लगमा ब्रह्मचारी की 13वीं पुण्यतिथि समारोह पूर्वक मनाया गया

लगमा ब्रह्मचारी की 13वीं पुण्यतिथि समारोह पूर्वक मनाया गया

जे टी न्यूज,मधुबनी (प्रो अरुण कुमार) : संस्कृत एवं सांस्कृतिक विरासत को मिथिला में पुनर्स्थापित करने बाले युग पुरुष थे जगदीश नारायण ब्रह्मचारी जी।

मिथिला में इनके आगमन से संस्कृत शिक्षा के संरक्षण एवं संवर्धन को एक नया आयाम मिला। ये बातें ब्रह्मचारी जी के 13वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए वक्ताओं ने कहा। दरभंगा जिले के तारडीह प्रखंड के लगमा गांव स्थित आश्रम पर महाराज जी के पुण्यतिथि पर पूजा-अर्चना कर भंडारा का आयोजन हुआ। वहीं बिहार सहित प्रदेश के अन्य भागों में ब्रह्मचारी जी के शिष्यों ने श्रद्धापूर्वक पुण्यतिथि मनाई। शिक्षाविद् रामसेवक झा ने बताया कि दिल्ली स्थित श्रीलाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रांगण में जगदीश नारायण ब्रह्मचारीजी महाराज की त्रयोदशतमी पुण्यतिथि समारोह पूर्वक मनाई गई।

कार्यक्रम का शुभारंभ यज्ञाचार्य पं.श्रीउदयनाथ झा के निर्देशन में सुन्दरकाण्ड एवं विद्यावाचस्पति प्रो० सुन्दर नारायण झा के निर्देशन में ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्वेवेद चारों वेदों के सस्वर पारायण पाठ के साथ हुआ। उसके बाद दिल्ली एवं निकटस्थ अनेक वेद विद्यालयों से पधारे वेदपाठी वटुकों के मध्य वास्तुशास्त्रविभागाध्यक्ष प्रो. देवी प्रसाद त्रिपाठी की अध्यक्षता में वेदमन्त्रान्त्याक्षरी प्रतियोगिता आयोजित हुई ।‌ इस प्रतियोगिता के निर्णायक वेदविभागाध्यक्ष प्रो० देवेंद्र प्रसाद मिश्र, डा० ओङ्कार यशवन्त सेलूकर थे । इसमें ३५ वेदपाठियों ने सोत्साह भाग लिया ।

द्वितीय सत्र में मुख्यसमारोह की अध्यक्षता करते हुए श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत विश्वविद्यालय  कुलपति प्रो. मुरलीमनोहर पाठक ने ब्रह्मचारी जी के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। बतौर विशिष्टातिथि भारतीय राजस्व सेवा में उच्च पदाधिकारी पद से सेवानिवृत्त प्रकाश चंद्र झा, भारतीय पुलिस सेवा, आइ. जी. दिल्ली, डा.परेश सक्सेना, प्रो. नागेन्द्र झा तथा सारस्वतातिथि के रूपमें प्रो.देवी प्रसाद त्रिपाठी आदि ने अपने अपने उद्गार व्यक्त किये।

कार्यक्रम का संयोजन व संचालन प्रो० सुन्दर नारायण झा तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. कृष्णकान्त‌ ठाकुर ने किया । समारोह में पं.रामाकांत झा, विद्याशंकर झा, सरस्वती नारायण झा आदि उपस्थित थे।

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