ठाकुर जी की दीक्षा ग्रहण कर नीति विधि का पालन करके ही हम बचने बढ़ने का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं: अशोक चौरसिया जेटी न्यूज डी एन कुशवाहा रामगढ़वा पूर्वी चंपारण- अंग्रेजी में कहते हैं, ‘वर्क इज वरशिप’, अर्थात कर्म ही पूजा है। लेकिन हर कर्म पूजा नहीं है। आलस्य, मजबूरी, गलाकाट प्रतिस्पर्धा, भय, ईर्ष्या, द्वेष,घृणा से युक्त किया गया कर्म पूजा नहीं है। व्यर्थ या बुरी भावना से किए गए कर्म विकर्म या पापकर्म कहे जाते हैं। ऐसा कार्य वरशिप के बजाय वॉरशिप बन जाता है। अर्थात कर्मक्षेत्र, युद्धक्षेत्र में बदल जाता है। बुरे कर्म का फल दु:ख, अशांति, पीड़ा, रोग, शोक, कष्ट के रूप में भोगना पड़ता है। उक्त बातें सह प्रति ऋत्विक अशोक कुमार चौरसिया दादा ने रामगढ़वा प्रखंड क्षेत्र के शिवनगर सतपिपरा गांव में सोनू पाण्डेय के दरवाजे पर आयोजित युग पुरुषोत्तम परमप्रेममय श्रीश्री ठाकुर अनुकूलचंद्रजी के सत्संग को संबोधित करते हुए गुरुवार को कही। उन्होंने कहा कि कलियुग में अधिकांश मानव अमानुष बन गये हैं। और धरती के सबसे विवेकशील प्राणी होने के बाद भी मानवीय व्यवहार कर रहे हैं। ठाकुर जी इस धरा धाम पर अमानुष बने मानुष को पुनः मानुष बनाने के लिए भूमिष्ट हुए हैं। उन्होंने कहा कि पवना जिला हिमायतपुर (वर्तमान – बांग्लादेश) छोड़कर ठाकुर जी हम मानवों के कल्याण के लिए देवघर में मानव बनाने का कारखाना खोलें। जहां हर इंसान को जाकर अपने जीवन को धन्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ठाकुर जी की दीक्षा का अर्थ जात-धर्म परिवर्तन करना नहीं है, बल्कि दक्षता प्राप्त करना है। श्री चौरसिया ने कहा कि दीक्षा ग्रहण कर उनकी नीति-विधि का पालन करने वाले व्यक्तियों की कतई अकाल मृत्यु नहीं होती है। सत्संग की शुरुआत एम के मिशन आवासीय विद्यालय के निदेशक ध्रुव नारायण कुशवाहा की शंखनाद एवं पंडित बृजेश तिवारी दादा के उद्बोधनी भजन से हुई। इस अवसर पर शिक्षक राकेश कुमार ,ईशी नर्सिंग होम के निदेशक विभाष कुमार ओझा, कमलेश तिवारी दा, धर्मेंद्र पासवान तथा संजय कुमार दास दा ने ठाकुर भक्ति से ओतप्रोत होकर एक से बढ़कर एक भजन गाया, जिससे श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए। मौके पर रामजीत पासवान, नाल वादक दिनेश पाण्डेय, ज्योति नारायण शर्मा तथा सतीश कुमार तिवारी सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे। इस अवसर पर एक दर्जन से अधिक श्रद्धालुओं ने ठाकुर जी की दीक्षा ग्रहण की।

ठाकुर जी की दीक्षा ग्रहण कर नीति विधि का पालन करके ही हम बचने बढ़ने का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं: अशोक चौरसिया

ठाकुर जी की दीक्षा ग्रहण कर नीति विधि का पालन करके ही हम बचने बढ़ने का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं: अशोक चौरसिया
जेटी न्यूज

डी एन कुशवाहा

रामगढ़वा पूर्वी चंपारण- अंग्रेजी में कहते हैं, ‘वर्क इज वरशिप’, अर्थात कर्म ही पूजा है। लेकिन हर कर्म पूजा नहीं है। आलस्य, मजबूरी, गलाकाट प्रतिस्पर्धा, भय, ईर्ष्या, द्वेष,घृणा से युक्त किया गया कर्म पूजा नहीं है। व्यर्थ या बुरी भावना से किए गए कर्म विकर्म या पापकर्म कहे जाते हैं। ऐसा कार्य वरशिप के बजाय वॉरशिप बन जाता है। अर्थात कर्मक्षेत्र, युद्धक्षेत्र में बदल जाता है। बुरे कर्म का फल दु:ख, अशांति, पीड़ा, रोग, शोक, कष्ट के रूप में भोगना पड़ता है। उक्त बातें सह प्रति ऋत्विक अशोक कुमार चौरसिया दादा ने रामगढ़वा प्रखंड क्षेत्र के शिवनगर सतपिपरा गांव में सोनू पाण्डेय के दरवाजे पर आयोजित युग पुरुषोत्तम परमप्रेममय श्रीश्री ठाकुर अनुकूलचंद्रजी के सत्संग को संबोधित करते हुए गुरुवार को कही।

उन्होंने कहा कि कलियुग में अधिकांश मानव अमानुष बन गये हैं। और धरती के सबसे विवेकशील प्राणी होने के बाद भी मानवीय व्यवहार कर रहे हैं। ठाकुर जी इस धरा धाम पर अमानुष बने मानुष को पुनः मानुष बनाने के लिए भूमिष्ट हुए हैं। उन्होंने कहा कि पवना जिला हिमायतपुर (वर्तमान – बांग्लादेश) छोड़कर ठाकुर जी हम मानवों के कल्याण के लिए देवघर में मानव बनाने का कारखाना खोलें। जहां हर इंसान को जाकर अपने जीवन को धन्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ठाकुर जी की दीक्षा का अर्थ जात-धर्म परिवर्तन करना नहीं है, बल्कि दक्षता प्राप्त करना है। श्री चौरसिया ने कहा कि दीक्षा ग्रहण कर उनकी नीति-विधि का पालन करने वाले व्यक्तियों की कतई अकाल मृत्यु नहीं होती है। सत्संग की शुरुआत एम के मिशन आवासीय विद्यालय के निदेशक ध्रुव नारायण कुशवाहा की शंखनाद एवं पंडित बृजेश तिवारी दादा के उद्बोधनी भजन से हुई। इस अवसर पर शिक्षक राकेश कुमार ,ईशी नर्सिंग होम के निदेशक विभाष कुमार ओझा, कमलेश तिवारी दा, धर्मेंद्र पासवान तथा संजय कुमार दास दा ने ठाकुर भक्ति से ओतप्रोत होकर एक से बढ़कर एक भजन गाया, जिससे श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए। मौके पर रामजीत पासवान, नाल वादक दिनेश पाण्डेय, ज्योति नारायण शर्मा तथा सतीश कुमार तिवारी सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे। इस अवसर पर एक दर्जन से अधिक श्रद्धालुओं ने ठाकुर जी की दीक्षा ग्रहण की।

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