाम पर देश में दहशतगर्दी कायम करना चाहते हैं। उन्होंने आह्वान किया कि जीने के लिए लड़ो, लड़ने के लिए जीओ और लड़ते-लड़ते आगे बढ़ो।
सी.पी.एम के पोलित ब्यूरो सदस्य श्री अशोक ढावले ने कहा कि सम्पूर्ण क्रांति दिवस की यह 48वीं सालगिरह है। बिहार से यह जर्बदस्त आंदोलन उठा था और तीन महीने के अंदर देश से तानाशाही सरकार उखडी़ थी। उन्होंने कहा कि आज हम संकल्प लें कि सम्पूर्ण क्रांति की 50 वीं सालगिरह जो 2024 में 5 जून को पूरी होगी, उस समय लोकसभा चुनाव भी आनेवाला है। क्योंकि नहीं हम सब बिहार से एक जर्बदस्त आंदोलन का आगाज करंे ताकि अघोषित इमरजेंसी में जी रही जनता को सुकून मिले। श्री ढावले ने 1990 के उस दौर का स्मरण साझा किया जब रामकृष्ण आडवाणी की सांप्रदायिक रथ यात्रा कई राज्यों से आते हुए बिहार पहंुचने को थी। उस समय एक ही मुख्यमंत्री था जिसने रथ यात्रा को रोक दिया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया। वह थे लालू प्रसाद। बिहार में इस सांप्रदायिक रथ यात्रा को रोका गया। राजद और वामपंथी पार्टियों ने सांप्रदायिकता के साथ कभी समझौता नहीं किया। लोहिया भक्त नीतीश आज भाजपा के सामने घटना टेक दिये हैं। दरअसल ये अवसरवादी हैं इनके खिलाफ भी हमें संघर्ष करना है। उन्होंने कहा कि आज बिहार मानव विकास सूचकांक में 36 नंबर पर है। महिलाओं के मामले में हम 24 वें स्थान पर हैं। 13 करोड़ की हमारी आबादी में 6 करोड़ से ज्यादा लोग कुपोषण के शिकार हैं। ये हमारी जनसंख्या के 52 प्रतिशत हैं। 2006 में बिहार में नीतीश कुमार ने पूरी मंडी सिस्टम ही खत्म कर दी। नतीजा निकला की धान की एम.एस.पी जहां 1924 रुपया है वह धान किसान हजार-बारह सौ में बेच रहे हैं। यही बात गेहूं पर भी लागू है। 2019 में हमारे यहां 6 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे थे वही 2020 में साड़े 13 करोड़ और 2021 में 20 करोड़ लोग मोदी राज में गरीबी रेखा के नीचे चले गए। 116 देशों में भारत का नंबर 101वें स्थान पर चला गया। 2013 में 44 करोड़ लोग काम पर थे। मोदी ने कहा था कि वे हर साल 2 करोड़ लोगोें को नौकरियां देंगे उस हिसाब से 60 करोड़ लोगों को काम मिल जाना चाहिए था, लेकिन काम पर उनकी संख्या घटकर 38 करोड़ पर आ गई। उन्होंने कहा कि मोदी और नीतीश सरकार बांटो और राज्य करो की तर्ज पर शासन चला रहे है। उन्होंने फैज की यह पंक्ति साझा कीः
‘यूं ही हमेशा उलझती रही जुल्म से खल्क/न उनकी रस्म नई है न उनकी रीत नई

 

यूं ही हमेशा खिलाये हैं हमने आग में फूल/न उनकी हाल नई है, न अपनी जीत नई।’

उनसे पहले राजद के प्रदेश अध्यक्ष श्री जगदानंद सिंह ने कहा कि 74 का सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन लोहिया की सप्तक्रांति ही थी जिसमें नर-नारी समता और धार्मिक सौहार्द्र की बात कही गई थी। उन्होंने कहा कि हम सब को आज पुनः क्रांति की मशाल जलाने के लिए तैयार होना है, क्योंकि 2022 में 1974 से ज्यादा भयानक स्थिति इस देश की हो गई है। संविधान को कुचला जा रहा है। उन्होंने कहा कि जेपी को लोकनायक की पदवी लालू जी ने ही दी थी। व्यवस्था ने जेपी को जेल में बंद करके उन्हें रोगी बनाकर हमसे छिन लिया। आज पुनः उसी व्यवस्था ने लालू जी को भी किडनी का शिकार बना दिया है। श्री जगदानंद ने कहा कि एक समय में आपातकाल हमपर थोपा गया। आज का अघोषित आपातकाल आफतकाल है। आज संपूर्ण भारत धधक रहा है जिस दिन यह ज्वाला फुट उठी तो एक बड़ा उद्वेलन इस देश में होगा। देश बचाने की आज बहुत बड़ी जवाबदेही है। आज की यह सत्ता लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद को पैरों तले रौंद रही है।
