रामगढ़वा सहित पूरे रक्सौल अनुमंडल में श्रद्धा भक्ति के साथ की गई मां सरस्वती की पूजा-अर्चना

रामगढ़वा सहित पूरे रक्सौल अनुमंडल में श्रद्धा भक्ति के साथ की गई मां सरस्वती की पूजा-अर्चना

जेटी न्यूज

डी एन कुशवाहा

रामगढ़वा पूर्वी चंपारण-रक्सौल अनुमंडल के सभी शहरों सहित सभी प्रखंडों के शैक्षणिक संस्थानों में एवं पढ़ने वाले विद्यार्थियों के द्वारा विभिन्न गांव में शनिवार को श्रद्धा भक्ति के साथ सांप्रदायिक माहौल में मां सरस्वती की पूजा अर्चना की गई। इस अवसर पर जिलाधिकारी एस कपिल अशोक के निर्देशानुसार कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन किया गया। आज के दिन विद्यार्थीयों ने कलम और कॉपी मां सरस्वती के चरणों में रखकर उनसे सद्बुद्धि व विद्या देने की मांग की।
वसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा क्यों?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, सृष्टि की रचना होने के बाद सभी जीव पृथ्वी पर वास कर रहे थे, लेकिन चारों ओर सन्नाटा पसरा हुआ था। इस वजह से ब्रह्मा जी ने वाणी की देवी मां सरस्वती का आह्वान किया, तब मां सरस्वती प्रकट हुईं। माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी ति​थि को माता सरस्वती का प्रकाट्य हुआ था, उस दिन वसंत पंचमी थी। इस वजह से हर वर्ष वसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा की जाती है।

मां सरस्वती की कृपा से ही जीवों को स्वर प्राप्त हुआ, उन्हें वाणी मिली। सभी बोलने लगे। जिसमें सबसे पहले मां सरस्वती के वीणा से ही संगीत के प्रथम स्वर निकले। ज्ञात हो कि वीणावादिनी मां सरस्वती कमल पर आसिन होकर हाथों में पुस्तक लेकर प्रकट हुई थीं। इस वजह से मां सरस्वती को ज्ञान एवं वाणी की देवी कहा जाता है।
गौरतलब हो कि वसंत पंचमी
को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। वसंत पंचमी को सरस्वती पूजा होती है, इस वजह से इस दिन को सरस्वती पूजा के नाम से भी जानते हैं। मां सरस्वती का दूसरा नाम वागीश्वरी भी है, इसमें वसंत पंचमी को वागीश्वरी जयंती भी कहा जाता है।

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