बिहार की इस बेटी ने बिजली के करंट लगने में गंवा दिए थे दोनों हाथ.. अब पैरों से लिख रही अपनी तकदीर….

         

रिपोर्ट गीता कुमार खगड़िया

अलौली निवासी भुपेंद्र यादव की पुत्री कृष्णा कुमारी ने साल 2016 में अपने दोनों हाथ बिजली के करंट लगने में गंवा दिए थे।बावजूद इसके उसने हिम्मत नहीं हारी और अपने पैरों की उंगलियों से लिखती हैं।पढ़िए खगड़िया बिहार की साहसी बेटी कृष्णा की पूरी कहानी..

खगड़िया: कहा गया है जब मन में विश्वास और हौसला होता है तो इंसान जीवन में हर मुसीबत को पार कर जाता है। हौसला हमारी शक्ति को हमेशा बढ़ाता है और लक्ष्य तक पहुंचने के लिए प्रेरित करता है।इन बातों को जिले अंतर्गत अलौली प्रखंड की भुपेंद्र यादव की 15 वर्षीय पुत्री कृष्णा ने सही साबित किया है।साल 2016 में हुई एक दुर्घटना में कृष्णा कुमारी ने अपने दोनों हाथ गंवा दिए थे।इसके बाद उसकी जिंदगी बदल गई।बावजूद इसके उन्‍होंने हार नहीं मानी और अपनी पढ़ाई जारी रखी।

दाहिने पैरों से लिखती है कृष्णा:

खगड़िया जिले के अलौली प्रखंड के अलौली गांव वार्ड-06 की कृष्णा कुमारी उच्च शिक्षा ग्रहण करना चाहती है और अपना भविष्य बनाना चाहती है।मन में आगे बढ़ने का संकल्प और ललक इस कदर है कि दिव्यांगता भी उसके हौसलों को तोड़ नहीं सका।15 वर्षीय कृष्णा पढ़ाई लिखाई के साथ-साथ खेलकूद में भी दिलचस्पी रखती हैं।कृष्णा कहती है कि सरकार द्वारा महावीर विकलांग मिशन के तहत 400 सौ रुपये मिलते हैं।मैं भविष्य में पढ़ लिखकर जॉब करना चाहती हूं।अपने परिवार की देखभाल करना चाहती हूं।इसके साथ-साथ अपने जिले सहित राज्य का नाम रौशन देश-विदेश में करना चाहती हूं।जिस वजह से मुझे सरकार से मदद की जरूरत है। उन्होंने ने बताई कि 2 भाई और 6 बहन में तीसरे नम्बर पर वो है।अभी एस० एस० हाईस्कूल,अलौली में 9वीं कक्षा में पढ़ाई कर रही है।

हादसे में गंवा दिए थे दोनों हाथ:

कृष्णा कुमारी जब 9 वर्ष की थी तब स्कूल से घर आने के बाद अपने भाई बहन के साथ छत पर खेलने गयी थी। जहां हाथों का स्पर्श 11हजार वोल्टेज के बिजली के तार से हो गया जिसके बाद इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अलौली ले गये वहां से रेफर के बाद खगड़िया और खगड़िया से भागलपुर और भागलपुर से पटना ले गए। जहां डाक्टरों को ईलाज के दौरान उसके दोनों हाथ काटना पड़ा।घटना के बाद छात्रा को तृतीय कक्षा तक की पढ़ाई कर अपनी पढ़ाई रोकने पड़ी थी।लेकिन उसने भी आम बच्चों की तरह कुछ कर दिखाने की दृढ़ इच्छा जताई।अपने माता पिता और भाई बहनों के लिए कुछ करने की मन में इच्छा जताते हुए उसने फिर से हाथ नहीं रहने के बावजूद पैर से ही लिखकर पढ़ना शुरू किया।

“हादसे के बाद मम्मी ने सरकारी स्कूल में दाखिला करवा दिया। फिर मैंने पैर से लिखना शुरू किया।अभी 9वीं कक्षा की तैयारी कर रही हूं।सरकार मुझे मदद करे ताकि आगे भी पढ़ सकूं।मेरे पिता मजदूरी कर पूरे परिवार का भरण पोषण करते हैं।₹400 विकलांग राशि मिलता है उससे क्या होगा?” डीएम साहब से आग्रह है कि मेरे दोनों हाथ लगवाने का प्रयास करें…
कृष्णा कुमारी, दिव्यांग छात्रा

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