नोवल कोविड वायरस 19 (करोना) और उसकी प्रकृति

गौतम सुमन

भागलपुर:
करोना वायरस की प्रकृति को समझने का प्रयास मात्र भर है,
करोना वायरस उन सभी मानव, जो अपने चेहरे पर नकाब लगाकर संसार में घुमते थे,
शायद यह बात उसे खल गई,वह आक्रोश में उन सभी लोगों का नकाब उतारने का कार्य किया।उसने सब लोगों को घर पर रहने को विवश कर यह समझाना चाहा कि नकाब या बनावट की दुनिया उसे पंसद नहीं।
यह सत्‍य है कि मानव भी संसार में गंदी वस्तुओं को, जो उसे नहीं खाना चाहिए,उसे भी खा रहा है,इसीलिए इस कोरोना ने सभी लोगों के मुंह पर मास्क पहनवा दिया ।
एक बात और करोना वायरस को यह मी खल रही थी कि मानव आधुनिक युग में अपने को सर्व शक्तिमान समझकर विश्व के पर्यावरण और प्रकृति के नियमों को वैज्ञानिक तौर पर प्रयोग कर उसे असंतुलित कर रहा है साथ ही वह वातावरण को प्रदूषण से भरकर ओजोन की परत में छेद कर रहा है।इतना ही नहीं वह कार्बन मोनो आक्साइड और कार्बन डाय आक्साइड गैस की मात्रा प्रकृति में लगातार बढाने का कार्य कर रहा है,शायद यही बात उसे अधिक खल गई तभी उसने विश्व को लाॅकडाउन का पालन करने पर विवश कर दिया। आज शहर और गाँव की हवा दिन प्रतिदिन शुद्ध हो रही है।


मानव आपने लोभ-लालच और कुत्‍सित सोच वाली प्रवृत्ति को छोड़ दे ,शायद करोना वायरस जिसे नोवल कोविड 19 नाम दिया गया है,इसलिए अचानक ही संसार में उत्पन्न हुआ है।
भविष्य में पुनः इस संसार में दुबारा ऐसे खतरनाक वायरस का सामना विश्व को न करना पड़े,ऐसी सीख करोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए लाॅकडाउन में मेरे द्वारा समझने का प्रयास मात्र भर है।
पर हाँ,आप निश्चिंत रहें, जिसका जन्म हुआ है,उसकी मृत्यु सुनिश्चित है,करोना नोवल वायरस भी निश्चित रूप से संसार से विनिष्ट होगा ।

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