आम चुनाव 2024: आपातकाल के बाद समाजवादियों के किले पर फिलवक्त एनडीए का है कब्जा –

आम चुनाव 2024: आपातकाल के बाद समाजवादियों के किले पर फिलवक्त एनडीए का है कब्जा –


जे टी न्यूज, समस्तीपुर(राजा एस कुमार): लोकसभा चुनाव 2024 प्रषासनिक स्तर पर चुनावी तैयारियां रफ्तार पकड रही है। प्रदेष के 40 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक संसदीय निर्वाचन क्षेत्र समस्तीपुर अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित सीट है। 2009 के परिसीमन में समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र में समस्तीपुर जिले के चार और दरभंगा जिले का दो विधानसभा क्षेत्र शामिल किया गया था जिसमें समस्तीपुर जिले के कल्याणपुर, वारिसनगर, समस्तीपुर, रोसड़ा और दरभंगा जिले का कुशेश्वर स्थान और हायाघाट विधानसभा सीट शामिल है। बताते चलें कि समस्तीपुर पहले सामान्य सीट था मगर साल 2009 में नए परिसीमन के बाद इसे अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित कर दिया गया। बिहार के कृषि प्रधान समस्तीपुर जिला में बड़े पैमाने पर खाद्यान्न, दलहन व तेलहन के साथ-साथ सब्जी और मसालों की खेती होती है। समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र में जातीय समीकरण के हिसाब से कुशवाहा और यादव जाति की आबादी ज्यादा है। इन पर सभी राजनीतिक दलों के नेताओं की निगाहें रहती हैं। हालांकि यहां अगड़ी जाति, अनुसचित जाति और मुसलमानों की संख्या भी कम नहीं हैं। इसके अलावा अति पिछड़े वोटर भी चुनाव को व्यापक रूप से प्रभावित करते हैं। लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय है। वहीं उद्योग के नाम पर हसनपुर चीनी मिल और कल्याणपुर रामेश्वर जूट मिल है। चीनी मिल तो नियमित चलती है लेकिन जूट मिल कभी चालू होता है फिर बंद हो जाता है। इसके अलावा एक अषोक पेपर मिल भी हुआ करता था जिसका कुछ अवषेष के अलावा कोई नामोनिषान नहीं। हाल के 30-40 सालों में समस्तीपुर में कोई नई फैक्ट्री नहीं खुल सकी है। बूढ़ी गंडक, बागमती, गंगा, कोसी, कमला और बलान नदियों से घिरे लोकसभा क्षेत्र में बाढ़ सबसे बड़ी बुनियादी समस्या है। इसके अलावा शहर के भोला टाॅकिज गुमटी, मुक्तापुर, एवं खुदीरामबोस पूसा गुमटी पर पुल नहीं होना स्थानीय लोगों केलिए बडी समस्या है जो उम्मीदवारों केलिए चुनावी हथकंडा मात्र बन कर रह गया है।


समस्तीपुर (एससी) लोकसभा क्षेत्र में मतदाताओं का विश्लेषण:-
2011 की जनगणना के अनुसार, समस्तीपुर (एससी) लोकसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 17,48,865 हैं, जिसमें से एससी मतदाताओं की संख्या लगभग 341,029 है। जो कुल वोटर का लगभग 19.5 फीसदी हिस्सा है। समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र में सवर्ण, 16 फीसदी मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग 12.6 फीसदी और यादव करीब 11 प्रतिशत हैं। वहीं, महज 0.1 फीसद एसटी मतदाता हैं। इनकी आबादी लगभग 1,749 है। यानी 220,482 है। वोटर लिस्ट का विष्लेषण करने पर सामने आए आंकड़ों के मुताबिक समस्तीपुर (एससी) लोकसभा सीट पर ग्रामीण मतदाताओं की संख्या लगभग 16,63,171 यानी लगभग 95.1 प्रतिशत है. वहीं, शहरी मतदाताओं की संख्या लगभग 85,694 यानी लगभग 4.9 फीसदी है. लोकसभा क्षेत्र में फिलहाल 2517 बूथ हैं। लोकसभा चुनाव 2019 में यहां 60.9 फीसदी मतदान दर्ज किया गया था।