सीपीआई के राष्ट्रीय सचिव अतुल अनजान ने कहा कि आज देश विषम परिस्थितियों से गुजर रहा है। इस बदले परिवेश में विपक्ष, नौजवान विपक्ष, समतावादी सांप्रदायिक शक्तियों के खिलाफ भूमिका क्या हो इसपर विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज देश की अर्थव्यवस्था तबाही के रास्ते पर है। पहले एक डाॅलर की कीमत 64 रुपये के बराबर थी आज उसकी कीमत 78 रुपये के बराबर हो गई है। फिर भी हमारे प्रधानमंत्री को इस बेशर्मी पर एतराज नहीं है। 40 साल में बैंक तबाह हो रहे हैं। फिक्स पर 5 प्रतिशत दिये जा रहे हैं और महंगाई 6.7 प्रतिशत हो गई है। यह देश कर्जदार हो गया है और चैथा खंभा कुंठित लुंठित होकर मरणासन्न है। उसे इस देश से कोई लेना-देना नहीं। लोगों को घसीट-घसीट कर मारा जा रहा है। बिहार के अंदर परिवर्तन की जरूरत है। महागठबंधन की है ललकार, बदलो, बदलो मोदी सरकार। बड़ी विपक्षी पार्टियां पस्त हैं। सरकार सिर्फ खुदाई करने के अभियान में लगी है कि कहां शिवलिंग है और कहां राम हैं। फासीवादी ताकतों को रौद देना है ताकि वे उठ न सकें। निर्यात 43 अरब डाॅलर है। हमारी स्थिति यह है कि कपड़ा सूखाने वाली रस्सी भी चीन से आ रही है। किसान तबाह हो गए। बीज, खाद, यूरिया के दाम बढ़ गए। एम.एस.पी. में कितना कवर होता है। किसान मजबूर होकर कम कीमत पर धान गेहूं बेचते हैं यह दोहरी लूट है। सरकार खामोश हैै। रुपये की कीमत घटती जा रही है। बैंकों को विदेशी कम्पनियों के हाथों बेचा जा रहा है।
भाकपा माले के पोलित ब्यूरो सदस्य श्री धीरेंद्र झा ने कहा कि 74 आंदोलन ने जो नौजवानों को जगाने का काम किया पटना वि.वि. के नेता लालू जी भी परिवर्तन की उस जमीन को तैयार करने में शामिल रहे, जिसके फलस्वरूप सम्पूर्ण देश में बदलाव की आंधी चल पड़ी। पटना सिनेट हाॅल में प्रस्ताव पारित हुआ कि जो सरकार महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार दूर नहीं करेगी उस सरकार को चलने नहीं दिया जाएंगा। आज देश 70 के दशक से भी बदहाल स्थिति मंे चला गया है। 29 लाख लोगों का राशन कार्ड जब्त कर सरकार उनपर बुलडोजर चलवा रही है। बड़ी संख्या में सरकारी नौकरियां खत्म की जा रही हैं। बिहार के समस्तीपुर, अररिया और सिवान आदि अंचलों में अल्पसंख्यकों, महिलाओं और गरीबों पर सुनियोजित हमले बढ़ते जा रहे हैं। यहां की खेती किसानी से भी नीतीश को कोई मतलब नहीं रह गया है। नीतीश सिर्फ 5 कि.मी. की सरकार चला रहे हैं। हम नीतीश और दिल्ली तख्त पर बैठे मोदी को इस सम्मेलन के माध्यम से कड़ी पटखनी देंगे।
सीपीएम के पूर्व राज्य सचिव अवधेश कुमार ने कहा कि बिहार में डबल इंजन की सरकार विफल है। उसके चलते बिहार की जनता की परेशानियां बढ़ती जा रही है। फासीवादी, साम्प्रदायिक ताकतों के सामने नीतीश ने घुटने टेक दिये हैं। अल्पसंख्यक, गरीबों पर दिन-प्रति-दिन हमले तेज होते गए हैं। यहां जारी होनेवाला रिपोर्ट कार्ड उनसे सवाल करेगा। बिहार की जनता आपसे इस्तिफा मांगती है। आप ही के द्वारा गठित बंद्योपाध्याय आयोग ने गरीबों को 10 डिसमिल जमीन देने की बात कही थी। आपने आज तक इस काम को नहीं किया। हर साल बिहार में लाखों परिवार बाढ़ से विस्थापित होेते हैं। बिहार में बुलडोजर राज चल रहा है। इसके लिए हम हर तरह की कुर्बानी देंगे।
