जेएलएनएमसीएच में कोरोना मजाक:

फाइलों में 24 घंटे कोरोना मरीजों के सैंपल की हो रही है जांच, हकीकत इससे कोषों दूर....

जेटीन्यूज़
भागलपुर: स्वास्थ्य विभाग की फाइलों में भागलपुर स्थित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) परिसर स्थित कोरोना लैब (कल्चर एंड डीएसटी लैब) में 24 घंटे जांच हो रही है, लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है।

यहां तैनात माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट एवं लैब टेक्नीशियन (चिकित्साकर्मियों) ने बाजीगरी दिखाते हुए 24 घंटे की ड्यूटी को 12 घंटे में बदल दिया। बड़ी बात यह कि इनकी इस बाजीगरी की भनक साहबों को नहीं हुई। आलम यह हुआ कि रिपोर्ट के आधार पर प्रधान सचिव स्वास्थ्य ने जेएलएनएमसीएच प्रशासन से स्पष्टीकरण मांग लिया। दो मई को जब कोरोना लैब की शुरुआत की गयी तो जेएलएनएमसीएच प्रशासन ने दावा किया कि लैब में 24 घंटे कोरोना जांच की जायेगी। इसके तहत हर शिफ्ट (आठ घंटे का एक शिफ्ट) में दो-दो माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट व चार लैब टेक्नीशियन की तैनाती की गयी थी, लेकिन यह शिफ्ट कॉलेज प्रशासन की फाइलों में चल रही है।

हकीकत यह है कि यह लैब सुबह नौ बजे खुलती है और रात नौ बजे बंद कर दी जाती है। इन माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट व लैब टेक्नीशियन ने चार-चार घंटे की शिफ्ट बना रखी है जो कि सुबह नौ से एक बजे, दोपहर बाद एक से शाम पांच बजे तक और तीसरी शिफ्ट पांच से लेकर रात नौ बजे तक चलती है। इनकी इस कार्यशैली से जो कोरोना जांच आठ घंटे में हो जानी चाहिए, वह 24 से 36 घंटे में हो रही है। इससे कोरोना मरीजों की जांच और इलाज प्रभावित हो रहा है और संदिग्ध मरीज जांच रिपोर्ट नहीं आने तक मानसिक रूप से परेशान रहते हैं।

जांच की रफ्तार हो गयी धीमी
लैब से जुड़े विशेषज्ञों के मुताबिक, यहां पर लगी दो सीबी नाट व दो ट्रू नाट मशीन से 12 घंटे में कम से कम 108 कोरोना मरीजों का सैंपल जांचा जा सकता है, लेकिन चिकित्साकर्मियों की निष्क्रियता व लापरवाही के कारण इन 12 घंटे में अधिकतम 35 से 40 जांच रोजाना किया जा रहा था। आलम यह कि मई माह के तीसरे सप्ताह में हर रोज जांच की रफ्तार पांच से 10 जांच रोजाना तक सिमट गयी थी। इस दौरान एक दिन तो एक भी कोरोना जांच नहीं की गयी थी। यह जांच रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव को भेजी गयी रिपोर्ट से पुष्ट होती है।

जब मांगा गया स्पष्टीकरण तो तेज हो गयी जांच की रफ्तार
लैब सूत्रों की मानें तो सैंपल जांच की धीमी रफ्तार से खफा मायागंज अस्पताल के दो वरीय चिकित्सा पदाधिकारियों ने एक जून को खासी नाराजगी जतायी थी। इसे लेकर लैब के अध्यक्ष के साथ बहस भी हुई थी। जांच रिपोर्ट जब प्रधान सचिव स्वास्थ्य के पास पहुंची तो जेएलएनएमसीएच प्रशासन से जुड़े एक पदाधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा गया।

इसके बाद कोरोना जांच की रफ्तार थोड़ी तेज हो गयी। प्रेशर बना तो इसी जांच लैब में दो जून को करीब 40 सैंपल की जांच की गयी तो तीन जून को 50 सैंपल की जांच हो गयी। यहां तक कि जांच की रफ्तार बढ़ाने के लिए शुक्रवार से एक और सीबी नॉट मशीन जांच के लिए लगा दी गयी है। इस मशीन से इवनिंग व नाइट में कोरोना जांच होगी, जबकि सुबह में इसी मशीन से एमडीआर व डीएसटी टीबी की जांच की जायेगी।

सीसीटीवी कैमरे में कैद हैं करतूतें
कोरोना लैब में जांच की निगरानी करने के लिए दो सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। अगर सीसीटीवी कैमरे के फुटेज को खंगाला जाए तो माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट व लैब टेक्नीशियन की करतूतों को देखा जा सकता है। बताया जाता है कि माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट लैब के बाहर आराम फरमाते रहते हैं और जांच होने के बाद सिर्फ जांच रिपोर्ट पर सिग्नेचर करते हैं।

24 घंटे की शिफ्ट के बजाय हर रोज 16 घंटा जांच की जा रही है। हम रोजाना इस लैब में सीबी नॉट मशीन से 70 जांच व ट्रू नॉट मशीन से 50 जांच कर रहे हैं, जो कि शासन द्वारा निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप है। – डॉ. हेमंत कुमार सिन्हा, प्राचार्य, जेएलएनएमसीएच, भागलपुर

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