83 वर्षीय बुजुर् ने अपनी नियमित दिनचर्या और मजबूत इच्छाशक्ति के बल पर कोरोना से जीता जंग

जे०टी न्यूज़

 

 

दरभंगा:- जिले के सिंहवाड़ा उत्तरी पंचायत निवासी 83 वर्षीय बुजुर्ग महिला कल्याणी ठाकुर ने अपनी नियमित दिनचर्या और मजबूत इच्छाशक्ति के सहारे कोरोना वायरस को अपने घर पर रह कर ही पराजित किया। आयुर्वेदिक नुस्खे का सेवन और स्वास्थ्य विभाग के प्रोटोकाल पर अक्षरश अमल कर उन्हें गंभीर लक्षण वाले कोरोना संक्रमण से छुटकारा मिली. इस उम्र में भी उनकी शारीरिक प्रतिरोधात्मक क्षमता इस कदर मजबूत रही कि 10 से 12 दिनों में ही वह सामान्य महसूस करने लगीं। 14 दिन बाद की गई उनकी कोरोना जांच रिपोर्ट निगेटिव आई है। इस लड़ाई में उन्हें साथ मिला उनके बेटे व बहु का जो स्वयं भी कोरोना संक्रमित थे और घर पर ही ये पूरा परिवार पृथकवास में रहे और संक्रमण से निजात पाने में सफल रहे।

कल्याणी ठाकुर पत्नी स्व शारदा नन्दन ठाकुर स्थायी निवासी सिंहवाड़ा दरभंगा, बिहार, केंद्र सरकार के उपक्रम इंटरनेशनल सेंटर फोर ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी में अधिकारी के तौर पर कार्यरत अपने पुत्र पवन ठाकुर एवं बहू ऋतुप्रिया ठाकुर के साथ हरियाणा गुरुग्राम के सेक्टर 10 में रह रही हैं। उन्हें पहले से ही डायबिटीज, अस्थमा, उच्च रक्तचाप तथा ह्रदय सम्बन्धी बीमारी है। उनका इलाज मेदान्ता हॉस्पिटल गुरुग्राम में डॉक्टर पी के झा के देख रेख में चल रहा है। उनके पुत्र पवन ठाकुर के अनुसार गत 14 सितम्बर को उनकी माता को थोड़ी कमजोरी महसूस हुई। उसी दिन उन्हें शहर के लाल पैथ लेब में उनका टेस्ट करवाया गया जहाँ डायबिटीज सहित अन्य बीमारियों को नियंत्रित और सामान्य बताया गया। उसी दिन शाम को उन्हें अचानक ठंड लगने लगी और बदन में दर्द के साथ 101 डिग्री बुखार भी आया। सामान्यता जांच में सभी कुछ सामान्य होने के कारण क्रोसिन टेबलेट का सेवन किया जिससे बुखार उतर आया। लेकिन दवा का असर खत्म होते ही उन्हें फिर से कमजोरी महसूस हुई और बुखार आ गया, साथ में सूखी खांसी और सुगंध विहीन होने के लक्षण भी विकसित हो गए। साथ ही उन्हें सांस लेने में भी तकलीफ होने लगी, इससे कोरोना के स्पष्ट लक्षण होने की आशंका हुई।पंवन ठाकुर बताये की स्वयं पति-पत्नी के भी कोरोना पोजिटिव घोषित हो जाने बाद उनके सामने बेहद विषम परिस्थिति ने दस्तक दे दी थी उनके सामने यक्ष प्रश्न था कि माता जी को कँहा रखें घर या अस्पताल में उनके अनुसार माता जी भयभीत थीं। उनका कहना था कि यदि मुझे अस्पताल ले जाओगे और वहाँ मुझे भर्ती करवाओगे तो मैं बच नहीं पाऊंगी क्योंकि वहाँ मुझे कोरोना हो जायेगा। यह बात वह बार बार कह रही थीं। उनका कहना था कि किसी डॉक्टर से पूछ कर दवा यही मँगवा लो लेकिन मुझे अस्पताल मत ले जाना। उल्लेखनीय है कि उन्हें रिपोर्ट आने के बाद भी यह नहीं बताया गया था कि उन्हें कोरोना का संक्रमण हो गया है।साथ ही टेलीविजन में आने वाली खबरों से उन्हें यह लगता था कि अस्पताल तो कोरोना संक्रमित गंभीर मरीजों से अटा पड़ा है। वहां तो ठीक व्यक्ति भी जाकर संक्रमित हो जाएगा और भर्ती करने के बाद देखभाल के लिए अपने किसी व्यक्ति को नहीं जाने दिया जाएगा उनकी सोच थी कि अगर उन्हें अस्पताल में भर्ती कर दिया तो फिर उनकी हालत बिगड़ जायेगी उन्हें अक्सर इस प्रकार की खबर देखने को मिल रही थीं कि रोज सैकड़ों की संख्या में लोग अस्पतालों में दम तोड़ रहे हैं। क्योंकि वहां देखभाल ठीक से नहीं किया जाता है। उन्हें अस्पताल चलने के लिए मनाना बेहद कठिन था।

बेटे की कोशिश थी कि इन्हें अस्पताल में ही भर्ती किया जाए क्योंकि पहले सी कई बीमारियों से ग्रस्त बुजुर्ग माँ को बेहतर डाक्टर की देखरेख में इलाज कराना चाहते थे लेकिन माँ अस्पताल नहीं जाने को लेकर अडिग रहीं अंतत पुत्र पवन ठाकुर ने अपनी माताजी का आत्मविश्वास तथा उनके दृढ निर्णय को ध्यान में रखते हुये फ़ोन पर डॉक्टर से सलाह के साथ इनको घर में ही पृथकवास में रखने का निर्णय लिया. ध्यान इस बात का रखा गया कि माता जी को इस बात की खबर कतई नहीं लगने दी जाए कि उन्हें कोरोना वायरस का संक्रमण हो गया है. बेटा व बहु इस बात से चिंतित थे कि अगर उन्हें संक्रमण का पता लग गया तो उनका आत्मबल कमजोर पड़ सकता है. इसलिए टेलीफोन द्वारा डॉक्टर के परामर्श के अनुसार घर में ही ऑक्सीजन का सिलेंडर, ऑक्सी मिटर, BP जाँच की मशीन की व्यवस्था कर दी गई और अंततः उन्होंने इस गंभीर बिमारी को हरा ही दिया।

Website Editor :- Neha Kumari

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