डीआरपीसीएयू देश के शीर्ष दस विश्वविद्यालय में हुआ शामिल


कार्यालय, जे टी
समस्तीपुर। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर के कुलपति डॉ. रमेश चंद्र श्रीवास्तव के नेतृत्व में विश्वविद्यालय ने एक और गौरवशाली उपलब्धि हासिल किया है। इंडिया टुडे ग्रुप के देश के सभी विश्वविद्यालयों के सर्वे की रैंकिंग में इस विश्वविद्यालय को सर्वोच्च दस विश्वविद्यालय में शामिल किया गया है।

इस सर्वे में विश्वविद्यालय को विभिन्न मानकों पर 1587 अंक प्राप्त हुए। उक्त आशय की जानकारी देते हुए सूचना पदाधिकारी डॉ राज्यवर्धन ने बताया कि विश्वविद्यालय की इस उपलब्धि से परिसर में हर्ष का माहौल है। उन्होंने बताया कि डॉ. रमेश चंद्र श्रीवास्तव के कुलपति बनने के बाद से विश्वविद्यालय में अकादमिक, अनुसंधान, इंफ्रास्ट्रक्चर सहित अन्य श्रेणियों में तेजी से प्रगति हुई है। पिछले तीन वर्षों से लगातार हो रही प्रगति के कारण हीं विश्वविद्यालय ने देश के शीर्ष दस विश्वविद्यालयों में स्थान प्राप्त किया है।

इस उपलब्धि पर संवाददाताओं को संबोधित करते हुए डॉ. श्रीवास्तव ने कहा कि विश्वविद्यालय कि इस उपलब्धि को देखकर उन्हें अत्यंत हर्ष हो रहा है। अपने संबोधन में उन्होंने इस उपलब्धि का श्रेय विश्वविद्यालय के सभी शिक्षकों, कर्मचारियों तथा छात्रों को दिया जिन्होंने उनके योजनाओं को मूर्त रूप देने में भरपूर सहयोग किया। कुलपति ने टीम वर्क की सराहना की तथा भविष्य में और अधिक करने की सलाह दी है।

उनका सपना है कि यह विश्वविद्यालय हर मानक पर देश तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सर्वोच्च स्थान प्राप्त करे। विश्वविद्यालय को इंफ्रास्ट्रक्चर और लिविंग एक्सपीरिएंस के मानक में कुल 175 में 133.7 अंक मिले हैं। इसी तरह कैरियर प्रोग्रेशन एवं प्लेसमेंट में भी विश्वविद्यालय को अधिक अंक मिला है।

डॉ. श्रीवास्तव ने कहा कि विश्विद्यालय लगातार प्रगति के पथ पर अग्रसर है और भारत के यशश्वी प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी के सपनों को साकार करने के लिए लगातार अथक परिश्रम कर रहा है। विश्वविद्यालय किसानों की आय बढ़ाने के लिए विभिन्न योजनाओं पर काम कर रहा है और उसमें सफलता भी मिल रही है। कोविड के दौर में प्रवासी श्रमिकों को रोज़गार उपलब्ध कराने के लिए प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। डॉ. श्रीवास्तव ने विश्वविद्यालय के सभी लोगों को बधाई दी और कहा कि हमें इतने में ही संतुष्ट नहीं होना है तथा लगातार कर्मपथ पर अग्रसर रहना है।

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