ठाकुर अनुकूल चंद्र जी की वाणीयों को आत्मसात करने वाले मानवों का होता है मंगल
ठाकुर अनुकूल चंद्र जी की वाणीयों को आत्मसात करने वाले मानवों का होता है मंगल
जेटी न्यूज
डी एन कुशवाहा
रामगढ़वा पूर्वी चंपारण- मानव जीवन को सार्थक कर मनुष्यों में अमर चेतना जागृत करने से ही मानव का कल्याण होगा। बगैर मानव कल्याण का समाज अधूरा है। मनुष्य को सत्य और निष्ठा का सही मार्ग दर्शन सत्संग से ही मिल सकता है। इस बाबत तुलसी दास जी ने कहा है कि “बिनु सत्संग विवेक न होई, राम कृपा बिनु शुलभ न सोई”।
कल्कि अवतार, अवतारी पुरुष,युग पुरुषोत्तम परमप्रेममय श्री श्री ठाकुर अनुकूलचंद्र जी की वाणी किसी एक समुदाय या धर्म के लिए नहीं है, बल्कि संपूर्ण समाज के लिए है। वर्तमान समय में धोखेबाज बहरूपिया के चक्कर में भटक रहे लोगों को ठाकुर जी के संबंध में जानकारी देकर उनकी दीक्षा कराना एवं उनके नीति-विधि का पालन करने एवं कराने से ही समस्त मानव का कल्याण संभव है। अभी समग्र संदेह का निराकरण कर लोगों में विश्वास पैदा करना जरूरी है। जब तक संदेह का निराकरण नहीं होगा, तब तक लोग विश्वास नहीं करेंगे। विश्वास से ही ज्ञान की प्राप्ति होती है।
मनुष्य को अपने भीतर हीन भावना नहीं रखना चाहिए। उनके मन में यदि किसी प्रकार का संदेह उत्पन्न होता है, तो उन्हें उसके निराकरण के लिए संबंधित लोगों से संपर्क करना चाहिए। हालांकि गूगल या यूट्यूब में सर्च कर आज बहुत सारे लोग ठाकुर जी को समझ पा रहे हैं। इसमें गूगल एवं यूट्यूब का कार्य काफी सराहनीय है।
गौरतलब हो कि ठाकुर जी की दीक्षा ग्रहण कर उनके नीति-विधि – यजन, याजन, इष्टभृति, स्वस्त्ययनी एवं सदाचार नियम का पालन करने वाले प्रत्येक मानवों का मंगल ही मंगल होता है। ऐसे व्यक्ति अकाल मृत्यु के शिकार नहीं होते हैं।
वंदे पुरूषोत्तमम्!
??जय गुरु!??