प्राचीन कला केंद्र के प्रमाण पत्रों की वैधता पर सवाल उठाना शीर्ष अदालत की अवमाना – राजा

प्राचीन कला केंद्र के प्रमाण पत्रों की वैधता पर सवाल उठाना शीर्ष अदालत की अवमाना – राजा

 

कार्यालय, जेटी न्यूज
समस्तीपुर/पूसा। प्राचीन कला केंद्र द्वारा प्रदत्त प्रमाण पत्र की वैधता पर सवाल उठाना सर्वप्रथम माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश की अवमानना है। समय समय पर इस तरह का भ्रामक बयान दे कर शिक्षा विभाग या किसी नियोजन इकाई के पदाधिकारी क्या साबित करना चाहते हैं यह समझ से परे है। उक्त बातें पूसा प्रखंड के वैनी स्थित जगमोहन विद्यापति कॉलेज ऑफ आर्ट एंड टेक्नोलॉजी के सचिव संजय कुमार राजा ने संवाददाताओं से कही। पिछले दिनों पटना से प्रकाशित एक दैनिक अखबार में “प्राचीन कला केंद्र चंडीगढ़ द्वारा जारी प्रमाणपत्र अमान्य” शीर्षक से प्रकाशित खबर की जानकारी मिलने पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए प्रेस वार्ता में उन्होंने ने कहा कि हर वर्ष किसी न किसी दैनिक समाचार पत्र में एक बार इस तरह की भ्रामक खबर प्रकाशित करने का रिवाज बन गया है। यह बेहद शर्मनाक और निंदनीय है।

पदाधिकारियों को ऐसे अनर्गल बयान देने से बचना चाहिए। इससे छात्र छात्रा व अभिभावक भ्रमित होते हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारी जानकारी रखते नहीं हैं, न ही कुछ जानने की इच्छा रखते हैं और न ही संबंधित मामले में किसी से जानकारी मांगते भी नहीं हैं। अधिकारियों को पता नही है कि
1) बिहार में आज तक भारतीय संगीत कला के संवर्धन हेतु किसी प्रकार का कोई उच्च शिक्षण संस्थान नही है। बिहार आज भी संगीत शिक्षा एवं मानद उपाधि केलिए आज भी उत्तर प्रदेश और चंडीगढ़ पर आश्रित है।
2) प्राचीन कला केंद्र देश के सुव्यवस्थित एवं प्रतिष्ठित मानक संस्थानों में से एक है, जिसके प्रमाण पत्रों को विभिन्न सेवाओं हेतु देश भर के दर्जनों विश्व विद्यालय एवं राज्य सरकारों ने मान्यता दे रखी है।


3) अंजू कुमारी बनाम बिहार सरकार के मामले में फैसला सुनाते हुए माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने प्राचीन कला केंद्र के संगीत विषारद को स्नातक एवं संगीत भास्कर को स्नातकोत्तर के समकक्ष माना है।
4) यूजीसी ने कभी अपने किसी पत्र में प्राचीन कला केंद्र के प्रमाण पत्र को अमान्य करार नही दिया है। 5) एक बार इसी प्रकार भ्रामक खबर के आलोक में बाकायदा मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने भी विभिन्न दैनिक पत्रों में इस आशय की विज्ञप्ति के माध्यम से प्राचीन कला केंद्र के प्रमाण पत्रों की वैधता की पुष्टि की है। आज आलम यह है कि, हजारों लोग केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय, राज्य सरकार के स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों में संगीत शिक्षक और प्राध्यापक के रूप के योगदान कर रहे हैं। श्री राजा ने अभिभावकों से अपील करते हुए कहा कि छात्र छात्राओं को परेशान होने की कोई आवश्यकता नहीं है।

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