इप्टा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रणबीर सिंह के निधन पर श्रधांजली सभा आयोजित

इप्टा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रणबीर सिंह के निधन पर श्रधांजली सभा आयोजित
जेटी न्यूज/मधुबनी

रणबीर सिंह का निधन दिनांक 23 अगस्त को हो गया और इसी के साथ देश ने पारसी थियेटर के जानकार और वर्षों पुरानी सांस्कृतिक विरासत के पैरोकार को खो दिया है। रणबीर सिंह ने पारसी थियेटर को उसके मौलिक स्वरूप में नाटक करने वालों और दर्शकों के बीच लाने का काम किया। देश विदेश के कई नाटकों का पारसी थियेटर शैली में एडॉप्टेशन कर तथा राष्ट्रीय – अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पारसी थियेटर के विविध वर्णी आयाम को प्रस्तुत कर नौजवानों के बीच इस कला रूप को पूरी ज़िम्मेदारी और गंभीरता से रखा। उनके असामयिक निधन से सबको आघात लगा है। इप्टा ने अपना नेता और अभिभावक को खो दिया है। रणबीर सिंह के साथ बिताते समय को याद करते हुए मधुबनी इप्टा के पूर्व सचिव अर्जुन राय ने कहा कि रणबीर सिंह की सक्रिय भूमिका आगरा कन्वेंशन के शुरू हुई और उम्र भर इप्टा आंदोलन को नए ओज पर लाने का प्रयास किया।


मधुबनी इप्टा के अध्यक्ष अरविंद प्रशाद ने कहा कि रणबीर सिंह बहुमुखी प्रतिभा के धनी थें। उन्होंने इप्टा को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इप्टा आंदोलन को प्रमुखता के साथ प्रस्तुत किया। मधुबनी इप्टा के सचिव रंजीत राय ने कहा कि रणबीर सिंह जी का निधन राष्ट्रीय क्षति है। देश ने नाट्य आंदोलन का एक सेनापति खो दिया है। आज के विपरीत समय में अपने अगुआ का जाना हम सबकी क्षति है। उन्होंने कहा कि रणबीर सिंह ने कहा था कि नाटक हमारे जीवन और सामाजिक परिवर्तन का प्रमुख आधार रहा है । आजादी का आन्दोलन हो या या देश और दुनिया में जितनी भी क्रांतियाँ हुई है, उसके पीछे नाटकों की प्रस्तुतियों ने बदलाव लाने में महती भूमिका निबाही है ।

नाटक मनुष्य के मस्तिष्क पर सीधा असर करता है । नाटक का उद्देश्य सिर्फ मनोरंजन करना भर नहीं है बल्कि वह समाज की विसंग्गातियों और विद्रूपताओं को सामने रखकर समाज को आइना दिखाता है। तो वहीं बिहार इप्टा के राज्य सचिव इन्द्रभूषण रमन बम बम ने कहा कि उन्होंने चिंता जाहिर की थी की वर्तमान दौर में नए नाटक नहीं लिखे जा रहे हैं । जनता अच्छे नाटक देखना चाहती है और नाटककारों को जनता के बीच जाने की जरुरत है । आज के चुनौती भरे दौर में नाटककारों और कलाकारों की अहम् भूमिका है जिसे गंभीरता से समझने की जरुरत है। रंगर्मियों को अपनी वर्तमान भूमिका पर चिंतन करने जरुरत है । इस श्रधांजली सभा मे रमेश कुमार, रौशन कुमार, मिथिलेश मैथिल, वैदेही, पुनिता, कृतिका, कोमल, संजना, प्रींस, रोहित, सूबोध, कमलेश, अमरनाथ आदि ने भी राष्ट्रीय अध्यक्ष को भावभीनी। श्रद्धांजलि दी।

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