मांगों पर शीघ्र नहीं हुआ विचार तो छात्रों व अभिभावकों को एकजुट कर चरणबद्ध आंदोलन को कटिबद्ध है आइसा – मयंक

जेटी न्यूज़। संवाददाता

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा परिसर स्थित दुरुस्थ शिक्षा निदेशालय के जुलाई 2020 से अग्रणी सत्र की मान्यता दिये जाने सहित उत्तर बिहार का खुला विश्विद्यालय घोषित करवाने
को लेकर आइसा के राष्ट्रीय काउंसिल सदस्य व हरलाखी निवासी मयंक यादव ने दिल्ली स्थित पहुँचकर विश्विद्यालय अनुदान आयोग के चैयरमेन को मांग पत्र सौंपा है। यूजीसी चेयरमैन को सौंपे गए मान्यता बहाल से जुड़े मांग पत्र में आइसा नेता मयंक यादव ने स्पष्ट किया है कि डिस्टेंस एजुकेशन दरभंगा के मान्यता रद्द हो जाने को लेकर लाखों छात्रों का भविष्य अधर में अटकने जैसी है। खासकर जो गरीबी के कारण बाहर अन्य शहरों में नौकरी करने लगते है या कोई सरकारी जॉब करते है। वैसे छात्र समय के अभाव रेगुलर कोर्स में पठन पाठन नहीं कर पाते है। ऐसी परिस्थितियों में छात्रों के लिए डिस्टेंस एजुकेशन के माध्यम से पठन पाठन ही शिक्षा ग्रहण करने का एक सशक्त माध्यम था।


ऐसे में अगर डिस्टेंस एजुकेशन की मान्यता रद्द हो जाती है तो इस इलाके के लाखों छात्र-छात्राओं के सामने शिक्षा व भविष्य के क्षेत्र में व्यपाक संकट खड़ा हो जाएगा।
ख़ास तौर पर आर्थिक रूप से जो कमजोर परिवार से आनेवाले छात्र शिक्षा से वंचित हो जाएंगे।
डिस्टेंस एजुकेशन के मान्यता रद्द होने से छात्रों और अविभावकों में काफी आक्रोश व्याप्त है।
मयंक यादव ने कहा कि जरूरतमंदों व स्वस्थ शिक्षा आसानी से सुलभ हो इसके लिए आइसा लगातार संघर्षरत रहा है। जो कि आगामी दौर में संघर्ष जारी रहेगा। जिसके मद्देनजर यूजीसी चैयरमेन से आइसा नेताओं ने मांग किया की अविलंब डिस्टेंस एजुकेशन के मान्यता का विस्तार किया जाए। उक्त कार्रवाई को अगर शीघ्र रूप नहीं दिया गया तो आइसा इस क्षेत् के छात्रों व अविभावकों के बीच मे व्यापक प्रचार प्रसार कर जागरूक करने की कार्रवाई करेगा। इसके साथ ही व्यापक गोलबंद कर चरणबद्ध तरीके से आंदोलन तेज करने को आइसा कटिबद्व है।

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