संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा पश्चिम चंपारण के जिला पदाधिकारी को सौपा गया स्मारपत्र

संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा पश्चिम चंपारण के जिला पदाधिकारी को सौपा गया स्मारपत्र

जे टी न्यूज़
बेतिया : बिहार राज्य किसान सभा के संयुक्त सचिव प्रभुराज नारायण राव ने बतलाया कि आज बेतिया में दशहरे की छुट्टी के कारण बिहार राज्य किसान सभा के जिला सचिव चांदसी प्रसाद यादव , लोक संघर्ष समिति के पंकज , सीटू जिला मंत्री शंकर कुमार राव ने जिला पदाधिकारी के ई मेल पर स्मारपत्र प्रेषित किया । संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आज देश के सभी जिला पदाधिकारियों को एक ज्ञापन दे रहा है । जिसमें जिला पदाधिकारी के द्वारा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग किया गया है कि लखीमपुर खीरी किसान हत्याकांड जो आज ही के दिन 3 अक्टूबर 2021 को हुआ था। उसके मुख्य साजिशकर्ता गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी को मंत्री पद से बर्खास्त कर हत्या का मुकदमा चलाया जाए । निर्दोष किसानों की जेल से रिहाई तथा झूठे मुकदमे वापस किया जाय । पिछले साल आज ही के दिन सुनियोजित तरीके से बाहुबली अजय मिश्र टेनी के निर्देश पर उनका बेटा आशीष मिश्र टेनी अपने गुंडों के साथ मिलकर निर्दोष किसानों को थार गाड़ी से कुचल दिया था । जिसमें 4 किसान और एक पत्रकार शहीद हुए थे ।

उसके खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर आज देश भर में सभी जिला पदाधिकारियों को मांग पत्र दिया जा रहा है। आजादी के 75 साल पूरे होने पर लखीमपुर खीरी के किसान महापड़ाव में भी इन मांगों को दोहराया गया था । तब जिला प्रशासन ने अगस्त के अंत तक राज्य सरकार से बैठक कराने का भी वादा किया था ।लेकिन आज तक मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार को या उस समझौते में शामिल अधिकारियों को किसानों के साथ मीटिंग करने की फुर्सत नहीं मिली। आज लखीमपुर खीरी के 5 किसानों की सुनियोजित हत्या को 1 साल हो गया । अभी तक न्याय नहीं मिला ।

मजबूरन आज देशभर में किसान और इस घटना से आहत तमाम न्याय पसंद लोग काली पट्टी बांधकर शहीदों को श्रद्धांजलि भेंट करते हुए केंद्र सरकार का पुतला जला रहे हैं। किसानों के साथ इस शत्रुतापूर्ण रवैया के विरोध में अपना रोष जाहिर कर रहे हैं । साथ ही लखीमपुर खीरी के शहीद किसानों के लिए न्याय की मांग को दोहरा रहे हैं और मांग करते हैं कि लखीमपुर खीरी हत्याकांड के मुख्य साजिशकर्ता अजय मिश्र टेनी को गृह राज्य मंत्री पद से बर्खास्त किया जाए और गिरफ्तार कर जेल भेजा जाए । 3 अक्तूबर की घटना के संबंध में एफ आई आर संख्या 219/21 दर्ज कराई थी । उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई । अजय मिश्र टेनी दोषी हैं । जिनकी आपत्तिजनक बयान की वजह से किसानों ने 3 अक्टूबर को तिकोनीया में विरोध किया था । उन्होंने ही 25 सितंबर 2021 को खुले मंच से एक सभा में धर्म विशेष के किसानों को लखीमपुर खीरी से खदेड़ कर बाहर करने की धमकी दी थी । जो पूरी तरह असंवैधानिक जुर्म था । एसआईटी की जांच में 120 बी में हत्या का सुनियोजित षड्यंत्र किए जाने की बात स्वीकार की है । इसके बावजूद सरकार द्वारा अजय मिश्र टेनी को बचाने के प्रयास जारी है । सबसे ज्यादा शर्मनाक उनका आज तक के केंद्रीय मंत्री बने रहना है । इतना ही नहीं अजय मिश्र टेनी की किसानों के प्रति अपमानजनक और शत्रुतापूर्ण बयानबाजी आज भी जारी है । आपसे आग्रह है कि अजय मिश्र टेनी को मंत्रिमंडल से तत्काल बर्खास्त करते हुए लखीमपुर खीरी हत्याकांड के मुख्य साजिशकर्ता को हत्या के आरोप में जेल भेजें । साथ ही जेल में बंद निर्दोष किसानों की तत्काल रिहाई और फर्जी मुकदमों की वापसी करें ।

4 अक्टूबर 2021 को शहीद साथियों के अंतिम संस्कार के दौरान पुलिस कमिश्नर निरंजन कुमार , वरिष्ठ आईजी पुलिस लक्ष्मी सिंह , तत्कालीन डीएम , एस एस पी से हमारे नेताओं की जो बातचीत हुई थी कि हमलावरों की ओर से किसानों के खिलाफ लगाए जा रहे हत्या के आरोपों के संदर्भ में पुलिस प्रशासन इस घटना को गंभीर एवं एकाएक उकसावपूर्ण पैदा हुई कार्रवाई समझकर किसानों को गिरफ्तार नहीं करेगी और जिन किसानों का नाम हमलावरों ने हत्या करने में लिखवाया है । उन्हें धारा 304 ए के तहत आरोपी बना कर जमानत दे देगी । अश्वासनों के विपरीत हमारे चारों साथियों को धारा 302 आईपीसी के तहत आज तक जेल में रखा गया है । इन्हें जमानत मिल न सके इसके लिए सरकारी वकील लगातार कोर्ट में पैरवी कर रहे हैं । हम इस स्मार पत्र के माध्यम से आपसे कहना चाहते हैं कि अपनी जान की रक्षा करना प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है ।किसी कारण से आपकी सरकार इसे मान्यता देने को तैयार नहीं है और किसानों को भयभीत करने की मंशा से उन पर दमन कर रही है। हमारा आपसे आग्रह है इन चार साथियों के ऊपर लगाए गए आरोपों की सही विवेचना कर उन्हें शीघ्र जमानत दिलाया जाय और दोष मुक्त करें । शहीद किसानों और घायलों के परिवारों को आर्थिक मदद और सरकारी नौकरी का वादा पूरा करें ।सरकार के प्रतिनिधि अधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि राज्य सरकार प्रत्येक शहीद हुए साथी के परिजनों को 45 लाख रूपये और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देगी । सभी घायलों को 10 लाख रूपये मुआवजा देगी। शहीदों के परिवारों को मुआवजा देगी ।

लेकिन शहीद साथियों के परिवारों के मात्र 5 परिवारों को 45 लाख रुपए मुआवजा दिया गया । बाकी सभी परिवारों को मुआवजा की मांग सरकार से लगातार की जा रही है और सरकार मुकर रही है । इस घटना में घायल 13 साथियों को अभी तक कोई मुआवजा नहीं दिया गया और ना ही शहीद हुए 5 किसान साथियों के परिवार के किसी को सरकारी नौकरी दी गई । संयुक्त किसान मोर्चा इस घटना से संबंधित गवाहों पर जानलेवा हमले भी करने की शिकायत की है । पैरवी कर रहे किसान नेताओं पर फर्जी मुकदमे ठोकने और डराने धमकाने की साजिश भी होती रही है । अतः वैसे किसान नेताओं को मजबूती के साथ सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है ।ताकि शहीद किसानों को न्याय मिल सके।

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