देश के युवाओं को नई दिशा देने का दायित्व शिक्षण संस्थानों की होती है

देश के युवाओं को नई दिशा देने का दायित्व शिक्षण संस्थानों की होती है

जे टी न्यूज़, दरभनग : देश के युवाओं को नई दिशा देने का दायित्व शिक्षण संस्थानों की होती है, जिससे व्यक्ति निर्माण के साथ ही राष्ट्र निर्माण भी होता है। इतिहास हर राष्ट्र को तेजी से आगे बढ़ने का एक मौका देता है। भारत का यह अमृतकाल है, जब भारत विकसित होने जा रहा है। भारत के लिए यही सही समय है। हमें इस काल का लाभ उठाना चाहिए। आजादी प्राप्ति के काल में अनेक विश्वविद्यालयों ने नई चेतना का संचार किया था। उक्त बातें भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने “विकसित भारत @ 2047: वॉइस आफ यूथ” कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए कही, जिसमें राज्यों के राज्यपाल, विश्वविद्यालयों कुलपति, शिक्षक- कर्मचारी एवं छात्र- छात्राएं ऑनलाइन माध्यम से उपस्थित थे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें युवा ऊर्जा को इस एक लक्ष्य की ओर चैनेलाइज करना है। अब हमारा हर कार्य विकसित भारत के लिए होना चाहिए। हम सबको विकसित भारत की मुख्य धारा में जोड़ें। हमें प्रयास करना है कि इस कार्य में अधिक से अधिक युवा जुड़ सके। सभी युवाओं में कुछ न कुछ खास होता है और वे बेहतर सुझाव दे सकते हैं। उन्होंने बेहतरीन 10 सुझावों पर पुरस्कार दिये जाने की जानकारी देते हुए कहा कि युवा देशहित को सर्वोपरि रखें। वहीं देश के सभी नागरिक 24 घंटे सजग रहते हुए समाज में नई चेतना फैलाएंगे, ताकि लोगों में कर्तव्यनिष्ठा जागृत हो सके। देश का हर नागरिक चाहे, वह जिस किसी भूमिका में हों, वे अपना बेहतर कार्य करें। ऊर्जा संरक्षण, पर्यावरण सुरक्षा तथा स्वच्छता अभियान आदि की बातें हर कोई सोचे तो देश तेजी से आगे बढ़ेगा। इस यात्रा में छोटी- छोटी बातें भी महत्वपूर्ण सिद्ध होंगी।

 

प्रधानमंत्री ने कहा कि शिक्षकों को अपने छात्रों का रोल मॉडल बनना होगा। छात्रों के पास सिर्फ डिग्रियां ही नहीं, बल्कि कोई न कोई स्कील जरूर होना चाहिए। विकसित भारत का यह अमृत काल वैसा ही है, जैसा हमारा परीक्षा काल। हमारे सामने 25 वर्षों का काल है जो भारत को विकसित कर सके। हम सबकी यह जिम्मेदारी है कि भारत 1947 तक विकसित राष्ट्र बन सके। भारत युवाशक्ति से सशक्त है। यहां की युवाओं पर पूरी दुनिया की नजरे हैं। सरकार युवाओं के विचारों को विकसित भारत निर्माण की नीतियों से जोड़ना चाहती है। विकास के रोड मैप में सिर्फ सरकार की ही नहीं, बल्कि पूरे देशवासियों के विचार शामिल हो। हमने सबके प्रयास की ताकत देखी है। शिक्षाविद् युवा शक्ति को व्यवस्थित करने वाले होते हैं। अमृतकाल स्वयं को बनाते हुए राष्ट्र बनाने वाली पीढ़ी का कालखंड है। प्रधानमंत्री के संबोधन के पूर्व भारत सरकार के शिक्षा मंत्री डा धर्मेंद्र प्रधान ने स्वागत संबोधन करते हुए कहा कि आजादी के 100 वर्ष पूरे होने पर 2047 में भारत विकसित राष्ट्र बनेगा। शिक्षा से जुड़े सभी व्यक्ति विद्यार्थियों के साथ मिलकर इस दिशा में आगे बढ़ेंगे। इसमें सभी लोग जिम्मेदारी निभाएंगे और नए भारत के सृजन में अपना योगदान करेंगे। इस कार्य में जन-जन का योगदान महत्वपूर्ण है।

 

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के जुबली हॉल में ऑनलाइन माध्यम से सभी संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, पदाधिकारी, शिक्षक, कर्मचारी एवं शोधार्थी- विद्यार्थी काफी संख्या में उपस्थित थे। लोगों को संबोधित करते हुए कुलसचिव डा अजय कुमार पंडित ने कहा कि यह कार्यक्रम राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित हो रहा है। विकसित भारत निर्माण में युवाओं सहित सभी लोगों की भागीदारी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि युवा देश के भविष्य होते हैं, जिनके कंधों पर देश का भार होता है। कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन हिन्दी के वरीय प्राध्यापक प्रो चन्द्रभानु प्रसाद सिंह ने किया। उन्होंने बताया कि 12 से 26 दिसंबर के बीच विभागों के पास लगे बैनर के सामने छात्र- छात्राएं तीन प्रश्नों के उत्तर पोर्टल पर ऑनलाइन माध्यम से देंगे और बैनर के साथ सेल्फी लेकर सोशल मीडिया पर अपलोड भी करेंगे। आज विभिन्न विभागों में उक्त कार्यशाला से संबंधित पांच विषयों पर रुचि के अनुरूप विचार- विमर्श भी हुए।

Pallawi kumari

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