मजदूरों के जनाजे में उमड़ी लोगों की भीड़ 

मजदूरों के जनाजे में उमड़ी लोगों की भीड़ 

जे टी न्यूज, मधुबनी : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आदेश पर स्थानिक आयुक्त नई दिल्ली ने महाराष्ट्र सरकार से समन्वय स्थापित कर मृतकों के पार्थिव शरीर को बिहार भेजा। प्रशासन की देखरेख में प्रतिनियुक्त पदाधिकारियों ने पार्थिव शरीर संबंधित परिजनों को सुपूर्द किया।

महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के संभाजी नगर की दस्ताना फैक्ट्री में आग लगने से हुई मौत में शामिल लदनियां के डलोखर निवासी मो. मुश्ताक (62), मो. कौसर आजम (29) व मिर्जापुर के मो. इकबाल (25) के पार्थिव शरीर तीन दिनों के बाद बुधवार को परिजनों को सुपूर्द किया गया। लाश पहुंचने की खबर सुनते ही सबके के घर पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। समाज के बुजुर्गों ने धैर्य से काम लेते हुए प्रभावित परिजनों को समझाया और भीड़ को नियंत्रित किया। लोगों का तांता लगा रहा। इन परिवारों के हृदय विदारक दारुण दृश्य के कारण गांव का वातावरण पूरी तरह गमगीन हो गया। रोते-रोते परिजनों के आंसू सूख गए थे। मुंह से आवाज नहीं निकल पा रही थी। मुखिया प्रतिनिधि रामचन्द्र यादव, रामचंद्र ठाकुर, विष्णुदेव भंडारी आदि ने मातमी माहौल में गम में डूबे लोगों को सांन्त्वना दी। मंजिल में तीनों की ताबूत को एक साथ शामिल कर कब्रिस्तान ले जाया गया। वहां लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। लोगों ने कहा कि इन परिवारों पर अचानक आई इस विपदा से परिजन अत्यंत ही सदमे में हैं।

मो. मुश्ताक के आश्रितों में शामिल लड़कियां, पांच लड़के व पत्नी आबिदा खातून लाश आने पर बेसुध हो गए। सभी संतानों के चेहरे पर मायूसी छाई हुई थी। बेसहारा हो चुके इनकी बेरोजगार संताने सबकुछ अल्लाह पर छोड़ अन्त्येष्टि में शामिलथीं। मुश्ताक के सहारे सबकी परवरिश होती थी। उनकी कमाई से ही सबों का भरण-पोषण होता था। उनकी मौत से आबिदा खातून के ऊपर पहाड़ टूट पड़ा है। एक छोटी सी कमाई की रकम से इतने बड़े परिवार को चलाती आ रही आबिदा अब किसकी कमाई के सहारे घर चलाने में समर्थ हो पाएगी। सबसे बड़ी समस्या और सवाल है, जिसका फिलहाल किसी के पास कोई जवाब नहीं है। अब कौन लेगा सबकी सुधि। सुधि लेने वाला ही सिधार गया।

मो. कौसर के आश्रितों में शामिल एक लड़की, एक लड़का व पत्नी सम्मा परवीन लाश आते ही दहाड़ पड़ी। नाबालिग अविवाहित इन बच्चों को पड़ोस के लोगों ने संभाल रखा था। गरीबी के कारण अच्छी पढ़ाई-लिखाई नहीं कर सके इन सबों के सामने विपत्ति आ खड़ी है। घर पर ठीक से भरण-पोषण नहीं हो पाने के कारण कौसर बाहर जाकर काम करता था। उनकी असामयिक हुई मौत से पत्नी व बाल बच्चे काफी सदमे में हैं। रो- रो कर सबका हाल बुरा है। तीन दिनों से उनके घर चूल्हे नहीं जले हैं। चारों तरफ मातम पसरा हुआ है। अबाक गुमसुम बैठी सम्मा की समझ में कुछ नहीं आ रहा है।

इस हादसे में शामिल मिर्जापुर गांव के युवक मो. इकबाल के शव की आने की खबर सुनकर परिजनों के बीच कोहराम मच गया। सभी गिरते- पड़ते दौड़े। लाश देखकर ज्येष्ठ दोनों भाई, माता समिदा खातून व पिता एहरार के चेहरे पर बेहोशी छा गई। भरण-पोषण व दवा- दारू का वही एक मात्र सहारा था, जो अचानक काल के गाल में समा गया। उक्त आश्रितों के बीच वीरानगी पसरी हुई है। इनके निधन से आसपास के लोग मर्माहत हैं। माता समिदा खातून की तबीयत चिंता से बिगड़ती चली जा रही है। सबकुछ सामान्य होने में न जाने कितना वक्त लगेगा। उसकी माने तो बेवक्त सब कुछ गुजर गया।

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