आखिर क्यों जिले के चर्चित समस्तीपुर कॉलेज समस्तीपुर विवादों के साये में है, इसके जिम्मेदार कौन?

आखिर क्यों जिले के चर्चित
समस्तीपुर कॉलेज समस्तीपुर विवादों के साये में है, इसके जिम्मेदार कौन?

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के अधीन समस्तीपुर कालेज के सारे फैसले नियमों के विरुद्ध , कहीं विश्विद्यालय की भूमिका तो नहीं?

जेटीन्यूज़
भागलपुर/समस्तीपुर : पिछले कई महीनो में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के अधीनस्थ समस्तीपुर कॉलेज समस्तीपुर विवादों के घेरे में लगातार आ रही है बावजूद विश्वविद्यालय इस पर कोई कदम नहीं उठा रहा आखिर ऐसा क्यों , ये बड़ा सवाल उठने लगा है । इससे ओहले ज्ञात हो कि समस्तीपुर कालेज, समस्तीपुर जिले का एक प्रमुख कालेज है। यहां लगभग 15 हजार छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण करते हैं। लगातार विश्वविद्यालय द्वारा गलत फैसले थोपे जाने के कारण यह कालेज विवादों का क्रेन्द्र बनकर रह गया है। विदित हो कि एक सोची-समझी साजिश के तहत कालेज के एक मात्र वरीयतम प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष रसायन शास्त्र विभाग (डा. कुशेश्वर यादव‌) का मई 2022 में स्थानांतरण कर उसी दिन यहां छठे स्थान के जुनियर शिक्षक डा. सत्येन कुमार को प्रभारी प्रधानाचार्य बना दिया गया , जो राजभवन सचिवालय के *पत्रांक TMBU -25/2003-1725/GS(I) दिनांक 27.7.2003 के सर्वथा विरूद्ध है।* उक्त पत्र के आलोक में राजभवन सचिवालय के पत्रांक *एल.एन.एम.यू. (एच.ई.) -14/2023-764/रा०स०(I) दिनांक 26-05-2023 के* आदेशानुसार विश्वविद्यालय ने प्रोफेसर कुशेश्वर यादव का पुनर्पदस्थापन 5 जुलाई 2023 को समस्तीपुर कालेज, समस्तीपुर में कर दिया। लेकिन उसी दिन बगल के कालेज के स्थायी प्रधानाचार्य डॉ. बीरेंद्र कुमार चौधरी को यहां का स्थायी प्रधानाचार्य भी बना दिया। प्रधानाचार्य डा. चौधरी ने उसी समय उनकी अनुपस्थिति में वरीयतम प्रोफेसर (डा.) कुशेश्वर यादव‌ को प्रधानाचार्य का कार्य भार संपादित करते रहने का लिखित पत्र भी जारी कर दिया। लेकिन पुनः 6 अक्टूबर 2023 डा. चौधरी ने डा. सत्येन कुमार को उक्त चार्ज दे दिया।

वरीयतम प्रोफेसर की उपस्थिति में ऐसे जुनियर शिक्षक को जिसे उसी कारण उसी पद से हटाया गया था कि वह एक जुनियर शिक्षक है, पुनः कार्यवाहक प्राचार्य बनाना गया है,यह कहा तक उचित है? दबे जवान लोग यह भी कहने लगे हैं कि इस फैसले को थोपने में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय की भूमिका संदिग्ध रही है ,क्योंकि बिना विश्वविद्यालय की सहमति के इतने गलत फ़ैसले नहीं लिए जा सकते हैं । हालांकि झंझट टाइम्स अखबार ऐसे ढाबे नहीं करता है, किंतु यह जांच के दायरे में जरूर है। राजभवन स्तर या सरकार स्तर से इसकी जांच होती है तो बड़े खुलासे होने की प्रबल संभावना दिख रही है । अब देखना यह है कि इसकी जांच होती है,या लीपापोती होती है,आनेवाला समय ही तय करेगा।

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