ऐसे शासकों और शासन व्यवस्था से निराश है राष्ट्र।

भूख से बेहाल देश के लाखों लोग सड़कों पर मारे फिर रहे हैं,क्या दिख नहीं रहा?

राजनेताओं ने साबित कर दिया कि उनसे संवेदना की उम्मीद बेमानी है

किसकी बात की जाए,केंद्र की ?

दिल्ली,महाराष्ट्र,गुजरात,बंगाल, झारखंड या फिर बिहार की ?

इन शासकों की वजह से देश के करोड़ों परिवारों की जिन्दगी मौत से भी बदतर

छप्पन प्रकार के भोजन खाकर, वातानुकूलित कमरे में बैठकर भाषण देना बहूत आसान

आर.के.रॉय/संजीव मिश्रा

नई दिल्ली :

देश के राजनेताओं ने साबित कर दिया कि उनसे संवेदना की उम्मीद ही बेमानी है।किसकी बात की जाए,केंद्र की ?दिल्ली,महाराष्ट्र,गुजरात,बंगाल, झारखंड या फिर बिहार की ?हर जगह अलग-अलग दलों की सरकार है,लेकिन हर शासक की हालत एक जैसी ही है।

संकट की घड़ी में देश और विभिन्न प्रदेश के शासकों ने देशवासियों को उनके हाल पर मरने के लिए छोड़ दिया है।आज इन शासकों की वजह से देश के करोड़ों परिवारों की जिन्दगी मौत से भी बदतर हो गई है।इन शासकों की वजह से देश के इतिहास में पहली बार इतना बड़ा पलायन हो रहा है

और देश में एक गम्भीर संकट उत्पन्न हो गया है,जिसका खामियाजा देश को लंबे समय तक भुगतना पड़ेगा।ताज्जुब होता है जब ये शासक कहते हैं कि लोगों को धैर्य रखना चाहिए।अरे जाहिलों,कोई इंसान जो खुद भूख से तड़प रहा हो और अपनी नजरों के सामने अपने छोटे-छोटे बच्चों को भूख से बेहाल देख रहा हो,वो कहाँ से धैर्य लाए।

छप्पन प्रकार के भोजन खाकर, वातानुकूलित कमरे में बैठकर भाषण देना काफी आसान होता है।कभी उन बेबस और लाचार गरीबों के हालत की कल्पना तो करें,फिर समझ आए कि धैर्य किसे कहते हैं।

य रे शासन,हाय रे शासन व्यवस्था।अमेरिका से रोमियो हेलीकॉप्टर की खरीद हो रही है,देश में बुलेट ट्रेन आ रहा है,सरकार के विदेश यात्रा,सरदार पटेल की मूर्ति,पार्क,म्यूज़ियम और बड़े उद्योगपतियों के टैक्स छूट देने में लाखों करोड़ खर्च हो रहे हैं।

मैं इन खर्चों को नाजायज नहीं कह रहा, लेकिन ये सारे खर्चे तब जायज हैं,जब एक भी देशवासी भूखा न रहे।ऐसे में जबकि आज करोड़ों हिन्दुस्तानी भूख से बेहाल हैं,हमारी सरकार उन्हें दो वक्त की रोटी दे पाने में नाकाम रही,ये सारे खर्च नाजायज लगते हैं।शौक और सुरक्षा पर खर्च तब शोभा देता है जब इंसान की मूल आवश्यकता पूरी हो जाए।

भूख से बेहाल देश के लाखों लोग सड़कों पर मारे फिर रहे हैं,क्या हमारे शासकों को नजर नहीं आ रहा।कोई भूख से मर रहा है तो कहीं लोग दुर्घटना से मर रहे हैं,क्या हमारी सरकार को नजर नहीं आता।आज भूख से बेबस और लाचार हिन्दस्तान को पूरा विश्व देख रहा है।लेकिन शायद हमारे शासकों की आंखों पर चढ़ा काला चश्मा उन्हें ये सब देखने नहीं दे रहा।घोषणा पर घोषणा,घोषणा पर घोषणा,परिणाम शून्य।

कोरोना ने देश के शासकों और शासन व्यवस्था से हमारा साक्षात्कार करवा दिया।संकट की इस घड़ी में हमारे देश,प्रदेश के शासकों ने ये साबित कर दिया कि इस धरती पर गरीबों को जीने का कोई हक नहीं है।देश की वर्तमान स्थिति देखकर लगता है कि गरीब होना सबसे बड़ा पाप है,जैसे गरीब इंसान नहीं,कोई वस्तु है।जिसका इस्तेमाल सिर्फ वोट के लिए होता है।मतदान खत्म,काम खत्म,यूज एंड थ्रो।देश के वर्तमान हालात देखकर ऐसे शासकों और ऐसे शासन व्यवस्था से देशवासियों में घोर निराशा है।

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