बिहार की पूर्व मंत्री एवं राजद नेतृ नीता देवी ने प्रधानमंत्री मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चर्चा करते हुए कहा कि ये प्रचारित करते रहे हैं कि बिहार में बहार है, लेकिन सच तो यह है कि यहां के लोग बदहाल हैं, फटेहाल हैं, एमबीए पास युवकों को रोजगार नहीं मिल रहा। सभी अपनी किस्मत पर रो रहे है। नीतीश कुमार ने किसानों का समर्थन मूल्य 2006 मंे ही खत्म कर दिया जिसके कारण यहां के मजदूर, किसान आत्मदाह करने की स्थिति में आ गए हैं। डीजल, पेट्रोल और गैस के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। जेपी ने 74 में बदलाव किया था इसी बिहार से। आज हम गांव-गांव से अलख जगायें ताकि यह जनविरोधी सरकार दुबारा सत्ता में न आये।
सीपीआई के राज्य सचिव रामरेश पांडेय ने कहा कि बिहार में चारों ओर अपराध, भ्रष्टाचार और अफरशाही का बोलबाला है। यहां एक भी स्वास्थ्य उपकेंद्र नहीं चल रहा है। हर केंद्र पर ताला लगा है। परीक्षा देनेवाले छात्रों के प्रश्नपत्र पहले ही लिक हो जा रहे हैं। करोड़ों लोग गृहविहीन हैं, गांव के मजदूर विवश और लाचार हैं। ऐसे में एक बड़े आंदोलन ही एक रास्ता बचता है।
सीपीएम के राज्य सचिव ललन चैधरी ने कहा कि बिहार में संकट गहरा है। समय रहते अगर इसका समाधान नहीं निकाला गया तो स्थिति बदतर ही होती जाएगी। उन्हांेंने कहा कि नीतीश सरकार ने बिहार के हर विभागों में गांधी सिद्धांत का फोटो टंगवा रखा है जिसमें पहला ही वाक्य है सिद्धांत के बिना राजनीति। आप तो पाखंड कर रहे हैंे किसके साथ गठबंधन करके सत्ता में आये और कहां चले गए? आप कहते थे जीरो टाॅलरेंस, एक रुपये का भ्रष्टाचार आपको बर्दाश्त नहीं। आज आलम यह है कि बिहार सरकार का एक विभाग ऐसा नहीं जहां रिश्वत न ली जाती हो, बजट का 60 प्रतिशत व्हाईट मनी में बदला जा रहा है। हत्या, बलात्कार, बैंक लूट, और एटीएम तोड़ने की घटनाओं को क्या हम कानून का राज कहेंगे। कानून का राज नहीं है यह। आज झूठे मुकदमें में नागरिकों के एक वर्ग को प्रशासन फंसाने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में विपक्ष का अंतर मात्र 12 हजार मतों का रहा वह कहें कि दो तीन पंचायत के बराबर के मत हैं और वह भी बेईमानी के कारण सत्ता ने यह जीत हासिल की।
राजद के प्रधान महासचिव अब्दुल बारी सिद्दिकी ने कहा कि संपूर्ण क्रांति का यह दिन हमलोगों के लिए ऐतिहासिक दिन है। आज ही के दिन जेपी ने सम्पूर्ण क्रांति की घोषणा की थी। जेपी का उद्वेश्य महज सत्ता परिवर्तन तक ही सीमित नहीं था। वे चाहते थे कि समाज से दलित शोषित का भेदभाव मिटे, समाज की जो कुरीतियां हैं उसका सफाया हो। सिद्दिकी ने कहा कि किसी संगठन में बहस और आंदोलन न हो तो समझिये वह संगठन मृत हो गया। उन्होंने कहा कि आज शिक्षा के नाम पर हम अशिक्षित लोगों की जमात पैदा कर रहे हैं। आज समाज को शिक्षित-प्रशिक्षित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आज