कैसा था पिछला चुनाव
समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र में लोकसभा चुनाव 2019 में 12 प्रत्याशियों ने भाग्य आजमाया था। लेकिन मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच हुआ था। जिसमें लोक जनशक्ति पार्टी के उम्मीदवार राम चंद्र पासवान ने लगातार दूसरी बार जीत हासिल की थी। उन्होंने लोकसभा क्षेत्र के सभी छह विधानसभा सीटों पर बढ़त हासिल कर अपने नजदीकी प्रतिद्वंदी कांग्रेस उम्मीदवार डॉ. अशोक राम को पटखनी दी थी। इस चुनाव में दिलचस्प बात थी कि नोटा तीसरे स्थान पर रहा था। विजयी होने के कुछ महीनों के बाद रामचंद्र पासवान के निधन के बाद हुए उपचुनाव में उनके बेटे प्रिंस राज चुनाव मैदान में उतरे थे। कांग्रेस के उम्मीदवार डॉ. अशोक राम को अपने पिता की तरह ही प्रिंस राज ने भी लोकसभा सीट की सभी विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त हासिल कर मात दीं। इस बार तीसरे स्थान पर निर्दलीय प्रत्याशी सूरज कुमार दास थे वहीं, नोटा को चैथा स्थान मिला था।
लोकसभा समस्तीपुर का इतिहास
बताते चलें कि समस्तीपुर लोकसभा सीट पर आपातकाल से पहले कांग्रेस और बाद में समाजवादियों का दबदबा रहा है। भाजपा को समस्तीपुर की सीट पर जीत का स्वाद चखना अभी शेष है। आंकडे बताते हैं कि समस्तीपुर लोकसभा सीट पर 1952 से लेकर 2019 तक हुए 17 लोकसभा चुनावों में भाजपा का खाता तक नहीं खुल सका है। देश में आपातकाल लगने से पहले 1952 से 1971 तक इस सीट पर हुए 5 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने लगातार जीत का पहचम लहराया था, वहीं, आपातकाल के बाद समस्तीपुर लोकसभा सीट पर हुए 12 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस सिर्फ एक बार जीत पाई है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निधन के बाद सहानुभूति लहर में कांग्रेस प्रत्याषी रामदेव राय 1984 में लोकसभा चुनाव जीत गए थे। उन्होंने लोकदल के उम्मीदवार जननायाक कर्पूरी ठाकुर को हराया था। इसके अलावा 1977 से बाद से अब तक समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र में समाजवादी नेताओं का दबदबा रहा है।


एक नजर दावेदारों पर
आगामी 2024 लोकसभा चुनाव की बात करें तो महागठबंधन से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में बिहार के रहने वाले कर्नाटक के पूर्व डीजीपी बीके रवि इस सीट से सबसे प्रबल दावेदार माने जा रहे है, वहीं समस्तीपुर नगर निगम की अध्यक्ष अनिता राम भी इस रेस में शामिल है. हालांकि महागठबंधन से आरजेडी के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मंत्री श्याम रजक भी पिछले एक वर्षों से सक्रिय है। वहीं एनडीए की बात करें तो यह सीट अब तक रा लोजपा के कोटे में है। हालांकि इस सीट पर रालोजपा के प्रदेष अध्यक्ष सह स्थानीय सांसद प्रिंस राज की दावेदारी स्वयंसिद्ध है मगर इसी सीट पर एनडीए के घटक दल लोजपा रामविलास भी अपना दावा करती दिख रही है, जिसमें महेश्वर हजारी के पुत्र सन्नी हजारी के लोजपा रामविलास की ओर से लड़ने की चर्चा जोरों पर है।

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