*बिहार राज्य ईख उत्पादक संघ के बढ़ते कदम*P

*बिहार राज्य ईख उत्पादक संघ के बढ़ते कदम*


बिहार राज्य ईख उत्पादक संघ के महासचिव का. प्रभुराज नारायण राव ने कहा कि दूसरा राज्य सम्मेलन 15 जून 2018 को गोपालगंज जिले के कुचायकोट प्रखंड में हुआ था । इस अवसर पर अखिल भारतीय गन्ना उत्पादक किसान महासंघ के महासचिव कॉमरेड नंदकिशोर शुक्ला ने सम्मेलन का उदघाटन किया था । इस सम्मेलन के मुख्य अतिथि बिहार राज्य किसान सभा के महासचिव का.विनोद कुमार थे ।
इस दौरान बिहार राज्य ईख उत्पादक संघ के द्वारा कई एक लड़ाई लड़ी गई । जिसमें सासामुसा चीनी मिल गोपालगंज को पुनः चालू करना यह महत्वपूर्ण जीत था ।
उसके बाद पश्चिम चंपारण में ग्रामीण क्षेत्रों में चीनी मिल के कांटा लगाने का काम किया गया । इतना ही नहीं चीनी मिलो द्वारा गन्ना का वजन घटाकर दिए जाने का विरोध करने पर और पश्चिम चंपारण के समाहर्ता से मांग करने पर पश्चिम चंपारण के तीनों अनुमंडल पदाधिकारियों द्वारा जांच के क्रम में गन्ना के वजन घटाने की जांच सच साबित हुई और उस पर चीनी मिल मालिक के कर्मचारियों पर केस भी किया गया ।
अभी सीतामढ़ी चीनी मिल मालिक जो मिल मजदूरों और किसानों के पैसे के लिए चल रहे संघर्ष से घबराकर रीगा चीनी मिल बंद कर दिया । सरकार के तरफ से इस चीनी मिल को चालू करने के लिए कोई सार्थक प्रयास नहीं किया गया । लेकिन बिहार राज्य ईख उत्पादक संघ अपने प्रयास से वहां कई बैठक की । धरना कार्यक्रम चलाया गया । 27 दिसंबर 21 को भी चीनी मिल चालू करने के लिए धरना दिया गया तथा चीनी मिल को चालू करने के लिए गन्ना उद्योग मंत्री को ज्ञापन भी दिया गया ।
भारी बाढ़ तथा भारी वर्षा के चलते पश्चिम चंपारण , गोपालगंज , पूर्वी चंपारण , सीतामढ़ी आदि कई जिलों में गन्ना की खेती पर बुरा असर पड़ा है , गन्ना सूख गए । इसके लिए बिहार राज्य ईख उत्पादक संघ ने बिहार में कई जिलों में पश्चिम चंपारण , गोपालगंज , पूर्वी चंपारण , सीतामढ़ी में धरना कर गन्ना की फसल हरजाने का मुआवजा देने की मांग बिहार सरकार से की है । बिहार सरकार की कृषि और गन्ना विरोधी नीतियों के चलते जहां बिहार में 28 चीनी मिले थी । उसमें दक्षिण बिहार में सभी चीनी मिलें बंद हो गई । उत्तर बिहार में 1990 के दशक में जहां 16 चीनी मिले कार्यरत थी । आज वहां मात्र 10 चीनी मिलें चल रही है । 1990 में जहां बिहार में 7 लाख एकड़ में गन्ने की खेती होती थी । मिलों के बंद होने से अब 5 लाख एकड़ हो गया । चीनी मिलों पर पहले का बकाया किसानों के पैसे 200 करोड़ आज भी बाकी है । जिन्हें बिहार सरकार के द्वारा देने का कोई सार्थक प्रयास नहीं किया गया ।
2021, 22 के गन्ना पेराई सत्र के लिए बिहार सरकार ने 20 रुपए प्रति क्विंटल गन्ना के दर में तीन कैटेगरी में वृद्धि की । जिसमें रद्द कैटेगरी में मात्र 13 रुपए प्रति क्विंटल गन्ना का दाम बढ़ाया गया। इस तरीके से 315 रुपया से बढ़कर 335 रुपए कैटेगरी A का कर दिया गया । 295 रुपए से बढ़कर 315 रुपए कैटेगरी B तथा 272 से बढ़कर 285 रुपए रद्द कैटेगरी के दामों में वृद्धि की गई । जो उत्तर प्रदेश प्रकार से 15 रुपए प्रति क्विंटल कम है ।
दूसरी तरफ बिहार सरकार बिहार के बंद पड़े चीनी मीलों में इथेनॉल का प्लांट लगाना चाहती है । इसके लिए केन्द्र से एक हारे हुए नेता शाहनवाज हुसैन को बिहार भेज कर उद्योग मंत्री बनाया गया है । जो बिहार के चीनी मिलों की जगह इथनौल प्लांट लगाना चाहते हैं । बिहार राज्य ईख उत्पादक संघ की समझ बहुत साफ है कि इथनौल गन्ना से बनता है और बिहार में भी जो चीनी मिले चल रही है । वहां इथेनॉल प्लांट लगाकर इथनौल बनाने का काम तेजी से चल रहा है । यह कहा जाए कि गन्ना जो किसान लगाते हैं और उससे चीनी बनता है । उसके बाय प्रोडक्ट इथनौल , बिजली , खाद , स्प्रिट जैसे कई अन्य सामान उत्पादित हो रहे हैं । जिसके मुनाफे का एक नया पैसा भी गन्ना किसानों को नहीं मिलता है । गन्ना से जब इथनौल बनता है , तो फिर बिहार के 28 में से 18 बंद चीनी मिलों को चालू कर के इथेनॉल बनाने का काम बिहार सरकार क्यों नहीं कर रही है ।
सरकार चाहती है कि चीनी मिलों को चालू नहीं कर के उसी जमीन पर इथनॉल का प्लांट लगाकर अनाज जो बिहार में पैदा होता है । उससे सड़ा कर इथनॉल बनाना । जो सरासर राष्ट्रविरोधी कारवाई है ।
बिहार बाढ़ और सुखाड़ का एक साथ दंश झेलता है । यहां किसी तरीके से बिहार के जनता को खाने के लायक अनाज पैदा होता है और उस अनाज से इथनौल बनाने कि बिहार सरकार की योजना को किसी भी मायने में बिहार के लिए हितकारी नहीं कहा जा सकता ।
इसलिए बिहार राज्य ईख उत्पादक संघ , बिहार राज्य किसान सभा के साथ मिलकर और भी दूसरे किसान संगठनों को जोड़कर इस जन विरोधी कार्रवाई के खिलाफ एक सशक्त आंदोलन खड़ा करेगा और बिहार सरकार को मजबूर करेगा कि बिहार जैसे कृषि प्रधान राज्य में बंद पड़े चीनी मिलों को चालू कर और बड़े पैमाने पर चीनी मिलों का निर्माण करें । गन्ना की खेती जो नगदी फसल है । बड़े पैमाने पर इसका विस्तार करें और बाढ़ तथा पानी को ज्यादा दिनों तक झेलने वाला या फसल है । इसलिए बिहार जैसे बाढ़ और सुखाड़ की मार खाने वाले राज्य के लिए चीनी मिल का निर्माण एक मात्र विकल्प है ।

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