देश में भय, घृणा और द्वेष का वातावरण संगठित रूप से बनाया जा रहा है। जिनके हाथ में शासन है वही इस माहौल को बनाये रखना चाहते हैं। ये वे लोग हैं जिनका इस देश की आजादी के आंदोलन में कोई राॅल नहीं रहा है, लेकिन यह विडम्बनापूर्ण बात है कि वे ही आज आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं और देशभक्ति का सर्टिफिकेट भी बांट रहे हैं। अभी की लड़ाई आसान नहीं है। आज मीडिया का भी चरित्र परिवर्तित हो गया हैं जो वह आज परोस रही है आज का युवा उसे ग्रहण कर रहा है। हमारी चुनौती बड़ी है जबतक हम इस देश की अखंडता को कायम करने के लिए आगे नहीं आएंगे वे हमें कभी हिन्दू के नाम पर तो कभी मुसमान के नाम पर, कभी अगड़ा के नाम पर तो कभी दलित के नाम पर बांटते रहेंगे। उन्होंने कहा कि लड़ाई बड़ी है, अभी तो यह अंगड़ाई है, आगे बड़ी लड़ाई है।
सीपीआई एम.एल के पोलित ब्यूरो सदस्य श्री राजाराम सिंह ने कहा कि आज सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन मनाने की जवाबदेही उनको नहीं है जो सत्ता में हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज बिहार को पुलिस राज में तब्दील करना चाहते हैं। उन्हांेने विधानसभा में पुलिस एक्ट लाया। जब माननीय सदस्यों ने उसका विरोध किया तो सदन में पुलिस से उनके उपर हमले करवाये गये। उन्होंने कहा कि इस हमले को हमारे विधायकों ने सहा। लोकतंत्र को हमने जिंदा रखा है। यहां से देशभर में लड़ाई चलेगी। आज किसानों को उनका लाभकारी मूल्य नहीं मिल रहा है, आज यहां से यह संकल्प लेकर हम निकलें कि वर्तमान शासन व्यवस्था को हटाना है।
सीपीआई नेता एवं पूर्व सांसद नागेन्द्र ओझा ने कहा कि सम्पूर्ण क्रांति के दौर मंे दिनकर जी का यह नारा ‘सिंहासन खाली करो कि जनता आती है’ काफी लोकप्रिय हुआ था। यह उस समय युवकों की जुवान पर था। आज देश में उसी तरह की स्थिति पैदा हो गई है। कोरोना काल की चर्चा करते हुए श्री ओझा ने कहा कि उस दौर में 45 लाख से ज्यादा मजदूर तबाह हुए। सरकार ने उनकी कोई मदद नहीं की। मजदूर साइकिल, मोटरसाइकिल और पांव पैदल किसी तरह अपने घर को लौटे। आज अपने बिहार में उनके लिए काम नहीं है। ग्टिटी तोड़नेवाले लोगों को आजतक सरकार ने वास का स्थान नहीं दिया। उल्टे वे जिस जमीन पर बसे हैं बड़े पैमाने पर उनके घरों पर बुलडोजर चलाये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि नीतीश जी सत्ता के लिए सती नहीं न होइये, जनता से किये गए वादा को पूरे कीजिए।

 

भाकपा माले की केंद्रीय समिति सदस्य श्री केडी यादव ने 74 आंदोलन का अनुभव साझा करते हुए कहा कि आज ही के दिन 74 में पटना के गांधी मैदान में लाखों-लाख छात्र नौजवानों ने बिहार और हिन्दुस्तान को बदलने के लिए शिरकत की थी। उनकी इसी आकांक्षा को देखते हुए जेपी ने सम्पूर्ण क्रांति का नारा दिया था। उन्होंने कहा कि सत्ता में बैठे मोदी उनकी नाजायज संतान हैं, वह हिटलर और मुसोलिनी की संतान हंै। उस दौर में भी हिटलर की आकांक्षा को पूरी करने के लिए कुछ सोशलिस्टों ने उसका साथ दिया था, आज भी इस मोदी की सहायता में सोशलिस्ट कैम्प के कुछ लीडर लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि यह सरकार अभिव्यक्ति की आजादी को बुलंद करनेवाले रविकांत, रतनलाल और अविनाश