नेताजी सुभाष चंद्र बोस को सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन द्वारा दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि !

 

शहाबुद्दीन अहमद

जेटी न्यूज।

 

बेतिया/पश्चिम चम्पारण:- सुभाष चंद्र बोस ने पहली बार पोर्ट ब्लेयर में आजादी का झंडा फहराया था।  आज का दिन भारतवासियों के लिए बहुत ही खास है क्योंकि इसी दिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने पोर्ट ब्लेयर में आजादी का झंडा फहराया था। इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय पीस एंबेसडर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन, डॉ एजाज अहमद, अधिवक्ता ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ,महान स्वतंत्रता सेनानी, सुभाष चंद्र बोस एवं स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित करते हुए कहा कि आज ही के दिन 77 वर्ष पूर्व 30 दिसंबर, 1943 को नेताजी ने पहली बार भारतीय जमीन पर सबसे पहले तिरंगा फहराया था। आजाद हिंद फौज में उन भारतीय सैनिकों को शामिल किया गया था जो जापान में बंदी बना लिये गये थे। बाद में इस सेना में बर्मा और मलाया में स्थित भारतीय स्वयंसेवक भी भर्ती किये गये थे।

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नेताजी चाहते थे कि भारत ब्रिटेन की ओर से ना लड़े, इसके लिए उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ जमकर विरोध किया था। ब्रिटिशर्स को उनकी बात पसंद नहीं आई और इसके लिए उन्हें अंग्रेज़ों ने जेल में डाल दिया। जेल में रहकर नेताजी ने भूख हड़ताल कर दी, जिसके बाद अंग्रेजों ने उन्हें उनके ही घर में नजरबंद कर दिया। इसके बाद बोस उसी वक्त किसी तरह से भारत से जर्मनी भाग गए और वहां युद्ध लड़ने की ट्रेनिंग ली। जब नेताजी जर्मनी में थे तो उन्हें जापान में आजाद हिंद फौज के संस्थापक रासबिहारी बोस ने आमंत्रित किया और 4 जुलाई, 1943 को एक समारोह के दौरान रासबिहारी ने आजाद हिंद फौज की कमान सुभाष के हाथों में सौंप दी।जापान ने सौंप दिया द्वीप नेताजी सुभाष चंद्र बोस का मानना था कि जापान की मदद से भारत से ब्रिटिश हुकूमत का खात्मा किया जा सकता है। इसलिए वे द्वितीय विश्व युद्ध में जापानी सेना का सहयोग कर रहे थे और जापान भी आजादी की लड़ाई में नेताजी का समर्थन कर रहा था। जापान ने लड़ाई में अंग्रेजों से जीतकर अंडमान-निकोबार द्वीप समूह पर कब्जा कर लिया था। 21 अक्टूबर, 1943 को नेताजी ने आजाद हिंद सरकार बना ली। चूंकि जापानियों के साथ नेताजी के संबंध बहुत खास थे। इसलिए उन्होंने 7 नवंबर, 1943 को अंडमान-निकोबार द्वीप नेताजी की सरकार को सौंप दिया। सुभाष चंद्र बोस ने 30 दिसंबर, 1943 को पहली बार अंडमान-निकोबार की धरती पर भारतीय ध्वज तिरंगा फहराया था एवं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से देश की स्वतंत्रता के लिए आशीर्वाद मांगा था !इस अवसर पर बिहार विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के डॉ0 शाहनवाज अली पश्चिम चंपारण कला मंच की संयोजक शाहीन परवीन एवं जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता जाकिर मोहम्मद शेख ने कहा कि महान स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस के त्याग एवं बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता उनकी प्रेरणा और संभल से भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को एक नई दिशा प्रदान हुई इस अवसर पर वक्ताओं ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि जापान स्थित महान स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस एवं स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में बेतिया पश्चिम चंपारण में विश्वविद्यालय एवं राष्ट्रीय संग्रहालय का निर्माण कराया जाए ।।

Website Editor :- Neha Kumari

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