दास जैसे बौद्धिकों को जेल में डालने का कुचक्र रच रही है। वह अभिव्यक्ति की आजादी को खत्म कर देना चाहती है। उन्होंने कहा कि बिहार में शिक्षा और स्वास्थ्य का हाल बुरा है। इस सत्तासीन सरकार को सम्पूर्ण क्रांति दिवस मनाने का कोई हक नहीं है। उन्हांेने आह्वान किया कि हम सब 74 से भी बड़ी लड़ाई के लिए तैयार हो जाएं इसके लिए जो भी कुर्बानी देनी पड़े हम तैयार रहें। भगत सिंह और आंबेडकर के रास्ते इसके लिए हमें अख्तियार करने होंगे।
राजद के राज्यसभा सांसद अशफाक करीम ने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है। 74 के बाद आज का दिन दूसरी तारीख के रूप में महत्वपूर्ण साबित होगी। इस मुल्क में पिछड़े, दलित, मुस्लिम और आदिवासियों पर सुनियोजित हमले बढ़ते जा रहे हैं। कटिहार में पुलिस बेगुनाहों पर ही एफआईआर दर्ज कर रही है। यह स्थिति असह्य है। हमें संगठित होकर देश को इस स्थिति से बाहर निकालने की हर कोशिश करनी चाहिए।
पूर्व राज्यसभा सदस्य श्री शिवानंद तिवारी ने कहा कि आज ही के दिन जेपी ने सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन की घोषणा की थी, आज जो भी नेता हैं वहीं से उपजे हैं। उन्होंने 74 के दौर का प्रभाजोशी से जुड़ा स्मरण साझा किया। कहा कि प्रभाष जोशी ने जेपी को बतलाया था कि आपकी गिरफ्तारी हो सकती है। इसपर जेपी ने कहा था कि मेरी गिरफ्तारी होगी तो गंगा में आग लग जाएगी। जेपी गिरफ्तार हुए लेकिन कोई हलचल नहीं हुई। इंदिरा के आपातकाल और मोदी के अघोषित आपातकाल की चर्चा करते हुए श्री तिवारी ने कहा कि दोनों में बड़ा फर्क है। आपातकाल के बाद इन्दिरा गांधी और संजय गांधी चुनाव हार गए। क्योंकि उनके पास तब जनसमर्थन नहीं रह गया था। लेकिन दिल्ली की सरकार के पीछे जन समर्थन भी है। मोदी ने किसानों, छात्रों सबको साथ लेकर चलने का वायदा किया था। मोदी को पिछड़े, अति पिछड़े और सामाजिक न्याय के लोगों का समर्थन प्राप्त है। आज उन्होंने इस देश का हाल यह बना दिया है कि कभी भी गृहयुद्ध की स्थिति पैदा हो सकती है। उन्होंने कहा कि देश में यह पहली बार हो रहा है कि जिसने दंगा भड़काया वह आराम से है और जिनने दंगों को रोकने की कोशिश की, सरकार उनके उपर बुलडोजर चलवा रही है। एक ही रास्ता है वह है संघर्ष का। किसान आंदोलन ने 3 कृषि कानून को वापस लेने के लिए सरकार को बाध्य किया। पिछले चुनाव में नेता प्रतिपक्ष ने बेरोजगारी को मुद्दा बनाया और मोदी को भी उसे मुद्दे पर आना पड़ा।
सीपीएम नेता श्री अजय कुमार ने कहा कि आज देश सहित बिहार की हालत बद-से बदतर होती जा रही है। आज अल्पसंख्यकों एवं दलितों पर बुलडोजर चलाया जा रहा है और सरकार मूकदर्शक बनी इस तमाशे को देख रही है। हमें संघर्ष के रास्ते इस स्थिति को बदलने के लिए आगे आना होगा।
कार्यक्रम का संचालन कर रहे राजद विधायक आलोक मेहता ने कहा कि आज देश की हालत आपातकाल से कम नाजुक नहीं है। आयोजन के लिए हीसम्पूर्ण क्रांति के इस दिन का चुनाव भी इसीलिए किया गया ताकि देश के अंदर बढ़ रही फिरकापरस्त ताकतों के खिलाफ हम एकजुट हों।
कार्यक्रम में मंच पर उपस्थित लोगों में रामचंद्र पूर्वे, महबूब आलम, रामवली सिंह चंद्रवंशी, मनोज झा और शक्ति सिंह यादव आदि मुख्य थे।

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